Monday, September 29, 2014

कबीर दास जयन्ती मुबारक


आप सभी को कबीर दास जयन्ती मुबारक
प्रेम न बाड़ी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय।
राजा परजा जेहि रूचै, सीस देइ ले जाय।।
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं।
प्रेम गली अति साँकरी, तामें दो न समाहिं।।
जिन ढूँढा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैठ।
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।।
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो मन खोजा अपना, मुझ-सा बुरा न कोय।।
साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
जाके हिरदै साँच है, ताके हिरदै आप।।
बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि।
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।।
अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।
काल्ह करै सो आज कर, आज करै सो अब्ब।
पल में परलै होयगी, बहुरि करैगो कब्ब।
निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय।
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।।
दोस पराए देखि करि, चला हसंत हसंत।
अपने या न आवई, जिनका आदि न अंत।।
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ग्यान।
मोल करो तलवार के, पड़ा रहन दो म्यान।।
सोना, सज्जन, साधुजन, टूटि जुरै सौ बार।
दुर्जन कुंभ-कुम्हार के, एकै धका दरार।।
पाहन पुजे तो हरि मिले, तो मैं पूजूँ पहाड़।
ताते या चाकी भली, पीस खाए संसार।।
काँकर पाथर जोरि कै, मस्जिद लई बनाय।
ता चढ़ मुल्ला बांग दे, बहिरा हुआ खुदाए।।

Saturday, September 27, 2014

दया धर्म का मूल है'

हम बचपन से पढ़ते, सुनते आ रहे हैं ‍‍कि 'दया धर्म का मूल है'। सभी धर्मग्रंथों में दया पर ही अधिक जोर दिया गया है। अगर आप दया नहीं कर सकते हैं तो आपका यह मानव जीवन निरर्थक है। यह तो उसी प्रकार की बात हुई कि जन्म लिया, खाए-पिए, बड़े हुए, विवाह-शादी हुई, वंशवृद्धि की परिवार को आगे बढ़ाया और कालांतर में जीवन यात्रा पूरी कर पहुंच गए भगवान के घर। ऐसा जीवन तो पशु-पक्षी भी जीते हैं। ...तो फिर हम इंसानों व पशु-पक्षियों में क्या अंतर रह जाता है?

बच्चों पर करें दया :- छोटे बच्चे, बिलखते बच्चे, भूखे, बीमार बच्चे, वृद्ध-वृद्धा... यह फेहरिस्त काफी लंबी है। हे मनुष्य आत्माओं, तुम इन पर दया करो। तुम्हें भगवान मिलेंगे। सिर्फ पूजा-हवन से भगवान नहीं मिलने वाला है। आपको ईश्वर की प्राप्ति के लिए दयालु बनना होगा। मन में दयाभाव व इंसानों के प्रति करुणा, विनम्रता व सहनशीलता रखनी होगी।

मदर टेरेसा, महात्मा गांधी, मार्टिन लूथर किंग, विनोबा भावे तथा ईश्वरचंद्र विद्यासागर आदि ऐसे अनेक नाम हैं जिन्होंने अपनी दया-धर्म के बल पर ही सारे संसार में अपना नाम रोशन किया। जिसकी आभा, दीप्ति से सारा जग-संसार आज भी प्रकाशमान/प्रकाशवान है। ऐसी ‍महान वि‍भूतियों के आदर्शों का अगर हम अनुसरण व अनुकरण करें तो संसार में कोई समस्या ही नहीं रहे। 'सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे भवंतु निरामया' की भावना से संसार में सर्वत्र हरियाली व खुशहाली जैसा माहौल बन जाएगा। कहा भी गया है कि मानवता (इंसानियत) दुनिया को एकजुट करने वाली ताकत है।

