१. यदी लग्न कुंडली में सूर्य उच्च राशी मेष में है , कीन्तू नवांश में नीच राशी तुला का होतो, ऐसे जातक पर फालतू का दोषा रोपण होगा , पत्नी , पुत्र तथा दोस्तों से अलगाव तथा करषी सम्पत्ती की हानी होती है .
२. उच्च का चंद्रमा नवमांश में नीच का नहीं होता है .
३. यदी उच्च का मंगल हो तथा नवमांश में नीच का होतो, जातक नौकरी या व्यवसाय प्रारम्भ तो करेगा , कीन्तू बीच में ही छोड़ना पड़ेगा .
४. यदी लग्न कुंडली बुध उच्च राशी में हो, तथा नवमांश में नीच राशी का होतो, जातक की बुध्धी भर्मीत होगी , वह व्यापार में सफल नहीं हो सकता है , तथा आर्थीक हानी हो सकती है .
५. यदी लग्न कुंडली में गुरु उच्च राशी में कीन्तू नवमांश में नीच राशी में होतो, ऐसे जातक को शत्रुओ , चोरों तथा सरकार से भय होगा , ऐसा गुरु अशुभ फल दायक होता है .
६. यदी लग्न कुंडली में शुक्र उच्च राशी में कीन्तू नवमांश में नीच राशी में हो तो, जातक को नौकरी में पदावनती या व्यवसाय में हानी होगी , धन हानी या कृषी में असफलता मीलेगी .
७. यदी लग्न कुंडली शनी उच्च राशी में , कीन्तू नवमांश में नीच राशी में होने पर प्रारम्भ में सुखी तथा अंत में दुखी होगा .
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