संतान प्राप्ति में बाधा
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में
सूर्य-राहु, सूर्य-शनि आदि योग के कारण पितृ दोष बन रहा है
तब उसके लिए नारायण बलि, नाग बलि, गया में श्राद्ध, आश्विन
कृष्ण पक्ष में पितरों का श्राद्ध, पितृ तर्पण, ब्राह्मण भोजन
तथा दानादि करने से शांति प्राप्त होती है.
संतान प्राप्ति में व्यवधान यदि पंचम भाव में राहु है और उस पर
मंगल की दृष्टि हो या मंगल की राशि में
राहु हो तब सर्प दोष की बाधा के कारण संतान
प्राप्ति में व्यवधान आता है या संतान
हानि होती है.
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल सूर्य से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो हरिवंश पुराण
का विधिवत श्रवण करके उसे दान करें
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल चन्द्र से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो रामेश्वर
तीर्थ में स्नान करें ,एक लक्ष
गायत्री मन्त्र का जाप कराएं तथा चांदी के
पात्र में दूध भर कर दान दें
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल मंगल से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो भूमि दान
करें ,प्रदोष व्रत करें
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल बुध से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो विष्णु
सहस्रनाम का जाप करें
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल गुरु से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो गुरूवार को फलदार
वृक्ष लगवाएं ,ब्राह्मण को स्वर्ण तथा वस्त्र का दान दें
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल शुक्र से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो गौ दान करें ,
आभूषणों से सज्जित लक्ष्मी -नारायण
की मूर्ति दान करें
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल शनि से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब
या बाधा हो तो पीपल का वृक्ष लगाएं
तथा उसकी पूजा करें ,रुद्राभिषेक करें और
ब्रह्मा की मूर्ति दान करें
संतान गोपाल स्तोत्र ॐ देवकीसुत गोविन्द
वासुदेव जगत्पते देहि में तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम गतः |
उपरोक्त मन्त्र की १००० संख्या का जाप प्रतिदिन
१०० दिन तक करें | तत्पश्चात १०००० मन्त्रों से हवन,१०००
से तर्पण ,१०० से मार्जन तथा १० ब्राह्मणों को भोजन कराएं
श्री गणपति की दूर्वा से पूजा करें
तथा संतान गणपति स्तोत्र का प्रति दिन ११ या २१
की संख्या में पाठ करें
यह आवश्यक है कि कोई भी उपाए करने से पूर्व
जन्म-पत्रिका का विश्लेषण अवश्य कराएं, तथा जन्म-पत्रिका में
उपस्तिथ ग्रहो कि स्तिथि के अनुसार ही उपाए करें
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में
सूर्य-राहु, सूर्य-शनि आदि योग के कारण पितृ दोष बन रहा है
तब उसके लिए नारायण बलि, नाग बलि, गया में श्राद्ध, आश्विन
कृष्ण पक्ष में पितरों का श्राद्ध, पितृ तर्पण, ब्राह्मण भोजन
तथा दानादि करने से शांति प्राप्त होती है.
संतान प्राप्ति में व्यवधान यदि पंचम भाव में राहु है और उस पर
मंगल की दृष्टि हो या मंगल की राशि में
राहु हो तब सर्प दोष की बाधा के कारण संतान
प्राप्ति में व्यवधान आता है या संतान
हानि होती है.
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल सूर्य से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो हरिवंश पुराण
का विधिवत श्रवण करके उसे दान करें
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल चन्द्र से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो रामेश्वर
तीर्थ में स्नान करें ,एक लक्ष
गायत्री मन्त्र का जाप कराएं तथा चांदी के
पात्र में दूध भर कर दान दें
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल मंगल से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो भूमि दान
करें ,प्रदोष व्रत करें
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल बुध से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो विष्णु
सहस्रनाम का जाप करें
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल गुरु से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो गुरूवार को फलदार
वृक्ष लगवाएं ,ब्राह्मण को स्वर्ण तथा वस्त्र का दान दें
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल शुक्र से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो गौ दान करें ,
आभूषणों से सज्जित लक्ष्मी -नारायण
की मूर्ति दान करें
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल शनि से
पीड़ित होने के कारण संतान सुख
की प्राप्ति में विलम्ब
या बाधा हो तो पीपल का वृक्ष लगाएं
तथा उसकी पूजा करें ,रुद्राभिषेक करें और
ब्रह्मा की मूर्ति दान करें
संतान गोपाल स्तोत्र ॐ देवकीसुत गोविन्द
वासुदेव जगत्पते देहि में तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम गतः |
उपरोक्त मन्त्र की १००० संख्या का जाप प्रतिदिन
१०० दिन तक करें | तत्पश्चात १०००० मन्त्रों से हवन,१०००
से तर्पण ,१०० से मार्जन तथा १० ब्राह्मणों को भोजन कराएं
श्री गणपति की दूर्वा से पूजा करें
तथा संतान गणपति स्तोत्र का प्रति दिन ११ या २१
की संख्या में पाठ करें
यह आवश्यक है कि कोई भी उपाए करने से पूर्व
जन्म-पत्रिका का विश्लेषण अवश्य कराएं, तथा जन्म-पत्रिका में
उपस्तिथ ग्रहो कि स्तिथि के अनुसार ही उपाए करें
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