कलियुग में न तो कर्म का भरोसा है, न भक्ति का और
न ही ज्ञान का. केवल राम का नाम ही एक मात्र
सहारा है. जिसके कानो में "राम" का नाम अकस्मात्
भी पड़ जाता है, उसके पापो का वैसे ही अंत
हो जाता है, जैसे सूर्य के निकलने पर अन्धकार
का अंत हो जाता है. श्री रामचरितमानस में यह
कहा गया है कि यदि चाण्डाल भी राम के नाम
का जाप करे तो वह भी पवित्र आत्मा हो जाता है.
इसमें कोई संदेह नही है कि जो मनुष्य केवल 'राम' के
नाम का जाप करता है, वह घर बैठे ही सभी तीर्थों के
पुण्य प्राप्त कर लेता है.
'राम ' यह दो अक्षरों का मंत्र जपे जाने से सारे
पापो का नाश होता है. चलते, बैठे या सोते जो मनुष्य
राम नाम का कीर्तन करता है, वह यहाँ कृतकार्य
हो जाता है. जो शक्ति भगवान श्री राम में है, उससे
भी अधिक शक्ति राम के नाम में है. राम का नाम लेने
से ही सारे भय दूर हो जाते है, मन शांत और ह्रदय
प्रसन हो जाता है. ऐसा ही हमारे पुराणो में
बताया गया है —
न ही ज्ञान का. केवल राम का नाम ही एक मात्र
सहारा है. जिसके कानो में "राम" का नाम अकस्मात्
भी पड़ जाता है, उसके पापो का वैसे ही अंत
हो जाता है, जैसे सूर्य के निकलने पर अन्धकार
का अंत हो जाता है. श्री रामचरितमानस में यह
कहा गया है कि यदि चाण्डाल भी राम के नाम
का जाप करे तो वह भी पवित्र आत्मा हो जाता है.
इसमें कोई संदेह नही है कि जो मनुष्य केवल 'राम' के
नाम का जाप करता है, वह घर बैठे ही सभी तीर्थों के
पुण्य प्राप्त कर लेता है.
'राम ' यह दो अक्षरों का मंत्र जपे जाने से सारे
पापो का नाश होता है. चलते, बैठे या सोते जो मनुष्य
राम नाम का कीर्तन करता है, वह यहाँ कृतकार्य
हो जाता है. जो शक्ति भगवान श्री राम में है, उससे
भी अधिक शक्ति राम के नाम में है. राम का नाम लेने
से ही सारे भय दूर हो जाते है, मन शांत और ह्रदय
प्रसन हो जाता है. ऐसा ही हमारे पुराणो में
बताया गया है —
दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न
कोय।
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥
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