प्रेम विवाह -पुराने समय से ही होते आये हैं। और हो रहे हैं। और आगे भी होते रहेंगे। चाहे हमारा समाज इस कृत्य को अच्छी या बुरी किसी भी दृषिट से देखे।
हमारे नवयुवक प्रेम विवाह करते रहेंगे।
सच्चाई ईए है की कुछ जन्म कुंडलियों में एसे योग होते हैं। कि नव युवक समाज परिवार की परवाह किये बिना ऐसा करने को मजबूर हो जाते हैं।
इये योग में बताता हूँ। जब किसी की कुंडली में घर 1 का सम्बन्ध घर 5 7 से बन जाता है। 1 5 7 के मालिक ग्रह एक दूसरे के घरों में बैठ जाएँ या दृस्टी सम्बन्ध बनायें तो प्रेम विवाह होता है। साथ ही जब घर 12 का सम्बन्ध घर 5 7 से से बने तब भी प्रेम विवाह होता है।12 5 7 के ग्रह एक दुसरे के घरों में बैठ जाएँ या दृस्टि सम्बन्ध बना लें।
लेकिन किसी का घर 5 का मालिक ग्रह घर 12 में बैठ जाये ध्यान दें घर 12 में बैठ जाये तो उसका प्रेमी उसे छोड़ के चला जाता है। धोखा देता है।
साथ ही जब किसी का शुक्र ग्रह जब घर 8 में बैठ जाये या राहु घर 5 में हो तो प्रेम विवाह सम्भव नहीं होता।
और किसी की कुंडली में शुक्र देव घर 5 में बैठ जाएँ तो उसे प्रेम विवाह करना तो क्या ऐसा सोचना भी नहीं चाहिए। क्यूंकि अगर ऐसा व्यकित प्रेम विवाह परिवार की इच्छा के खिलाफ जाके करता है तो बाद में उसे बहुत बड़ी परेशानियां उठानी पड़ेंगी। बर्बाद हो जायेगा। इज्जत मान सम्मान रुपया पैसा की भारी कमी रहेगी।
विवाह (ऑरेन्ज मैरिज) हमारे प्राचीन जियोतिष् के अनुसार विवाह के समय गुण मिलान किया जाता है। उसमे 36 गुण में से 18 या 18 से ज्यादा मिलने पर जियोतशी बोल देते हैं विवाह कर दो गुण मिल रहे हैं ।पर उसमे भी भकूट और नाडी दोष को देखना चाहिए।नाडी और भकूट देखे बिना विवाह के बाद परेसानी आतीं हैं।
यहां में सभी को एक बात और बताना चाहता हूँ की कुछ विद्वान् बोलते नाम से भी गुण मिलान करते हैं जब किसी की कुंडली ना हो। जोकि सरासर गलत है ।गुण मिलान हमेशा कुंडली देख के ही किया जाता है।
इतना सब होने के बाद भी वैदिक जियोतिश में कुंडली मिलान का बहुत ही छोटा स्वरूप् है जो ज्यादा कामयाब नहीं है।
लाल किताब में कुंडली मिलान का बहुत ही सुंदर और कामयाब स्वरूप् है।जिसका पालन करने से वैवाहिक सम्बंधों का पूरा आनन्द लिया जा सकता है। क्यूंकि लाल किताब में घर 2 ससुराल का सुख घर 4 घर का माहौल घर 7 पति से या पत्नी से सम्बन्ध घर 12 बिस्तर के सुख। लाल किताब में इन सभी बातों को देखा जाता है चाहे गुण 18 मिलें या 18 से भी कम उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
लाल किताब में उपरोक्त बातों का ध्यान करके गुण मिलान किया जाता है जो ज्यादा सटीक है।
एक बात और 2 4 7 12 घरों में पापी या मंदे नीच ग्रह बैठे हों तो वैवाहिक सम्बन्धों को ख़राब करते हैं।तलाक करबाते हैं।आपस में मार पीट क्लेश होता है।
एक बात और में यहाँ साफ कर देना चाहता हूँ की वैवाहिक सम्बन्धो का सबसे बड़ा कारक ग्रह शुक्र है
अगर किसी की कुंडली में शुक्र के साथ सूर्य राहु या केतु बैठ जाएँ तो भी सम्बन्ध ख़राब हो जाते हैं।
किसी की कुंडली में शुक्र के पक्के घर 7 में सूर्य या राहु बैठ जाएँ तो भी उसकी वैवाहिक जिंदगी नस्ट हो जाती है।
लेकिन में इये बात दावे से कहता हूँ क़ि घबराने की जरूरत नहीं लाल किताब में ऐसे सभी दोषों का इलाज है। आप लाल किताब के उपाय करके अच्छी जिंदगी जी सकते हैं।