क्या करें दया के लिए.... :- 'अंकल/ आंटी प्लीज... एक मिनट...' यह वाक्य आपने भी कई बार सड़क से गुजरते हुए सुना, देखा होगा। स्कूल या काम पर जाते बच्चे इस तरह की लिफ्ट मांगते हैं और लोग हैं कि 'इनको' नजरअंदाज कर निकल जाते हैं। यह बात विडंबना की ही कही जाएगी। अरे भाई, किसी बच्चे को अगर आप अपने वाहन पर बिठाकर उसके मुकाम या उसके नजदीकी ठिकाने तक ही छोड़ दें तो आपको उसकी जो दुआएं मिलेंगी वो आपका जीवन सार्थक कर देंगी। आपको अपार खुशी तो मिलेगी ही इस बात की कि 'आज मैंने अपनी जिंदगी में एक अच्‍छा काम किया।'

देखिएगा कि भगवान की सिर्फ पूजा-पाठ व हवन-पूजन, जप तथा उसके नाम की माला फेरने-भर से कुछ नहीं होने वाला है। आपको ईश्वर-प्राप्ति की चाह है गर तो आपको अपने आचरण को थोड़ा-सा ही सही, लेकिन सुधारना जरूर होगा।

सिर्फ अपने लिए ही नहीं जिएं :- मन्ना डे की आवाज में पुरानी फिल्म का एक गाना है- 'अपने लिए जिए तो क्या जिए, तू जी ऐ दिल जमाने के लिए।' यह गीत आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में बिलकुल सटीक बैठता है। आज हर किसी के पास एक ही चीज का अभाव है, वह है- समय। जब भी कोई कार्य के बारे में किसी को कहा जाता है तो वह यही कहता है कि 'यार, क्या करूं, मेरे पास टाइम नहीं है।' ये रटा-रटाया शब्द अधिकतर लोगों की जुबान पर रखा ही रहता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि पी‍ड़ित मानवता की सेवा कैसे की जाए?

ऐसे करें सेवा... :- ठीक है आपके पास समय नहीं है तो आज के मोबाइल, ई-मेल व इंटरनेट के जमाने में भी आप 'दया को अर्पित' कर सकते हैं... वो भी घर बैठे ही! वो कैसे? ठीक है यदि आपके पास अनाथालय (अनाथाश्रम), वृद्धाश्रम, महिला श्राविका आश्रम, महिला उद्धार गृह, कुष्ठ उद्धार गृह आदि जगहों पर जाने का समय नहीं है तो आप इन आश्रमों के फोन, मोबाइल नंबरों पर संपर्क कर अपनी दान राशि भेंट कर सकते हैं। इन आश्रमों के कर्मचारी आपके घर आकर दान राशि ले जाएंगे तथा आप पुण्य के भागी बन जाएंगे।

'रोटी सेवा' की जाए :- यह लेखक अपने अनुभव आप सबके सामने साझा कर रहा है। बात कोई 2003 की है। इस लेखक को टाइफाइड, पीलिया, मलेरिया, अनिद्रा तथा जबर्दस्त दस्त की शिकायत हो गई थी। तब यह इंदौर क्लॉथ मार्केट अस्पताल में भर्ती था। इस दौरान इन्होंने देखा कि ठीक 4 बजे कुछ लोग पॉलिथीन की एक थैली में रोटी तथा एक थैली में सब्जी लेकर वार्ड-वार्ड में घूम-घूमकर मरीजों को दे रहे थे वो भी मात्र 1 रुपए में। उस समय (2003) में भी इस भोजन-सेवा की कीमत आज के 5 रुपए से कम नहीं रही होगी, पर वे मात्र 1 रुपए में यह सेवा कर रहे थे।

जानकारी लेने पर मालूम हुआ था कि कुछ लोगों ने इस सेवा हेतु एक ग्रुप बनाया हुआ है तथा ग्रुप के सदस्य हर माह अपनी आमदनी में से कुछ पैसा इस ग्रुप (संगठन) में देते हैं तथा एक बाई (खाना बनाने वाली) को रखकर खाना बनवा कर अस्पताल में सप्लाय कर दिया जाता है। ...तो है न यह सेवा का अनूठा जज्बा!

