हम ऎसे कुछ तथ्यों की चर्चा इस लेख में करेंगे।
चन्द्रमा का चक्र:
आप अपने जीवन की कोई भी घटना ले लीजिए। चाहे विवाह, चाहे नौकरी या आपकी कमाई का पहला दिन। उस दिन से ठीक सात साल में वह घटना किसी न किसी रूप मे पुन: प्रकट होगी। घटना का स्वरूप अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी। मान लीजिए आपका विवाह अप्रैल 1985 में हुआ तो अप्रैल 1992, अप्रैल 1999, अप्रैल 2006में विवाह से संबंधित अच्छी या बुरी घटनाएं आएंगी। विवाह से तात्पर्य वैवाहिक जीवन से है। आपको देखने को मिलेगा कि अप्रैल के स्थान पर जनवरी, फरवरी भी हो सकता है या मई-जून भी हो सकता है इससे अधिक अंतर देखने को नहीं मिलता।
बृहस्पति का चक्र:
बृहस्पति हर 12 वर्ष के बाद राशि बदलते हैं और वह घटनाक्रम कम या ज्यादा होगा या थो़डे बहुत स्वरूप परिवर्तन के साथ पुन:-पुन: घटता है। मान लीजिए, आपकी नौकरी दिसम्बर 1992 में लगी। इसके ठीक 12 वर्ष बाद आप या तो नई नौकरी मिलेगी या इसी नौकरी मे पदोन्नति होगी या नौकरी जाने का खतरा हो सकता है। अगर मूल घटना शुभ है तो पुनरावृत्ति भी शुभ ही होगी। यदि मूल घटना अशुभ है तो पुनरावृत्ति भी अशुभ ही होगी। कभी-कभी यह क्रम बदल सकता है।
शनि का चक्र:
शनि 30 वर्ष में राशि चक्र की परिक्रमा पूरी करते हैं। जिस राशि में शनि जन्म के समय हों, उसी राशि में वह 27-30 वर्ष की अवधि में प्रवेश करेंगे। जब-जब शनि पुन: उस राशि पर आते हैं तब-तब आजीविका क्षेत्रों में ब़डे परिवर्तन आते हैं। नौकरी या व्यवसाय के बदलने की संभावना रहती है या आदमी नए उपक्रम करता है।
शनि + बृहस्पति चक्र:
जब-जब बृहस्पति जन्मकालीन शनि के ऊपर से भ्रमण करते हैं तो उस वर्ष आजीविका क्षेत्रों में परिवर्तन आते हैं। या तो व्यक्ति नौकरी बदलता है या व्यवसाय के विषयों में परिवर्तन आते हैं। जन्मकालीन बृहस्पति के ऊपर से जब-जब शनि भ्रमण करते हैं तब भी अत्यन्त महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। प्रथम मामले में हर 12 वर्ष में घटनाओं की पुनरावृत्ति होगी तो दूसरे मामले मे 27-30 वर्ष में घटनाओं की पुनरावृत्ति होगी। इस क्रम में घटनाएं तीव्र हो सकती हैं या रूप बदल सकती हैं। घटनाओं की प्रकृति लगभग एक जैसी होगी।
राहु चक्र:
राहु राशि चक्र में 18वर्ष में अपना एक भ्रमण पूरा करते हैं। वह उसी राशि पर 16से 18वर्ष के बीच मे आते हैं। जब-जब गोचर के राहु जन्मकालीन राहु पर भ्रमण करेंगे तो व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण घटनाएं आएंगी। ऎसा वर्ष आजीविका क्षेत्रों मे व्यापक परिवर्तन ला सकता है। शनि + बृहस्पति - षष्ठिपूर्ति का नियम:
बृहस्पति व शनि जन्मकालीन राशियों मे जब दुबारा कभी एक साथ आएं जो कि आमतौर से 60 वर्ष में घटित होता है तो व्यक्ति के जीवन में उत्थान या पतन देखने को मिलता है। पुराने समय में षष्ठिपूर्ति का ब़डा सम्मान किया जाता था और व्यक्ति उत्थान की कामना करता था पर कभी-कभी इसका विपरीत भी देखा गया है।
