Tuesday, September 29, 2015

दासता ,षड़यन्त्र व भ्रष्टाचार के ग्रन्थ व शास्त्र

दासता ,षड़यन्त्र व भ्रष्टाचार के ग्रन्थ व शास्त्र
१- यह जो ब्राम्हण,छत्रिय,वैश्य व शुद्र चारो वर्णो का जो विभाजन है वह मेरे द्वरा ही रचा गया है |
(गीता ४/१३)
२- मेरी शरण मे आकर स्त्री,वैश्य व शुद्र भी जिनकी उत्पत्ति पाप योनि से हुई है| परमगति को प्रप्त हो जाते है |
(भगवतगीता ९/३२)
३- शुद्र का प्रमुख कार्य तीनो वर्णो की सेवा करना है |
(महाभारत ४/५०/६)
४- शुद्र को वंचित धन से स्वामी की सेवा करनी चाहिए |
५- शुद्र तपस्या करे तो राज्य निर्धनता मे डुब जायेगा |
(वाल्मिकी रामायण ७(३०)/७४)
६- इन्द्र ने कहा मैने दस्युओ , राछसो तथा शुद्रो को आर्य कहलाना बन्द कर दिया है |
(त्रटग्वेद १०/४९/८)
८- ढोल, गवार, शुद्र, पशु, नारी
शकल ताड़ना के अधिकारी |
(रामचरित मानस ६६/५)
९- पुजिअ विप्र शील, गुन हीना |
सुदन गुन गन ग्यान प्रवीना||
(रामचरित मानस ६३/१)
१०- वह शुद्र जो की ब्राम्हण के चरणो का धोवन पीता है राजा उससे कर न ले |
(आस्तन धर्मसुत्र १,२,५/१६)
११- बिल्ली, नेवला, नीलकण्ठ, मेढक, कुत्ता, गोह, उल्लू किसी एक ही हत्या पर शुद्र की हत्या का प्रायश्चित करे |
(अत्रि स्मृति ११/१३१)
१२- जिस गाय का दुध अग्निहोत्र के काम आवे उसे शुद्र न छुए |
(कथक सहिंता ३/१/२)
१३- शुद्रो को समस्त वेदाध्यन का निषेध है |
(वशिष्ठ धर्मसुत्र १८/१२/११)
१४- चण्डाल को देखकर सुर्य के दर्शन करे, तब वह शुध्द होता है | चण्डाल का स्पर्श होने पर वस्त्रो सहित स्नान करे |
(पराशर स्मृति ६/२४)
१५- शुद्र को सोमरस पिलाना वर्जित है |
(ऐतरेय ब्राम्हण १६/३/३१)
१६- शुद्र केवल दुसरो का सेवक है इसके अतिरिक्त उसका कोई अधिकार है |
(ऐतरेय ब्राम्हण २/२९/४)
१७- यदि कोई ब्राम्हण किसी शुद्र को शिछा दे तो उस ब्राम्हण को चण्डाल की ही भाति त्याग देना चाहिए |
(स्कन्द पुराण १०/१९)
१८- यदि कोई शुद्र वेद सुन ले तो पिघला हुआ शीशा तथा लाख उसके कानो मे डलवा देना चाहिए | यदि वह वेद का उच्चारण करे तो ॉउसकी जीभ कटवा देनी चाहिए और यदि वेद का स्मरण करे तो उसको मरवा देना चाहिए|
(गौतम धर्मसुत्र १२/६)
१९- जो सदकर्म करते है वे ब्राम्हण, छत्रिय व वैश्य-इन श्रेष्ठ जातियो को प्राप्त होते है व जो दुष्कर्म करते है वे कुत्ते, सुअर या शुद्र जाति को प्राप्त होते है |
(छान्दोग्य उपनिषद ५/१०/७)
२०- देव यग्य व श्राध्द मे शुद्र को बुलाने का दण्ड सौ पाप है |
(विष्णु स्मृति ५/११५)
२१- ब्राम्हण कान तक उठा कर प्रणाम करे, छत्रिय वछस्थल तक, वैश्य कमर तक व शुद्र हाथ जोड़कर व नीचे झुककर |
(आपस्तब धर्मसुत्र १२५/१६)
२२- जो शुद्र अपने प्राण,धन तथा स्त्री को ब्राम्हण को अर्पित कर दे उस शुद्र का भोजन ग्राहय है |
(विष्णु पुराण ५/११)
२३- ब्राम्हण की उत्पत्ति देवताओ से व शुद्रो की उत्पत्ति असुरो से हुई है |
(तैतरीय ब्राम्हण १/२/६/७)
२४- यदि शुद्र जप, होम आदि शुभ कर्म करे तो वह राजा द्वारा दण्डनीय है |
(गौतम धर्मसुत्र १२/४/९)
२५- यग्य करते समय शुद्र से बात नही करनी चाहिए |
(शतपत ब्राम्हण ३/१/१०)
📚सब ग्रन्थो मे हमारा अपमान📚
📚सब ग्रन्थ हमारी दासता के स्त्रोत📚


आरक्षण तो हिन्दू वर्ण व्यवस्था की देन है ।
हिन्दू वर्णव्यवस्था कहती है ,
ब्राह्मणों को पूजापाठ करना चाहिए और क्षत्रिय को रक्षा करनी चाहिए ।
और वैश्य को व्यवसाय करना चाहिए।
और शुद्रो को सेवा करनी चाहिए ।

इसलिए ब्राह्मणों पूजापाठ करो ।
वैश्य व्यवसाय करे ।
क्षत्रिय आर्मी में या पुलिस सेवा में काम करे ।
और बाकि सारी नौकरियां चाहे सरकारी हो या प्राइवेट हो SC-ST-OBC को मिले ।100% मिले ।
क्यों की यही तो उनकाधर्म कह रहा है ।

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