केतु प्रधान व्यक्ति- चेहरे पर हमेशा बारह बजे रहते हैं?
केतु मूलत: उदासीनता का कारक है। इसके प्रभाव से
व्यक्ति चैतन्यहीन बन जाता है।
इसकी महत्वाकांक्षाएँ सुप्त होती हैं।
हँसी कभी-कभी वह
भी मुश्किल से ही दिखाई
देगी। बातों में सदैव निराशा झलकेगी।
केतु वास्तव में संन्यास, त्याग, उपासना का भी कारक
है। केतु व्यक्ति को विरक्ति देता है। व्यय स्थान का केतु
मोक्षदायक माना जाता है। यदि कुंडली में केतु सूर्य के
साथ हो तो मन में आशंकाएँ
बनी रहती हैं, मंगल के साथ
हो तो काम टालने की प्रवृत्ति देता है, शुक्र युक्त
हो तो विवाह संबंधों में उदासीनता, गुरु के साथ
हो तो वैराग्य, स्वप्न सूचनाएँ देता है। बुध के साथ
वाणी दोष व चंद्र के साथ निराशा, अवसाद का कारक
बनता है।
केतु मूलत: उदासीनता का कारक है। इसके प्रभाव से
व्यक्ति चैतन्यहीन बन जाता है।
इसकी महत्वाकांक्षाएँ सुप्त होती हैं।
हँसी कभी-कभी वह
भी मुश्किल से ही दिखाई
देगी। बातों में सदैव निराशा झलकेगी।
केतु वास्तव में संन्यास, त्याग, उपासना का भी कारक
है। केतु व्यक्ति को विरक्ति देता है। व्यय स्थान का केतु
मोक्षदायक माना जाता है। यदि कुंडली में केतु सूर्य के
साथ हो तो मन में आशंकाएँ
बनी रहती हैं, मंगल के साथ
हो तो काम टालने की प्रवृत्ति देता है, शुक्र युक्त
हो तो विवाह संबंधों में उदासीनता, गुरु के साथ
हो तो वैराग्य, स्वप्न सूचनाएँ देता है। बुध के साथ
वाणी दोष व चंद्र के साथ निराशा, अवसाद का कारक
बनता है।
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