आत्मसंतुष्टि मिलती है :- अगर आप किसी की एक छोटी-सी भी मदद करते हैं तो वह व्यक्ति कृतज्ञ भाव से आपकी ओर देखता है तब आपको जो आत्मसंतोष मिलता है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। कभी आप भूखे बच्चों को रोटी खिलाकर, फटेहाल व ठंड में ठिठुरते लोगों को वस्त्र पहनाकर, किसी सताई हुई नारी को यह दिलासा देते हुए कि 'बहन चिंता मत कर, तेरा भाई जिंदा है' उसके सिर पर अगर आप हाथ रखेंगे तो भावुकतावश आपकी आंखों से भी इस बात को लेकर अश्रुधारा बह निकलेगी कि आज मैंने जिंदगी में अच्‍छा काम किया है। जब ईश्वर के सामने हम अपने कर्मों का हिसाब-किताब देने हेतु खड़े होंगे तो बिलकुल निश्चिंत होंगे, क्योंकि आपके मन में यह भाव लगा रहेगा कि मैंने अपनी जिंदगी में‍ किसी आत्मा को कभी कोई कष्ट नहीं पहुंचाया।

...न बुरा बोलें व न बुरा करें :- एक इंसान होने के नाते हर व्यक्ति को चाहिए कि वह कभी भी किसी को बुरा नहीं बोले और न ही कभी बुरा कर्म ही करें। अगर आप किसी को बुरा बोलते हैं तो उसके वायब्रेशन सारे वायुमंडल में फैल जाते हैं। यह अपने, सामने वाले के साथ ही वातावरण को भी प्रदूषित करते हैं, अत: सदैव मीठा बोलें। यही बात कर्म पर भी लागू होती है। हमारे कर्म जितने अच्छे होंगे, हम ईश्वर के उतने ही करीब होंगे।

रास्ते का पत्थर ही हटा दें :- ठीक है आपके पास पैसे नहीं है। तो आप यह काम तो कर ही सकते हैं कि रास्ते में एक पत्थर पड़ा है, जो आते-जाते लोगों को लहूलुहान कर रहा है। कई लोग ठोकर खाकर गिर पड़ते हैं, कई को गंभीर चोट लग भी सकती है या लगती भी है। तो अपने को चाहिए कि वो पत्थर उस जगह से हटा कर एक तरफ रख दें। अपने इस जरा-से कष्ट कई लोगों को सुविधा हो जाएगी। आपका अनजाने व खामोशी से किया गया यह कर्म आपको भी आत्मसंतुष्टि देगा व लोगों की दुआएं भी आपको मिलेंगी।

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ये भी कर सकते हैं :- कई चौराहों व रास्तों पर देखा गया है कि बच्चे, बुजुर्ग व महिलाएं रास्ता पार करने हेतु ट्रैफिक रुकने का इंतजार कर रहे होते हैं, किंतु ट्रैफिक है कि रुकने का ही नाम नहीं लेता। आप ऐसी स्थि‍ति में उनकी मदद के लिहाज से उनका हाथ पकड़कर रास्ता पार करा सकते हैं। यह भी बिना खर्च किए मुफ्त की एक अच्‍छी 'मानव-सेवा' है।

मानव सेवा, माधव सेवा : मानव की सेवा माधव (भगवान) की सेवा के बराबर मानी गई है। आप चाहें चारों धाम की यात्रा करो, लेकिन एक इंसान की सेवा अगर जरूरत के समय नहीं करते हैं तो चारों धाम की यात्रा का कोई फल नहीं मिलने वाला। खराब वचन और खराब कर्म करने के बाद भगवान को जल, अर्घ्य व एक मन चावल अर्पित करके आप अपने द्वारा किए गए पाप से बरी नहीं हो सकते। कर्मों का फल तो हर व्यक्ति को भुगतना ही पड़ता है। इससे भगवान भी नहीं बच सके हैं तो इंसान की क्या बिसात?

