जानीये दो ग्रहों की युती के फल :-
१. सूर्य+बुध = विद्या , बुद्धि देता है, सरकारी नौकरी, ज्योतिष , अपने प्रयास से धनवान , बचपन में कष्ट.
२. सूर्य+शुक्र =कला, साहित्य, यांत्रिक कला का ज्ञान , क्रोध, प्रेम सम्बन्ध , बुरे, गृहस्थ बुरा , संतान में देरी , तपेदिक , पिता के लिए अशुभ।
३. सूर्य+गुरू =मान-मर्यादा , श्रेष्टता , उच्च पद तथा यश में वृद्धि करता है, स्वयं की मेहनत से सफलता।
४. सूर्य+ मंगल =साहसी , अग्नि से सम्बंधित कामों में सफलता , सर्जन , डॉक्टर , अधिकारी , सर में चोट, का निशान , दुर्घटना , खुद का मकान बनाये।
५. सूर्य+चन्द्र =राजकीय ठाठ - बाठ , अधिकार, पद, उत्तम राजयोग , डॉक्टर , दो विवाह , गृहस्थ जीवन हल्का , स्त्रीयों द्वारा विरोध, बुढ़ापा उत्तम।
६. सूर्य+शनि =पिता-पुत्र में बिगाड़ अथवा जुदाई। युवावस्था में संकट, राज दरबार बुरा। स्वास्थ कमजोर। पिता की मृत्यु , गरीबी। घरेलू अशांति। पत्नी का स्वास्थ कमजोर।
७. सूर्य+राहू =सरकारी नौकरी में परेशानी। चमड़ी पर दाग , खर्च हो। घरेलू अशांति , परिवार की बदनामी का डर। श्वसुर की धन की स्थिति कमजोर। सूर्य को ग्रहण।
८. सूर्य+केतू=सरकारी काम अथवा सरकारी नौकरी में उतार-चढ़ाव। संतान का फल बुरा।
९. चन्द्रमा+मंगल=मन की स्थिति डांवाडोल। दुर्घटना। साहसिक कामों से धन लाभ। उत्तम धन।
१०. चन्द्र+बुध=उत्तम वक्ता। बुद्धिमत्ता। लेखन शक्ति। गहन चिंतन। स्वास्थ में गड़बड़। दो विवाह योग। मानसिक असंतुलन।
११. चन्द्र+गुरू= उत्तम स्थिति। धन प्राप्ति। बैंक में अधिकारी। उच्च पद। मान-सम्मान। धनी। यदि पाप दृष्टी हो तो विद्द्या में रूकावट।
१२. चन्द्र+शुक्र=दो विवाह योग। अन्य स्त्री से सम्बन्ध। विलासी। शान-शौकत का प्रेमी। रात का सुख।
१. सूर्य+बुध = विद्या , बुद्धि देता है, सरकारी नौकरी, ज्योतिष , अपने प्रयास से धनवान , बचपन में कष्ट.
२. सूर्य+शुक्र =कला, साहित्य, यांत्रिक कला का ज्ञान , क्रोध, प्रेम सम्बन्ध , बुरे, गृहस्थ बुरा , संतान में देरी , तपेदिक , पिता के लिए अशुभ।
३. सूर्य+गुरू =मान-मर्यादा , श्रेष्टता , उच्च पद तथा यश में वृद्धि करता है, स्वयं की मेहनत से सफलता।
४. सूर्य+ मंगल =साहसी , अग्नि से सम्बंधित कामों में सफलता , सर्जन , डॉक्टर , अधिकारी , सर में चोट, का निशान , दुर्घटना , खुद का मकान बनाये।
५. सूर्य+चन्द्र =राजकीय ठाठ - बाठ , अधिकार, पद, उत्तम राजयोग , डॉक्टर , दो विवाह , गृहस्थ जीवन हल्का , स्त्रीयों द्वारा विरोध, बुढ़ापा उत्तम।
६. सूर्य+शनि =पिता-पुत्र में बिगाड़ अथवा जुदाई। युवावस्था में संकट, राज दरबार बुरा। स्वास्थ कमजोर। पिता की मृत्यु , गरीबी। घरेलू अशांति। पत्नी का स्वास्थ कमजोर।
७. सूर्य+राहू =सरकारी नौकरी में परेशानी। चमड़ी पर दाग , खर्च हो। घरेलू अशांति , परिवार की बदनामी का डर। श्वसुर की धन की स्थिति कमजोर। सूर्य को ग्रहण।
