शुक्र देव आकाश मण्डल में सूर्य चन्द्र के बाद सबसे ज्यादा चमकने बाले ग्रह हैं। ऐ हमेशा सूर्य देव के आस पास ही भृमण करते हैं।
एस्ट्रोलॉजी में शुक्र देव को राक्षसों का गुरु माना जाता है। लेकिन सांसारिक तौर पर शुक्र का सम्बन्ध हमारे जीवन साथी प्रेमी प्रेमिका खूबसूरती घूमने फिरने शौक मौज सारीरिक जोश सुंदर वस्तुओं ग्रहथ सुख सम्भोग के सुख से है।
शुक्र देव जब घर 2 3 4 7 10 12 में हों तो अपने अच्छे फल देते हैं पर उस समय इये भी देखना जरूरी है की शुक्र के साथ दुश्मन ग्रह सूर्य राहु चंद्र ना हो और ना ही दृष्टी आदि से शुक्र को ख़राब कर रहे हों। तो ऐसे व्यकित को शुक्र के अच्छे फल मिलते हैं।
जब शुक्र अच्छे हों व्यकित को प्रेमी प्रेमिका जीवन साथी के पूरे सुख मिलते हैं। उसका साथी वफादार होता है और उनके बीच पूरी जिंदगी एक दुसरे के लिए समर्पण भाव बना रहता है।
शुक्र देव को जियोतिष् अनुसार माता लक्ष्मी भी माना जाता है क्यूंकि शुक्र देव जब अच्छे हों तो रूपया पैसा आभूषण भरपूर देते हैं। जब रुपया पैसा भरपूर मात्रा में हो तो बुद्धि भी अच्छी हो जाती है। जिस कारण व्यकित जो भी कार्य करता है उसमे सफल होता है।
शुक्र अच्छे बाले जातक को सुंदर जीवन साथी मिलता है। दोनों साथ साथ घूमते फिरते हैं। घर में साज सज्जा की सभी वस्तुएं होती हैं। घर में किसी प्रकार की कमी नहीं होती। ऐसे व्यकित का घर भी सुंदर होता है।घर में शौक मौज का पूरा सामान होता है। सम्भोग के सुख अच्छे होते हैं। शरीर में भरपूर जोश होता है। ऐसे व्यकित के घर का माहौल हमेशा प्रेममय रहता है।
लेकिन जब किसी की कुंडली में शुक्र देव नीच मन्दे या दुश्मन ग्रहों के साथ बैठ जाएँ या दृष्टि अदि से पीड़ित हों तो शुक्र के बुरे फल मिलते हैं।
बुरे शुक्र बाला जातक दुसरे जोड़ों जो प्यार से रहते हैं घुमते फिरते हैं उनसे जलता भुनता है और उनके प्यार मोह्हबत में बुराई ढूँढता रहता है। ऐसे व्यकित के सरीर में जोश की कमी हो जाती है।
उसे हर समय आलस घेरे रहता है।जिस कारण ऐसा जातक सुबह जल्दी बिस्तर नहीं छोड़ता जिस कारण से शुक्र के फल और भी बुरे हो जाते हैं।
ऐसे व्यकित के घर में धुल मिटटी गन्दगी रहती है। घर का सामान सलीके तरीके से सही जगह नहीं होता यंहां वंहा बिखरा रहता है। साज सज्जा का सामान खरीदने के पैसे नहीं होते।रुपया पैसा की कमी बनी रहती है।
शुक्र का सम्बन्ध राहू के साथ हो जाये तो आपस में शक वहम मार पीट तक होती है।ऐसे जातक को गुप्त रोग हो जाते हैं।नपुनशक्ता तक हो जाती है। ऐसा व्यकित अपने साथी को तंग ही करता है।
शुक्र का सम्बन्ध सूर्य के साथ होने से सम्भोग की इच्छा बहुत कम हो जाती है। वो भी जीवन साथी को खुश नहीं रख पाता।खुद के व् साथी के शरीर में अंदरूनी कमजोरी हो जाती है जो आशानी से पकड़ में नहीं आती।
जब शुक्र का सम्बन्ध चंद्र देव के साथ हो जाये तो ऐसे जातक का सम्बन्ध अपनी सास के साथ अच्छा नहीं होता। अगर ऐसा योग लड़की की कुंडली में हो तो उसे सास की तरफ से कभी चैन नहीं मिलता। सास के साथ सम्बन्ध ख़राब ही रहते हैं। ऐसे व्यकित की माँ को आँखों या चमड़ी से सम्बंधित बीमारी घेर लेती है और खुद भी आँखों या चमड़ी की बीमारी से परेशान होता है।