हमारे नवयुवक प्रेम विवाह करते रहेंगे।
सच्चाई ईए है की कुछ जन्म कुंडलियों में एसे योग होते हैं। कि नव युवक समाज परिवार की परवाह किये बिना ऐसा करने को मजबूर हो जाते हैं।
इये योग में बताता हूँ। जब किसी की कुंडली में घर 1 का सम्बन्ध घर 5 7 से बन जाता है। 1 5 7 के मालिक ग्रह एक दूसरे के घरों में बैठ जाएँ या दृस्टी सम्बन्ध बनायें तो प्रेम विवाह होता है। साथ ही जब घर 12 का सम्बन्ध घर 5 7 से से बने तब भी प्रेम विवाह होता है।12 5 7 के ग्रह एक दुसरे के घरों में बैठ जाएँ या दृस्टि सम्बन्ध बना लें।
लेकिन किसी का घर 5 का मालिक ग्रह घर 12 में बैठ जाये ध्यान दें घर 12 में बैठ जाये तो उसका प्रेमी उसे छोड़ के चला जाता है। धोखा देता है।
साथ ही जब किसी का शुक्र ग्रह जब घर 8 में बैठ जाये या राहु घर 5 में हो तो प्रेम विवाह सम्भव नहीं होता।
और किसी की कुंडली में शुक्र देव घर 5 में बैठ जाएँ तो उसे प्रेम विवाह करना तो क्या ऐसा सोचना भी नहीं चाहिए। क्यूंकि अगर ऐसा व्यकित प्रेम विवाह परिवार की इच्छा के खिलाफ जाके करता है तो बाद में उसे बहुत बड़ी परेशानियां उठानी पड़ेंगी। बर्बाद हो जायेगा। इज्जत मान सम्मान रुपया पैसा की भारी कमी रहेगी।
विवाह (ऑरेन्ज मैरिज) हमारे प्राचीन जियोतिष् के अनुसार विवाह के समय गुण मिलान किया जाता है। उसमे 36 गुण में से 18 या 18 से ज्यादा मिलने पर जियोतशी बोल देते हैं विवाह कर दो गुण मिल रहे हैं ।पर उसमे भी भकूट और नाडी दोष को देखना चाहिए।नाडी और भकूट देखे बिना विवाह के बाद परेसानी आतीं हैं।
यहां में सभी को एक बात और बताना चाहता हूँ की कुछ विद्वान् बोलते नाम से भी गुण मिलान करते हैं जब किसी की कुंडली ना हो। जोकि सरासर गलत है ।गुण मिलान हमेशा कुंडली देख के ही किया जाता है।
इतना सब होने के बाद भी वैदिक जियोतिश में कुंडली मिलान का बहुत ही छोटा स्वरूप् है जो ज्यादा कामयाब नहीं है।
लाल किताब में कुंडली मिलान का बहुत ही सुंदर और कामयाब स्वरूप् है।जिसका पालन करने से वैवाहिक सम्बंधों का पूरा आनन्द लिया जा सकता है। क्यूंकि लाल किताब में घर 2 ससुराल का सुख घर 4 घर का माहौल घर 7 पति से या पत्नी से सम्बन्ध घर 12 बिस्तर के सुख। लाल किताब में इन सभी बातों को देखा जाता है चाहे गुण 18 मिलें या 18 से भी कम उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
लाल किताब में उपरोक्त बातों का ध्यान करके गुण मिलान किया जाता है जो ज्यादा सटीक है।
एक बात और 2 4 7 12 घरों में पापी या मंदे नीच ग्रह बैठे हों तो वैवाहिक सम्बन्धों को ख़राब करते हैं।तलाक करबाते हैं।आपस में मार पीट क्लेश होता है।
एक बात और में यहाँ साफ कर देना चाहता हूँ की वैवाहिक सम्बन्धो का सबसे बड़ा कारक ग्रह शुक्र है
अगर किसी की कुंडली में शुक्र के साथ सूर्य राहु या केतु बैठ जाएँ तो भी सम्बन्ध ख़राब हो जाते हैं।
किसी की कुंडली में शुक्र के पक्के घर 7 में सूर्य या राहु बैठ जाएँ तो भी उसकी वैवाहिक जिंदगी नस्ट हो जाती है।
लेकिन में इये बात दावे से कहता हूँ क़ि घबराने की जरूरत नहीं लाल किताब में ऐसे सभी दोषों का इलाज है। आप लाल किताब के उपाय करके अच्छी जिंदगी जी सकते हैं।
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