जिंदा हैं जिनके दम पर नाम-ओ-निशां हमारे :- यह उक्ति आपने कई बार सुनी, पढ़ी होगी। उक्त पंक्तियों का शाब्दिक अर्थ यह है कि वे लोग जो श्रेष्ठ कर्म करते हैं तथा समाज में जिनकी ‍कीर्ति है, उनके दम पर ही हमारे नाम-ओ-निशां जिंदा (बाकी) हैं। अगर समाज से श्रेष्ठ कर्म यानी दया-भाव का खात्मा हो जाए तो यह बस्ती इंसानों की बस्ती न कहलाकर पशु-पक्षियों से भी गई-बीती बस्ती कहलाएगी। इंसान द्वारा इंसान से प्रेम किया जाना मनुष्यता की पहली पहचान है।

इस प्रकार हम भी अधिक नहीं तो थोड़ी सी दया-भावना मन में रखकर पी‍ड़ित मानवता की सेवा कर इस उक्ति को सार्थक कर सकते हैं कि दया धर्म का मूल है।

मालवा के 'मदर टेरेसा' (सुधीर भाई गोयल) :- सेवाधाम आश्रम, उज्जैन के संचालक का नाम संपूर्ण मालवा अंचल सहित सारे देश में जाना-पहचाना है। उनके द्वारा किए गए सेवा कार्य की सुगंध सर्वत्र बिखरती जा रही है। उनमें 'मानव सेवा, माधव सेवा' का जज्बा कूट-कूट कर भरा हुआ है। उनके क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग, या समाज की सताई हुई दुखियारी महिला हो- सबके प्रति 'मानव सेवा, माधव सेवा' की भावना से वे कार्य करते हैं। ‍बीमार, अपाहिज, विकलांग, भूखे, नेत्रहीन व कुष्ठ रोगी के प्रति जो करुणा व दया का भाव उनमें कूट-कूट कर भरा हुआ है वह आजकल अन्यत्र दुर्लभ ही मिलता है। उन्होंने कई असहायों को अपनाया है तथा उनका सेवा कार्य जारी है। इस प्रकार हम दया-भाव रखकर पी‍ड़‍ित मानवता की सेवा कर सकते हैं तथा ईश्वर के काफी करीब हो सकते हैं।

Thursday, September 11, 2014

HOW TO LEARN ENGLISH?

यकीन मानिए पूरा पोस्ट पढने के बाद आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा 
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इस article में मैं Spoken English सीखने से सम्बंधित अपनी thoughts share कर रहा हूँ , यह मेरा व्यक्तिगत दृष्टिकोण है और आप इससे पूरी तरह असहमत भी हो सकते हैं , पर यदि इससे कुछ लोगों को फायदा पहुँचता है तो मुझे ख़ुशी होगी. 

दोस्तों हमारे देश में अंग्रेजी बोलना सीखना एक बहुत बड़ा business है . ख़ास तौर पे छोटे शहरों में इसका कुछ ज्यादा ही craze है . आपको जगह -जगह English Speaking से related ads दिख जायेंगे , “ 90 घंटे में अंग्रेजी बोलना सीखें ,”, ”फर्राटेदार अंग्रेजी के लिए join करें XYZ School of Language” etc.

पर क्या यह school सचमुच इतने effective हैं ? शायद नहीं ! क्योंकि वो पहले ही गलत expectation set कर देते हैं ! मात्र 90 घंटे सीखकर किसी भाषा को आसानी के साथ बोलना बहुत मुश्किल है . हाँ , ये हो सकता है कि कुछ दिन वहां जाकर आप पहले की अपेक्षा थोडा और fluent हो जाएं , पर ऐसे कम ही लोग होते हैं जो सचमुच अपनी इंग्लिश बोलने की काबीलियत का श्रेय ऐसे school को दे सकें.अगर आप पहले से ठीक-ठाक अंग्रेजी बोल लेते हैं और तब ऐसी जगह जाते हैं तो यह आपके लिए फायदेमंद हो सकता है , नहीं तो आपके लिए अच्छा होगा कि आप इस mindset के साथ जाइये कि ऐसे school में जाकर आप एक start कर सकते हैं पर यहाँ से निकलने के बाद भी आपको काफी दिनों तक पूरी dedication के साथ लगे रहना होगा .

