Wednesday, January 20, 2016

गीत

तुम अपना रंजो गम अपनी परेशानी मुझे दे दो 
तुम्हे गम की कसम इस दिल की वीरानी मुझे दे दो ।

ये माना मैं किसी काबिल नहीं हूँ इन निगाहों मे
बुरा  क्या है अगर ये दुःख ये हैरानी  मुझे दे दो ।

मैं देखूं तो सही दुनिया तुम्हे  कैसे सताती है 
कोई दिन के लिए अपनी निगेहबानी  मुझे दे दो ।

वो दिल जो  मैंने माँगा था मगर गैरों ने पाया था  
बड़ी शै है अगर उसकी पशेमानी मुझे दे दो ।


 गीतकार : साहिर लुधियानवी , गायक : जगजीत कौर,
 संगीतकार : खय्याम, चित्रपट : शगून - १९६४

ये दिल तुम बिन कही लगता नहीं, हम क्या करें 
तसव्वुर में कोई बसता नहीं, हम क्या करें 
तुम ही कह दो अब ऐ जान-ए-वफ़ा हम क्या करें

लूटे दिल में दिया जलता नहीं, हम क्या करें
तुम ही कह दो अब ऐ जान-ए-अदा हम क्या करें 

किसी के दिल में बस के दिल को तड़पाना नहीं अच्छा 
निगाहों को झलक दे दे के छुप जाना नहीं अच्छा 
उम्मीदों के खिले गुलशन को झुलसाना नहीं अच्छा 
हमें तुम बिन कोई जँचता नहीं, हम क्या करें

मोहब्बत कर तो लेकिन मोहब्बत रास आये भी
दिलों को बोझ लगते हैं कभी जुल्फों के साये भी
हज़ारो गम हैं इस दुनिया में अपने भी पराये भी
मोहब्बत ही का गम तनहा नहीं, हम क्या करें

बुझा दो आग दिल की या इसे खुलकर हवा दे दो
जो इस का मोल दे पाये, उसे अपनी वफ़ा दे दो
तुम्हारे दिल में क्या है बस हमें इतना पता दे दो
के अब तनहा सफ़र कटता नहीं, हम क्या करें
गीतकार : साहिर लुधियानवी, गायक : लता - रफी, संगीतकार : लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, चित्रपट : इज्जत (१९६८)
जाने वो कैसे लोग थे जिन के प्यार को प्यार मिला
हम ने तो जब कलियाँ माँगी, काँटों का हार मिला

खुशियों की मंज़िल ढूँढी तो ग़म की गर्द मिली
चाहत के नग्में चाहे तो आहें सर्द मिली
दिल के बोझ को दुना कर गया, जो ग़मख़ार मिला

बिछड़ गया हर साथी दे कर पल दो पल का साथ
किस को फुरसत है जो थामें दीवानों का हाथ
हम को अपना साया तक अक्सर बेज़ार मिला

इस को ही जीना कहते हैं तो यूँ ही जी लेंगे
उफ़ ना करेंगे, लब सी लेंगे, आँसू पी लेंगे
ग़म से अब घबराना कैसा, ग़म सौ बार मिला
गीतकार : साहिर लुधियानवी, गायक : हेमंत कुमार, संगीतकार : सचिनदेव बर्मन, चित्रपट : प्यासा (१९५७)


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