८. सूर्य+केतू=सरकारी काम अथवा सरकारी नौकरी में उतार-चढ़ाव। संतान का फल बुरा।
९. चन्द्रमा+मंगल=मन की स्थिति डांवाडोल। दुर्घटना। साहसिक कामों से धन लाभ। उत्तम धन।
१०. चन्द्र+बुध=उत्तम वक्ता। बुद्धिमत्ता। लेखन शक्ति। गहन चिंतन। स्वास्थ में गड़बड़। दो विवाह योग। मानसिक असंतुलन।
११. चन्द्र+गुरू= उत्तम स्थिति। धन प्राप्ति। बैंक में अधिकारी। उच्च पद। मान-सम्मान। धनी। यदि पाप दृष्टी हो तो विद्द्या में रूकावट।
१२. चन्द्र+शुक्र=दो विवाह योग। अन्य स्त्री से सम्बन्ध। विलासी। शान-शौकत का प्रेमी। रात का सुख।
१३. चन्द्र+शनि = दुःख। मानसिक तनाव। नज़र की खराबी। माता तथा धन के लिए ठीक नहीं। हर काम में रूकावट। गरीबी। शराबी। उदास ,सन्यासी। स्त्री सुख में कमी।
१४. चन्द्र+राहू = पानी से डर। शरीर पर दाग। विदेश यात्रा। जिस भाव में स्थित हो उसकी हानी।
१५. चन्द्र+केतू=विद्या में रूकावट। मूत्र वीकार। जोड़ों में दर्द। केमिष्ट।
१६ मंगल+शनि = दुर्घटना। इंजीनियर। डॉक्टर। भाइयों से अनबन। धन संग्रह में रूकावट। चमड़ी तथा खून में वीकार। साहसिक कार्यों में सफलता। धन-दौलत चोरी। डाकू। ड्राइवर। सरकारी अधिकारी।
१७. मंगल+बुध=साहसिक कार्यो से लाभ। बुद्धी और साहस का योग। खोजी निगाह। स्पष्ट वक्ता। इंजीनियर। डाक्टर। दुर्घटना आदि।
१४. चन्द्र+राहू = पानी से डर। शरीर पर दाग। विदेश यात्रा। जिस भाव में स्थित हो उसकी हानी।
१५. चन्द्र+केतू=विद्या में रूकावट। मूत्र वीकार। जोड़ों में दर्द। केमिष्ट।
१६ मंगल+शनि = दुर्घटना। इंजीनियर। डॉक्टर। भाइयों से अनबन। धन संग्रह में रूकावट। चमड़ी तथा खून में वीकार। साहसिक कार्यों में सफलता। धन-दौलत चोरी। डाकू। ड्राइवर। सरकारी अधिकारी।
१७. मंगल+बुध=साहसिक कार्यो से लाभ। बुद्धी और साहस का योग। खोजी निगाह। स्पष्ट वक्ता। इंजीनियर। डाक्टर। दुर्घटना आदि।
१८. मंगल+गुरू=गणितज्ञ , विद्वान , ज्योतिषी, खगोल शास्त्री , पीलिया, धनवान , अगुआ, तथा नेता।
१९. मंगल+शुक्र=व्यापार में कुशल। धातु शोधक। विमान चालक। साहसी। अंतराष्ट्रीय व्यापार। ऑटोमोबाइल। कार। फर्नीचर। पत्नी का स्वास्थ कमजोर।
२०. मंगल+राहू =कम बोले। उत्साही। चुस्त। फसादी। दिमाग तेज। शाही सवारी। अधिकारी। रसोई में होशियार।
२१. मंगल+केतू=संतान का फल शुभ। पुत्र साहसी। तपेदिक। चमड़ी तथा पैरों में रोग। जोड़ों का सूजन। आत्महत्या आदि।
१९. मंगल+शुक्र=व्यापार में कुशल। धातु शोधक। विमान चालक। साहसी। अंतराष्ट्रीय व्यापार। ऑटोमोबाइल। कार। फर्नीचर। पत्नी का स्वास्थ कमजोर।
२०. मंगल+राहू =कम बोले। उत्साही। चुस्त। फसादी। दिमाग तेज। शाही सवारी। अधिकारी। रसोई में होशियार।
२१. मंगल+केतू=संतान का फल शुभ। पुत्र साहसी। तपेदिक। चमड़ी तथा पैरों में रोग। जोड़ों का सूजन। आत्महत्या आदि।