तो आइये सबसे पहले मैं आपके साथ अंग्रेजी बोलने से सम्बंधित कुछ myths share करता हूँ :
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English बोलने के लिए grammar अच्छे से आना चाहिए : यह एक बहुत बड़ा myth है , आप ही सोचिये कि जब आपने हिंदी बोलना सीखा तो क्या आपको संज्ञा , सर्वनाम , इत्यादि के बारे में पता था ? नहीं पता था , क्योंकि उसकी जरूरत ही नहीं पड़ी वो तो बस आपने दूसरों को देखकर -सुनकर सीख लिया . उसी तरह अंग्रेजी बोलने के लिए भी Grammar की knowledge जरूरी नहीं है . English Medium school से अच्छी शिक्षा मिलने के कारण मैं अच्छी English बोल लेता हूँ , पर यदि आप मेरा Tenses का test लें तो मेरा पास होना भी मुश्किल होगा .
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कुछ ही दिनों में अंग्रेजी बोलना सीखा जा सकता है : गलत ! अपनी मात्र भाषा से अलग कोई भी भाषा सीखने में समय लगता है . कितना समय लगेगा यह person to person differ करेगा . पर मेरा मानना है कि यदि कोई पहले से थोड़ी बहुत अंग्रेजी जानता है और वो dedicated होकर effort करे तो 6 महीने में अच्छी अंग्रेजी बोलना सीख सकता है .और यदि आप सीख ही रहे हैं तो कामचलाऊ मत सीखिए , अच्छी English सीखिए .

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अंग्रेजी बोलने के लिए अच्छी vocabulary होना जरूरी है : नहीं , vocabulary जितनी अच्छी है उतना अच्छा है , पर generally आम -बोल चाल में जितने words बोले जाते हैं , वो आपको पहले से ही पता होंगे या थोड़ी सी मेहनत से आप इन्हें जान जायेंगे. दरअसल हम जो words जानते हैं बस उन्ही को सही जगह place करने की बात होती है . मैंने कई बार लोगों को एक से एक कठिन words की meaning रटते देखा है, पर ऐसा करना आपकी energy ऐसी जगह लगाता है जहाँ लगाने की फिलहाल ज़रुरत नहीं है.

अगर आप ऊपर दिए गए किसी मिथक को मानते हों तो अब उनसे छुटकारा पा लीजिये , और स्पोकेन इंग्लिश सीखने के लिए नीचे दिए गये सुझावों को अपनाइए .

12 Ideas to Learn Spoken English
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स्पोकेन इंग्लिश सीखने के 12 सुझाव
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1. अपना महौल English बनाएं
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: किसी भी भाषा को सीखने में जो एक चीज सबसे महत्त्वपूर्ण होती है वो है हमारा environment, हमारा माहौल . आखिर हम अपनी मात्र -भाषा छोटी सी ही उम्र में कैसे बोलने लगते हैं :- क्योंकि 24X7 हम ऐसे माहौल में रहते हैं जहाँ वही भाषा बोली , पढ़ी, और सुनी जाती है . इसीलिए अंग्रेजी बोलना सीखना है तो हमें यथा संभव अपने माहौल को English बना देना चाहिए . इसके लिए आप ऐसा कुछ कर सकते हैं:

• हिंदी अखबार की जगह English Newspaper पढना शुरू कीजिये .

• हिंदी गानों की जगह अंग्रेजी गाने सुनिए .

• अपने interest के English program / movies देखिये .