चन्द्रमा का चक्र:
आप अपने जीवन की कोई भी घटना ले लीजिए। चाहे विवाह, चाहे नौकरी या आपकी कमाई का पहला दिन। उस दिन से ठीक सात साल में वह घटना किसी न किसी रूप मे पुन: प्रकट होगी। घटना का स्वरूप अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी। मान लीजिए आपका विवाह अप्रैल 1985 में हुआ तो अप्रैल 1992, अप्रैल 1999, अप्रैल 2006में विवाह से संबंधित अच्छी या बुरी घटनाएं आएंगी। विवाह से तात्पर्य वैवाहिक जीवन से है। आपको देखने को मिलेगा कि अप्रैल के स्थान पर जनवरी, फरवरी भी हो सकता है या मई-जून भी हो सकता है इससे अधिक अंतर देखने को नहीं मिलता।
बृहस्पति का चक्र:
बृहस्पति हर 12 वर्ष के बाद राशि बदलते हैं और वह घटनाक्रम कम या ज्यादा होगा या थो़डे बहुत स्वरूप परिवर्तन के साथ पुन:-पुन: घटता है। मान लीजिए, आपकी नौकरी दिसम्बर 1992 में लगी। इसके ठीक 12 वर्ष बाद आप या तो नई नौकरी मिलेगी या इसी नौकरी मे पदोन्नति होगी या नौकरी जाने का खतरा हो सकता है। अगर मूल घटना शुभ है तो पुनरावृत्ति भी शुभ ही होगी। यदि मूल घटना अशुभ है तो पुनरावृत्ति भी अशुभ ही होगी। कभी-कभी यह क्रम बदल सकता है।
शनि का चक्र:
शनि 30 वर्ष में राशि चक्र की परिक्रमा पूरी करते हैं। जिस राशि में शनि जन्म के समय हों, उसी राशि में वह 27-30 वर्ष की अवधि में प्रवेश करेंगे। जब-जब शनि पुन: उस राशि पर आते हैं तब-तब आजीविका क्षेत्रों में ब़डे परिवर्तन आते हैं। नौकरी या व्यवसाय के बदलने की संभावना रहती है या आदमी नए उपक्रम करता है।
शनि + बृहस्पति चक्र:
जब-जब बृहस्पति जन्मकालीन शनि के ऊपर से भ्रमण करते हैं तो उस वर्ष आजीविका क्षेत्रों में परिवर्तन आते हैं। या तो व्यक्ति नौकरी बदलता है या व्यवसाय के विषयों में परिवर्तन आते हैं। जन्मकालीन बृहस्पति के ऊपर से जब-जब शनि भ्रमण करते हैं तब भी अत्यन्त महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। प्रथम मामले में हर 12 वर्ष में घटनाओं की पुनरावृत्ति होगी तो दूसरे मामले मे 27-30 वर्ष में घटनाओं की पुनरावृत्ति होगी। इस क्रम में घटनाएं तीव्र हो सकती हैं या रूप बदल सकती हैं। घटनाओं की प्रकृति लगभग एक जैसी होगी।
राहु चक्र:
राहु राशि चक्र में 18वर्ष में अपना एक भ्रमण पूरा करते हैं। वह उसी राशि पर 16से 18वर्ष के बीच मे आते हैं। जब-जब गोचर के राहु जन्मकालीन राहु पर भ्रमण करेंगे तो व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण घटनाएं आएंगी। ऎसा वर्ष आजीविका क्षेत्रों मे व्यापक परिवर्तन ला सकता है। शनि + बृहस्पति - षष्ठिपूर्ति का नियम:
बृहस्पति व शनि जन्मकालीन राशियों मे जब दुबारा कभी एक साथ आएं जो कि आमतौर से 60 वर्ष में घटित होता है तो व्यक्ति के जीवन में उत्थान या पतन देखने को मिलता है। पुराने समय में षष्ठिपूर्ति का ब़डा सम्मान किया जाता था और व्यक्ति उत्थान की कामना करता था पर कभी-कभी इसका विपरीत भी देखा गया है।
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