एस्ट्रोलॉजी में शुक्र देव को राक्षसों का गुरु माना जाता है। लेकिन सांसारिक तौर पर शुक्र का सम्बन्ध हमारे जीवन साथी प्रेमी प्रेमिका खूबसूरती घूमने फिरने शौक मौज सारीरिक जोश सुंदर वस्तुओं ग्रहथ सुख सम्भोग के सुख से है।
शुक्र देव जब घर 2 3 4 7 10 12 में हों तो अपने अच्छे फल देते हैं पर उस समय इये भी देखना जरूरी है की शुक्र के साथ दुश्मन ग्रह सूर्य राहु चंद्र ना हो और ना ही दृष्टी आदि से शुक्र को ख़राब कर रहे हों। तो ऐसे व्यकित को शुक्र के अच्छे फल मिलते हैं।
जब शुक्र अच्छे हों व्यकित को प्रेमी प्रेमिका जीवन साथी के पूरे सुख मिलते हैं। उसका साथी वफादार होता है और उनके बीच पूरी जिंदगी एक दुसरे के लिए समर्पण भाव बना रहता है।
शुक्र देव को जियोतिष् अनुसार माता लक्ष्मी भी माना जाता है क्यूंकि शुक्र देव जब अच्छे हों तो रूपया पैसा आभूषण भरपूर देते हैं। जब रुपया पैसा भरपूर मात्रा में हो तो बुद्धि भी अच्छी हो जाती है। जिस कारण व्यकित जो भी कार्य करता है उसमे सफल होता है।
शुक्र अच्छे बाले जातक को सुंदर जीवन साथी मिलता है। दोनों साथ साथ घूमते फिरते हैं। घर में साज सज्जा की सभी वस्तुएं होती हैं। घर में किसी प्रकार की कमी नहीं होती। ऐसे व्यकित का घर भी सुंदर होता है।घर में शौक मौज का पूरा सामान होता है। सम्भोग के सुख अच्छे होते हैं। शरीर में भरपूर जोश होता है। ऐसे व्यकित के घर का माहौल हमेशा प्रेममय रहता है।
लेकिन जब किसी की कुंडली में शुक्र देव नीच मन्दे या दुश्मन ग्रहों के साथ बैठ जाएँ या दृष्टि अदि से पीड़ित हों तो शुक्र के बुरे फल मिलते हैं।
बुरे शुक्र बाला जातक दुसरे जोड़ों जो प्यार से रहते हैं घुमते फिरते हैं उनसे जलता भुनता है और उनके प्यार मोह्हबत में बुराई ढूँढता रहता है। ऐसे व्यकित के सरीर में जोश की कमी हो जाती है।
उसे हर समय आलस घेरे रहता है।जिस कारण ऐसा जातक सुबह जल्दी बिस्तर नहीं छोड़ता जिस कारण से शुक्र के फल और भी बुरे हो जाते हैं।
ऐसे व्यकित के घर में धुल मिटटी गन्दगी रहती है। घर का सामान सलीके तरीके से सही जगह नहीं होता यंहां वंहा बिखरा रहता है। साज सज्जा का सामान खरीदने के पैसे नहीं होते।रुपया पैसा की कमी बनी रहती है।
शुक्र का सम्बन्ध राहू के साथ हो जाये तो आपस में शक वहम मार पीट तक होती है।ऐसे जातक को गुप्त रोग हो जाते हैं।नपुनशक्ता तक हो जाती है। ऐसा व्यकित अपने साथी को तंग ही करता है।
शुक्र का सम्बन्ध सूर्य के साथ होने से सम्भोग की इच्छा बहुत कम हो जाती है। वो भी जीवन साथी को खुश नहीं रख पाता।खुद के व् साथी के शरीर में अंदरूनी कमजोरी हो जाती है जो आशानी से पकड़ में नहीं आती।
जब शुक्र का सम्बन्ध चंद्र देव के साथ हो जाये तो ऐसे जातक का सम्बन्ध अपनी सास के साथ अच्छा नहीं होता। अगर ऐसा योग लड़की की कुंडली में हो तो उसे सास की तरफ से कभी चैन नहीं मिलता। सास के साथ सम्बन्ध ख़राब ही रहते हैं। ऐसे व्यकित की माँ को आँखों या चमड़ी से सम्बंधित बीमारी घेर लेती है और खुद भी आँखों या चमड़ी की बीमारी से परेशान होता है।
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