कल सुप्रीमकोर्ट के फैसले के विरोध में देश के तमाम दलित संगठन भारत बंद में सड़क पर थे. वहीँ इस बंद में लगभग विपक्षी पार्टी भी समर्थन करते नजर आये. बिहार से विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल, वाम पार्टियां, जाप संरक्षक सह मधेपुरा सांसद पप्पू यादव के अलावे विधानसभा में तमाम सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायक मानव श्रृंखला बनाते हुए नजर आये.
केंद्र सरकार ने भारत बंद की घोषणा से पहले ही दलित उत्पीड़न कानून में किसी भी तरह के बदलाव के विरुद्ध पुनर्विचार याचिका दायर करने की घोषणा की थी और सोमवार को जिस समय दलितों को गुमराह कर सड़क पर उपद्रव किये जा रहे थे, उस समय कोर्ट में सरकार याचिका दायर कर रही थी. जिस मुद्दे पर लगभग सभी दल एकमत हैं उस पर एनडीए सरकार को निशाना बनाना और लोगों को तोड़फोड़ के लिए उकसाना बेहद गैर जिम्मेदाराना हरकत थी. विपक्ष ने बंद को हिंसात्मक तेवर देकर केवल अपनी हताशा ही जाहिर की.
एनडीए सरकार ने दलित समाज के व्यक्ति को सम्मान देने के लिए उन्हें राष्ट्रपति के सर्वोच्च आसन तक पहुंचाया। देश की राजधानी में भारतरत्न भीम राव अम्बेडकर का स्मारक बनवाया। जिस कांग्रेस ने बाबू जगजीवन राम को प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति नहीं बनने दिया, उसके अध्यक्ष राहुल गांधी को दुसरे के डीएनए में दलित दमन खोजने की जरुरत नहीं है.
http://www.hastakshep.com/hindiopinion/bjp-is-compelling-country-in-civil-war-17025
Nice informative. Thanks for sharing
ReplyDeleteManoj Kumar Jain | Sahyog Delhi