Friday, April 26, 2013

अजवाइन-II

"21 पेट में पानी की अधिकता होना (जलोदर) ::- *गाय के 1 लीटर पेशाब में अजवाइन लगभग 200 ग्राम को भिगोकर सुखा लें, इसको थोड़ी-थोड़ी मात्रा में गौमूत्र के साथ खाने से जलोदर मिटता है। यही अजवाइन जल के साथ खाने से पेट की गुड़गुड़ाहट और खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।

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अजवाइन को बारीक पीसकर उसमें थोड़ी मात्रा में हींग मिलाकर लेप बनाकर पेट पर लगाने से जलोदर एवं पेट के अफारे में लाभ होता है।

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अजवाइन, सेंधानमक, जीरा, चीता और हाऊबेर को बराबर मात्रा में मिलाकर छाछ पीने से जलोदर में लाभ होता है।

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अजवाइन, हाऊबेर, त्रिफला, सोंफ, कालाजीरा, पीपरामूल, बनतुलसी, कचूर, सोया, बच, जीरा, त्रिकुटा, चोक, चीता, जवाखार, सज्जी, पोहकरमूल, कूठ, पांचों नमक और बायबिण्डग को 10-10 ग्राम की बराबर मात्रा में, दन्ती 30 ग्राम, निशोथ और इन्द्रायण 20-20 ग्राम और सातला 40 ग्राम को मिलाकर अच्छी तरह बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर बनाकर रख लें। यह चूर्ण सभी प्रकार के पेट की बीमारियों में जैसे अजीर्ण, मल, गुल्म (पेट में वायु का रुकना), वातरोग, संग्रहणी (पेचिश), मंदाग्नि, ज्वर (बुखार) और सभी प्रकार के जहरों की बीमारियों को समाप्त करती है। इस बने चूर्ण को 3 से 4 गर्म की मात्रा में निम्न रोगों में इस प्रकार से लें, जैसे- पेट की बीमारियों में- छाछ के साथ, मल की बीमारी में- दही के साथ, गुल्म की बीमारियों में- बेर के काढ़े के साथ, अजीर्ण और पेट के फूलने पर- गर्म पानी के साथ तथा बवासीर में- अनार के साथ ले सकते हैं।"

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सर्दी-जुकाम : :- पुदीने का चूर्ण 10 ग्राम, अजवाइन 10 ग्राम, देशी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ शीशी में डालकर अच्छी प्रकार से डॉट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी देर में तीनों चीज गलकर पानी बन जायेगी। इसकी 3-4 बूंद रूमाल में डालकर सूंघने से या 8-10 बूंद गर्म पानी में डालकर भाप लेने से तुरंत लाभ होता है।

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उल्टी-दस्त ::- पुदीने का चूर्ण 10 ग्राम, अजवाइन का चूर्ण 10 ग्राम, देशी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ शीशी में डालकर अच्छी प्रकार से डॉट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी देर में तीनों चीज गलकर पानी बन जायेंगी। इसकी 4-5 बूंदें बताशे में या गर्म पानी में डालकर आवश्यकतानुसार देने से तुरंत लाभ होता है। एक बार में लाभ हो तो थोड़ी-थोड़ी देर में दो-तीन बार दे सकते हैं।

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अतिसार ::- पुदीने का चूर्ण 10 ग्राम, अजवाइन का चूर्ण 10 ग्राम, देशी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ शीशी में डालकर अच्छी प्रकार से डॉट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी देर में तीनों चीज गलकर पानी बन जायेंगी। इसकी 5 से 7 बूंद बताशे में देने से मरोड़, पेट में दर्द, श्वास, गोला, उल्टी आदि बीमारियों में तुरंत लाभ होता है।

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कीट दंश ::- पुदीने का चूर्ण 10 ग्राम, अजवाइन का चूर्ण 10 ग्राम, देशी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ शीशी में डालकर अच्छी प्रकार से डाट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी देर में तीनों चीजें गलकर पानी बन जायेंगी। इसको बिच्छू, ततैया, भंवरी, मधुमक्खी इत्यादि जहरीले कीटों के दंश पर भी लगाने से शांति मिलती है।

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पेट की गड़बड़, पेट में दर्द, मंदाग्नि, अम्लपित्त ::- *3 ग्राम अजवाइन में आधा ग्राम कालानमक मिलाकर गर्म पानी के साथ फंकी लेने से पेट की गैस, पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
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अजवायन, सेंधानमक, हरड़ और सोंठ के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर एकत्र कर लें। इसे 1 से 2 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट का दर्द नष्ट होता है। इस चूर्ण के साथ वचा, सोंठ, कालीमिर्च, पिप्पली का काढ़ा गर्म-गर्म ही रात में पीने से कफ गुल्म नष्ट होता है।

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प्रसूता स्त्रियों (बच्चे को जन्म देने वाली महिला) को अजवाइन के लड्डू और भोजन के बाद अजवाइन 2 ग्राम की फंकी देनी चाहिए, इससे आंतों के कीड़े मरते हैं। पाचन होता है और भूख अच्छी लगती है एवं प्रसूत रोगों से बचाव होता है।

