अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति तथा निशक्त जनों की शिक्षा से संबंधित योजनाओं की राष्ट्रीय निगरानी समिति की पहली बैठक केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री कपिल सिब्बल की अध्यक्षता में 27 जून2012 को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित की गयी। राष्ट्रीय निगरानी समिति का गठन अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति तथा निशक्त जनों की शिक्षा से संबंधित सभी मुद्दों पर सरकार को सलाह देने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा पहली बार किया गया है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय निगरानी समिति मंत्रालय द्वारा इस उद्देश्य से आरम्भ की गयी विभिन्न योजनाओं के अनुपालन की समीक्षा करेगी।
बैठक में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री ई अहमद और डॉ डी पुरन्देश्वरी, कुछ चुने हुए राज्यों के शिक्षा मंत्री, सासंद, सचिव (एसई एण्ड एल) श्रीमति अंशु वैश्य, सचिव (उच्च शिक्षा), श्री अशोक ठाकुर, राष्ट्रीय निगरानी समिति के सदस्य, प्रसिद्ध शिक्षाविद, नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधि तथा केन्द्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
अपने प्रारंभिक संबोधन में मंत्री महोदय ने कहा कि हम सभी मानव के व्यक्तिगत विकास तथा सामाजिक तथा आर्थिक प्रगति और राष्ट्र निर्माण में शिक्षा के महत्व से अवगत हैं। उन्होंने कहा कि अच्छी शिक्षा प्राप्त आबादी, तथा ज्ञान और कौशल से पर्याप्त रूप से सक्षम लोग न केवल आर्थिक प्रगति के लिए आवश्यक हैं बल्कि यह समावेशी विकास की पूर्व शर्त भी है क्योंकि शिक्षित और कौशल प्राप्त लोग ही विकास द्वारा प्रदत्त रोजगार के अवसर का लाभ उठा सकते हैं। शिक्षा तक सबकी पहुंच बनाना समान अवसर प्रदान करने की पूर्व अपेक्षित शर्त है और इसीलिए अनुसूचित जाति और जनजाति तथा निशक्त जनों की इसमें भागीदारी समावेशी विकास को वास्तविक बनाने के लिए आवश्यक है।
राष्ट्रीय निगरानी समिति के विभिन्न सदस्यों ने इस समिति का गठन पहली बार किये जाने संबंधी पहल के लिए मंत्री महोदय को बधाई दी और कहा कि यह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और निशक्त जन वर्गों के बच्चों के शैक्षिक विकास की ओर ध्यान देने में बड़ी भूमिका निभाएगा।
बैठक में विचार-विमर्श के बाद तय किया गया कि मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री़ डॉ. डी पुरन्देश्वरी की अध्यक्षता में एक स्थायी समिति बनाई जाए, जो अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा निशक्तजनों के शिक्षा अवसरों की लक्षित योजनाओं की समीक्षा करे तथा गुण्वत्तापूर्ण समावेशी शिक्षा तक उनकी पहुंच बनाने के उपाय सुझाएं। यह भी निर्णय लिया गया कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा निशक्तजनों के लिए कार्यबल का गठन किया जाए। प्रत्येक कार्यबल विशेष रूप से निम्नलिखित बातों पर ध्यान केन्द्रित करेगी :
1. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा निशक्तजन वर्गों के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय की योजनाओं की समीक्षा करना
2. इन वर्गों के बच्चों के प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा स्तर पर पढ़ाई छोड़ने के कारणों का पता लगाना
3. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा निशक्तजन वर्गों को लक्षित मानव संसाधन विकास मंत्रालय की योजनाओं की व्यक्तिगत तथा वित्तीय प्रगति की निगरानी व्यवस्था के उपाय सुझाना
4. मानव संसाधन विकास मंत्रालय की योजनाओं को लागू करने के तौर-तरीके सुझाना।
5. इन वर्गों के बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देने के उपाय सुझाना, जिसमें मौजूदा योजनाओं में सुधार तथा नई योजनाओं के प्रस्ताव भी शामिल है
6. सभी स्तरों पर बालिकाओं का सशक्तिकरण करना
7. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा निशक्तजनों के शैक्षिक विकास से संबंधित मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा अन्य सभी मंत्रालयों की विभिन्न योजनाओं में तालमेल स्थापित करना
8. और अन्य मुद्दे जो कार्यबल प्रासंगिक समझता हो
सभी कार्यबलों में राष्ट्रीय निगरानी समिति के सदस्य शामिल होंगे और वे संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों को भी इसमें सम्मिलित करेंगे।
कार्यबल भारत सरकार के अन्य संबंधित मंत्रालयों तथा राज्य सरकारों से भी बातचीत करेगा, ताकि योजनाओं में सुमेल सुनिश्चित किया जा सके, खासतौर पर छात्रवृत्ति तथा छात्रावास सुविधा के संदर्भ में। इन कार्यबलों के अलावा कुछ खास विषयों के लिए भी कार्यबल गठित करने का निर्णय लिया गया। ये मुद्दे निम्नलिखित हैं :
