(1) संबध कभी एक जैसे होते नही, क्योकिँ वह बिजनेस नही.
(2) आप कभी भी बीमार होते हो तब आपके खुद का शरीर भी आपका साथ नही देता तो,
दुसरो से क्युँ आशा रखनी.
(3) सफलता रीलेटिव है,
जब आपको मिलती है तब आपके बहुत सारे रीलेटिव पैदा होते है.
(4) बदलते इन्सान और बदलते मौसम का कभी विश्वास मत करो.
(5) भावनाए मरती नही.
क्योकिँ जगत इसी के ऊपर चलता है.
लेकिन भावनाओ के बिना का जीवन यानि जीवित मोत.
(6) प्रेम का कोई अन्त होता नही.
(7) अगर आप किसी को प्रेम करते हो तो
दुसरे किसी की जरुरत नही,
लेकिन आपके जीवन मेँ प्रेम ना हो तो जो भी आप के पास है वो सब कुछ बेकार है.
(8) उम्र आपको प्रेम करने से रोकती नही लेकिन प्रेम आपको उम्रलायक होने से रोकती है.
(9) जीवन इस तरह ना जीओ कि
भगवान को भी आपको इन्सान का रुप देकर अफसोस हो.
(10) प्रेम का पात्र ढुंढो मत,
प्रेम का पात्र बनो...
(2) आप कभी भी बीमार होते हो तब आपके खुद का शरीर भी आपका साथ नही देता तो,
दुसरो से क्युँ आशा रखनी.
(3) सफलता रीलेटिव है,
जब आपको मिलती है तब आपके बहुत सारे रीलेटिव पैदा होते है.
(4) बदलते इन्सान और बदलते मौसम का कभी विश्वास मत करो.
(5) भावनाए मरती नही.
क्योकिँ जगत इसी के ऊपर चलता है.
लेकिन भावनाओ के बिना का जीवन यानि जीवित मोत.
(6) प्रेम का कोई अन्त होता नही.
(7) अगर आप किसी को प्रेम करते हो तो
दुसरे किसी की जरुरत नही,
लेकिन आपके जीवन मेँ प्रेम ना हो तो जो भी आप के पास है वो सब कुछ बेकार है.
(8) उम्र आपको प्रेम करने से रोकती नही लेकिन प्रेम आपको उम्रलायक होने से रोकती है.
(9) जीवन इस तरह ना जीओ कि
भगवान को भी आपको इन्सान का रुप देकर अफसोस हो.
(10) प्रेम का पात्र ढुंढो मत,
प्रेम का पात्र बनो...
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