भारतीय विवाह परम्परा मे गौत्र
अब तो ये वैज्ञानिकों ने भी माना है की सगोत्र विवाह से शारीरिक रोग , अल्पायु , कम बुद्धि, रोग निरोधक क्षमता की कमी, अपंगता, विकलांगता सामान्य विकार होते हैं. भारतीय परम्परा मे सगोत्र विवाह न होने का यह भी एक परिणाम है कि सम्पूर्ण विश्व मे भारतीय सब से अधिक बुद्धिमान माने जाते हैं.
विभिन्न समुदायों में गौत्र की संख्या अलग अलग है। प्राय: तीन गौत्र को छोड़ कर ही विवाह किया जाता है एक स्वयं का गौत्र, दूसरा माँ का गौत्र (अर्थात माँ ने जिस कुल/गौत्र में जन्म लिया हो) और तीसरा दादी का गौत्र। कहीं कहीं नानी के गौत्र को भी माना जाता है और उस गौत्र में भी विवाह नहीं होता। किन्तु यह गौरव शाली परंपरा को धीरे धीरे आधुनिकता ने नाम पर नष्ट करने का प्रयास हो रहा है।
पहले 6 पीढ़ियों तक निषेध था . अब तो आधुनिक विज्ञान भी मानता है की ६ पीढ़ी तक जीन्स अपना असर दिखा सकते है . वह सुप्त अवस्था से जागृत हो सकते है. हमें गर्व है अपने वैज्ञानिक धर्म पर .........
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