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भोजन के बाद यदि छाती में जलन हो तो एक ग्राम अजवाइन और बादाम की 1 गिरी दोनों को खूब चबा-चबाकर या कूट-पीस कर खायें।

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अजवाइन के रस की 2-2 बूंदे पान के बीड़े में लगाकर खायें।

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अजवाइन 10 ग्राम, कालीमिर्च और सेंधानमक 5-5 ग्राम गर्म पानी के साथ 3-4 ग्राम तक सुबह-शाम सेवन करें।

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अजवाइन 80 ग्राम, सेंधानमक 40 ग्राम, कालीमिर्च 40 ग्राम, कालानमक 40 ग्राम, जवाखार 40 ग्राम, कच्चे पपीते का दूध (पापेन) 10 ग्राम, इन सबको महीन पीसकर कांच के बरतन में भरकर 1 किलो नींबू का रस डालकर धूप में रख दें और बीच-बीच में हिलाते रहें। 1 महीने बाद जब बिल्कुल सूख जाये, तो सूखे चूर्ण को 2 से 4 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से मंदाग्नि शीघ्र दूर होती है। इससे पाचन शक्ति बढ़ती है तथा अजीर्ण (अपच), संग्रहणी, अम्लपित्त इत्यादि रोगों में लाभ होता है।

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शिशु के पेट में यदि दर्द हो और सफर (यात्रा) में हो तो बारीक स्वच्छ कपड़े के अंदर अजवाइन को रखकर, शिशु की मां यदि उसके मुंह में चटायें तो शिशु का पेट दर्द तुरंत मिट जाता है।"

"27
दस्त::- *जब मूत्र बंद होकर पतले-पतले दस्त हो, तब अजवाइन तीन ग्राम और नमक लगभग 500 मिलीलीटर ताजे पानी के साथ फंकी लेने से तुरंत लाभ होता है। अगर एक बार में आराम हो तो 15-15 मिनट के अंतर पर 2-3 बार लें।

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अजवाइन को पीसकर चूर्ण बनाकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर लगभग आधा ग्राम की मात्रा में लेकर मां के दूध के साथ पिलाने से उल्टी और दस्त का आना बंद हो जाता है।

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अजवाइन, कालीमिर्च, सेंधानमक, सूखा पुदीना और बड़ी इलायची आदि को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसे एक चम्मच के रूप में पानी के साथ लेने से खाना खाने के ठीक से पचने के कारण होने वाले दस्त यानी पतले ट्टटी को बंद हो जाता है।"

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पेट के रोगों पर::- *एक किलोग्राम अजवाइन में एक लीटर नींबू का रस तथा पांचों नमक 50-50 ग्राम, कांच के बरतन में भरकर रख दें, दिन में धूप में रख दिया करें, जब रस सूख जाये तब दिन में सुबह और शाम 1 से 4 ग्राम तक सेवन करने से पेट सम्बन्धी सब विकार दूर होते हैं।

*1
ग्राम अजवाइन को इन्द्रायण के फलों में भरकर रख दें, जब वह सूख जाये तब उसे बारीक पीसकर इच्छानुसार काला नमक मिलाकर रख लें, इसे गर्म पानी से सेवन करने से लाभ मिलता हैं।

*
अजवाइन चूर्ण तीन ग्राम सुबह-शाम गर्म पानी से लें।

*1.5
लीटर पानी को आंच पर रखें, जब वह खूब उबलकर 1 लीटर रह जाये तब नीचे उतारकर आधा किलोग्राम पिसी हुई अजवाइन डालकर ढक्कन बंद कर दें। जब ठंडा हो जाये तो छानकर बोतल में भरकर रख लें। इसे 50-50 ग्राम दिन में सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करें।

*
पेट में वायु गैस बनने की अवस्था में भोजन के बाद 125 मिलीलीटर मट्ठे में 2 ग्राम अजवाइन और आधा ग्राम कालानमक मिलाकर आवश्यकतानुसार सेवन करें।"

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बवासीर (अर्श) ::- *अजवाइन देशी, अजवाइन जंगली और अजवाइन खुरासानी को बराबर मात्रा में लेकर महीन पीस लें और मक्खन में मिलाकर मस्सों पर लगायें। इसको लगाने से कुछ दिनों में ही मस्से सूख जाते हैं।

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अजवाइन और पुराना गुड़ कूटकर 4 ग्राम रोज सुबह गर्म पानी के साथ लें। अजवाइन के चूर्ण में सेंधानमक और छाछ (मट्ठा) मिलाकर पीने से कोष्ठबद्धकता (कब्ज) दूर होती है।

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दोपहर के भोजन के बाद एक गिलास छाछ में डेढ़ ग्राम (चौथाई चम्मच) पिसी हुई अजवाइन और एक ग्राम सैंधानमक मिलाकर पीने से बवासीर के मस्से दोबारा नहीं होते हैं।"

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प्रमेह (वीर्य विकार) ::- अजवाइन 3 ग्राम को 10 मिलीलीटर तिल के तेल के साथ दिन में सुबह, दोपहर और शाम सेवन करने से लाभ होता है।


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