1. निशक्तजनों के लिए पेशेवर शिक्षा तथा कौशल विकास का प्रावधान
2. अनुसूचित जाति/जनजाति तथा निशक्तजन वर्गों से उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षक प्रौन्नत और विकसित करना
कार्यबल, स्थायी समिति को छह महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे। स्थायी समिति समय-समय पर कार्यबलों को निर्देश और सुझाव देती रहेगी।
यह भी फैसला किया गया कि अनुसूचित जाति, जनजाति तथा निशक्तजनों से संबंधित राष्ट्रीय निगरानी समिति एक स्थायी संस्था होगी।
अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति तथा निशक्त जनों की शिक्षा से संबंधित योजनाओं की राष्ट्रीय निगरानी समिति की पहली बैठक. छाया : जोगिन्दर डोगरा |
अपने प्रारंभिक संबोधन में मंत्री महोदय ने कहा कि हम सभी मानव के व्यक्तिगत विकास तथा सामाजिक तथा आर्थिक प्रगति और राष्ट्र निर्माण में शिक्षा के महत्व से अवगत हैं। उन्होंने कहा कि अच्छी शिक्षा प्राप्त आबादी, तथा ज्ञान और कौशल से पर्याप्त रूप से सक्षम लोग न केवल आर्थिक प्रगति के लिए आवश्यक हैं बल्कि यह समावेशी विकास की पूर्व शर्त भी है क्योंकि शिक्षित और कौशल प्राप्त लोग ही विकास द्वारा प्रदत्त रोजगार के अवसर का लाभ उठा सकते हैं। शिक्षा तक सबकी पहुंच बनाना समान अवसर प्रदान करने की पूर्व अपेक्षित शर्त है और इसीलिए अनुसूचित जाति और जनजाति तथा निशक्त जनों की इसमें भागीदारी समावेशी विकास को वास्तविक बनाने के लिए आवश्यक है।
राष्ट्रीय निगरानी समिति के विभिन्न सदस्यों ने इस समिति का गठन पहली बार किये जाने संबंधी पहल के लिए मंत्री महोदय को बधाई दी और कहा कि यह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और निशक्त जन वर्गों के बच्चों के शैक्षिक विकास की ओर ध्यान देने में बड़ी भूमिका निभाएगा।
बैठक में विचार-विमर्श के बाद तय किया गया कि मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री़ डॉ. डी पुरन्देश्वरी की अध्यक्षता में एक स्थायी समिति बनाई जाए, जो अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा निशक्तजनों के शिक्षा अवसरों की लक्षित योजनाओं की समीक्षा करे तथा गुण्वत्तापूर्ण समावेशी शिक्षा तक उनकी पहुंच बनाने के उपाय सुझाएं। यह भी निर्णय लिया गया कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा निशक्तजनों के लिए कार्यबल का गठन किया जाए। प्रत्येक कार्यबल विशेष रूप से निम्नलिखित बातों पर ध्यान केन्द्रित करेगी :
1. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा निशक्तजन वर्गों के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय की योजनाओं की समीक्षा करना
2. इन वर्गों के बच्चों के प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा स्तर पर पढ़ाई छोड़ने के कारणों का पता लगाना
3. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा निशक्तजन वर्गों को लक्षित मानव संसाधन विकास मंत्रालय की योजनाओं की व्यक्तिगत तथा वित्तीय प्रगति की निगरानी व्यवस्था के उपाय सुझाना
4. मानव संसाधन विकास मंत्रालय की योजनाओं को लागू करने के तौर-तरीके सुझाना।
5. इन वर्गों के बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देने के उपाय सुझाना, जिसमें मौजूदा योजनाओं में सुधार तथा नई योजनाओं के प्रस्ताव भी शामिल है
6. सभी स्तरों पर बालिकाओं का सशक्तिकरण करना
7. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा निशक्तजनों के शैक्षिक विकास से संबंधित मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा अन्य सभी मंत्रालयों की विभिन्न योजनाओं में तालमेल स्थापित करना
8. और अन्य मुद्दे जो कार्यबल प्रासंगिक समझता हो
सभी कार्यबलों में राष्ट्रीय निगरानी समिति के सदस्य शामिल होंगे और वे संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों को भी इसमें सम्मिलित करेंगे।
कार्यबल भारत सरकार के अन्य संबंधित मंत्रालयों तथा राज्य सरकारों से भी बातचीत करेगा, ताकि योजनाओं में सुमेल सुनिश्चित किया जा सके, खासतौर पर छात्रवृत्ति तथा छात्रावास सुविधा के संदर्भ में। इन कार्यबलों के अलावा कुछ खास विषयों के लिए भी कार्यबल गठित करने का निर्णय लिया गया। ये मुद्दे निम्नलिखित हैं :
1. निशक्तजनों के लिए पेशेवर शिक्षा तथा कौशल विकास का प्रावधान
2. अनुसूचित जाति/जनजाति तथा निशक्तजन वर्गों से उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षक प्रौन्नत और विकसित करना
कार्यबल, स्थायी समिति को छह महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे। स्थायी समिति समय-समय पर कार्यबलों को निर्देश और सुझाव देती रहेगी।
यह भी फैसला किया गया कि अनुसूचित जाति, जनजाति तथा निशक्तजनों से संबंधित राष्ट्रीय निगरानी समिति एक स्थायी संस्था होगी।
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