२२. बुध+गुरू= विद्वान। कवि। काव्य रचियता। माता-पिता दुखिया। कभी अमीर , कभी गरीब। अकाउंटेंट। बैंक में अधिकारी। एजेंट। वकील।
२३. बुध+शुक्र = अर्द्ध सरकारी नौकरी। सरकारी नौकरी। घरेलू सुख। कला कौशल। शिल्प कला। तेल। मिट्टी। प्रेम सम्बन्ध खराब। मशीनरी। नीलामी करने वाला। क्लर्क।
२४. बुध+शनि=कम बोलने वाला। गंभीर स्वभाव। बीमा व्यवसाय। शराबी। स्त्रीयों का मिलनसार। पिता के लिए बुरा।
२५. बुध+राहू= पागल खाना। जेल। हस्पताल। जानवरों का शिकारी। दिमाग में विकार। मानसिक तनाव। शिकारी।
२६. बुध+केतू =यात्रा लगी रहे। कमर, पेशाब, एवं रीढ़ की हड्डी में वीकार तथा दुःखी। पैरों में विकार। अन्वेषक। जादू टोना।
२३. बुध+शुक्र = अर्द्ध सरकारी नौकरी। सरकारी नौकरी। घरेलू सुख। कला कौशल। शिल्प कला। तेल। मिट्टी। प्रेम सम्बन्ध खराब। मशीनरी। नीलामी करने वाला। क्लर्क।
२४. बुध+शनि=कम बोलने वाला। गंभीर स्वभाव। बीमा व्यवसाय। शराबी। स्त्रीयों का मिलनसार। पिता के लिए बुरा।
२५. बुध+राहू= पागल खाना। जेल। हस्पताल। जानवरों का शिकारी। दिमाग में विकार। मानसिक तनाव। शिकारी।
२६. बुध+केतू =यात्रा लगी रहे। कमर, पेशाब, एवं रीढ़ की हड्डी में वीकार तथा दुःखी। पैरों में विकार। अन्वेषक। जादू टोना।
२७. गुरू + शुक्र=सुखी। बलवान। चतुर. नीतिवान। पत्नी या पिता एक सहायक। घरेलू अशांति। अध्यापिका।
२८. गुरू + शनि= कार्यों में निपुण। धनी। तेजस्वी। विद्या में रूकावट। पत्नी तथा पिता के लिये अशुभ। बीमारी। चिंतन शक्ति उत्तम।
२९. गुरू +राहू= विद्या में रूकावट। पिता के लिये खराब।
३०. गुरू + केतू =विद्या के लिये उत्तम , शत्रु परेशान करे। पिता -पुत्र में अनबन। अन्वेषक।
३१. शनि+राहू =शरीर पर काला दाग। तिल। पत्नी से सम्बन्ध खराब। घरेलू अशांति। डॉक्टर।
३२. शुक्र+राहू=दो विवाह योग। घरेलू अशांति। प्रेम सम्बन्ध। बिजली विभाग में नौकरी। सेना में नौकरी। पत्नी से अनबन।
३३. शुक्र+केतू =संतान के लिये बुरा। कामी। प्रेम सम्बन्ध। भीतर-ही भीतर गम तथा भय। मूत्र वीकार , शुक्राणु वीकार।
२८. गुरू + शनि= कार्यों में निपुण। धनी। तेजस्वी। विद्या में रूकावट। पत्नी तथा पिता के लिये अशुभ। बीमारी। चिंतन शक्ति उत्तम।
२९. गुरू +राहू= विद्या में रूकावट। पिता के लिये खराब।
३०. गुरू + केतू =विद्या के लिये उत्तम , शत्रु परेशान करे। पिता -पुत्र में अनबन। अन्वेषक।
३१. शनि+राहू =शरीर पर काला दाग। तिल। पत्नी से सम्बन्ध खराब। घरेलू अशांति। डॉक्टर।
३२. शुक्र+राहू=दो विवाह योग। घरेलू अशांति। प्रेम सम्बन्ध। बिजली विभाग में नौकरी। सेना में नौकरी। पत्नी से अनबन।
३३. शुक्र+केतू =संतान के लिये बुरा। कामी। प्रेम सम्बन्ध। भीतर-ही भीतर गम तथा भय। मूत्र वीकार , शुक्राणु वीकार।
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