जानिये दाम्पत्य जीवन के बारे में :-
१. चन्द्र +राहू युति होतो - मानसिक चिंता , पति / पत्नी की मानसिक स्थिति में असंतुलन होता है।
२. मंगल+राहू की युति से - अड़ियल स्वभाव अथवा एक दूसरे की भावनाओं को ठेस पहुँचाना।
३. शुक्र +राहू की युति से - जातक के पत्नी के अलावा अन्य स्त्री से सम्बन्ध के कारण अथवा माता-पिता की इच्छा के बिना विवाह कारण तलाक।
४. सूर्य+राहू - पति, पत्नि के पद , ओहदे अथवा आर्थिक स्थिति को लेकर मतभेद , तथा तलाक की नौबत।
५. शनि +राहू - एक दूसरे से अलग रहने के कारण , अशांति तथा तलाक।
६. बुध+राहू -दिमागी सोच में असमानता के कारण अशांति तथा तलाक।
७. मंगल+शुक्र+राहू -घरेलू अशांति -दुःख तथा अंत तलाक।
८. शुक्र+चन्द्र +राहू - प्रेम में घाटा ही घाटा। स्त्रीयों से हानि, घरेलू अशांति। पराई औरतों से सम्बन्ध अंत में तलाक।
यदि उपरोक्त ग्रह योग २-७ -११ वे भाव में होतो , ज्यादा प्रभावशाली है
(उपरोक्त योग होने पर अंत तलाक में होता है )
१. चन्द्र +राहू युति होतो - मानसिक चिंता , पति / पत्नी की मानसिक स्थिति में असंतुलन होता है।
२. मंगल+राहू की युति से - अड़ियल स्वभाव अथवा एक दूसरे की भावनाओं को ठेस पहुँचाना।
३. शुक्र +राहू की युति से - जातक के पत्नी के अलावा अन्य स्त्री से सम्बन्ध के कारण अथवा माता-पिता की इच्छा के बिना विवाह कारण तलाक।
४. सूर्य+राहू - पति, पत्नि के पद , ओहदे अथवा आर्थिक स्थिति को लेकर मतभेद , तथा तलाक की नौबत।
५. शनि +राहू - एक दूसरे से अलग रहने के कारण , अशांति तथा तलाक।
६. बुध+राहू -दिमागी सोच में असमानता के कारण अशांति तथा तलाक।
७. मंगल+शुक्र+राहू -घरेलू अशांति -दुःख तथा अंत तलाक।
८. शुक्र+चन्द्र +राहू - प्रेम में घाटा ही घाटा। स्त्रीयों से हानि, घरेलू अशांति। पराई औरतों से सम्बन्ध अंत में तलाक।
यदि उपरोक्त ग्रह योग २-७ -११ वे भाव में होतो , ज्यादा प्रभावशाली है
(उपरोक्त योग होने पर अंत तलाक में होता है )
No comments:
Post a Comment