• अपने room को जितना English बना सकते हैं बनाइये ….English posters, Hollywood actors,English books,Cds ..जैसे भी हो जितना भी हो make it English.
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2. ऐसे लोगों के साथ group बनाएं जो आप ही की तरह स्पोकेन इंग्लिश सीखना चाहते हों : कुछ ऐसे दोस्त खोजिये जो आप ही की तरह अंग्रेजी बोलना सीखना चाहते हैं . अगर आपके घर में ही कोई ऐसा है तो फिर तो और भी अच्छा है . लेकिन अगर ना हो तो ऐसे लोगों को खोजिये , और वो जितना आपके घर के करीब हों उतना अच्छा है . ऐसे दोस्तों से अधिक से अधिक बात करें और सिर्फ English में . हाँ ,चाहें तो आप mobile पर भी यही काम कर सकते हैं .
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3. कोई mentor बना लें: किसी ऐसे व्यक्ति को अपना mentor बना लें जो अच्छी English जानता हो, आपका कोई मित्र, आपका कोई रिश्तेदार, कोई पडोसी, कोई अंग्रेजी सीखाने वाला institute ….कोई भी जो आपकी मदद के लिए तैयार हो. आपको अपने मेंटर से जितनी मदद मिल सके लेनी होगी. अगर आप को मेंटर ना मिले तो भी मायूस होने की ज़रुरत नहीं है आप अपने efforts में लगे रहे , मेंटर मिलने सी आपका काम आसानी से होता लेकिन ना मिलने पर भी आप अपने प्रयास से यह भाषा सीख सकते हैं.
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4. पहले दिन से ही correct English बोलने का प्रयास मत करें : अगर आप ऐसा करेंगे तो आप इसी बात में उलझे रह जायेंगे की आप सही बोल रहे हैं या गलत . पहला एक -दो महिना बिना किसी tension के जो मुंह में आये बोले , ये ना सोचें कि आप grammatically correct हैं या नहीं . जरूरी है कि आप धीरे -धीरे अपनी झिझक को मिटाएं .
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5. English सीखने के लिए Alert रहे : वैसे तो मैं अपनी spoken English का श्रेय अपने school St.Paul’s को देता हूँ पर अंग्रेजी के लिए अपनी alertness की वजह से भी मैंने बहुत कुछ सीखा है . मैं जब TV पर कोई English program देखता था तो ध्यान देता था की words को कैसे pronounce किया जा रहा है , और किसी word को sentence में कैसे use किया जा रहा है . इसके आलावा मैंने नए words सीखने के लिए एक diary भी बनायीं थी जिसमे मैं newspaper पढ़ते वक़्त जो words नहीं समझ आते थे वो लिखता था , और उसका use कर के एक sentence भी बनता था , इससे word की meaning याद रखने में आसानी होती थी .
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6. बोल कर पढ़ें : हर रोज आप अकेले या अपने group में तेज आवाज़ में English का कोई article या story पढ़ें . बोल -बोल कर पढने से आपका pronunciation सही होगा , और बोलने में आत्मविश्वास भी बढेगा .
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7. Mirror का use करें : मैं English बोलना तो जानता था पर मेरे अन्दर भी fluency की कमी थी , इसे ठीक करने के लिए मैं अक्सर अकेले शीशे के सामने खड़े होकर English में बोला करता था . और अभी भी अगर मुझे कोई presentation या interview देना होता है तो मैं शीशे के सामने एक -दो बार practice करके खुद को तैयार करता हूँ . आप भी अपने घर में मौजूद mirror का इस्तेमाल अपनी spoken English improve करने के लिए कीजिये . शीशे के सामने बोलने का सबसे बड़ा फायदा है कि आप को कोई झिझक नहीं होगी और आप खुद को improve कर पाएंगे .
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8. Enjoy the process: English बोलना सीखेने को एक enjoyment की तरह देखें इसे अपने लिए बोझ ना बनाएं . आराम से आपके लिए जो speed comfortable हो उस speed से आगे बढें . पर इसका ये मतलब नहीं है कि आप अपने प्रयत्न एकदम से कम कर दें , बल्कि जब आप इसे enjoy करेंगे तो खुद -बखुद इस दिशा में आपके efforts और भी बढ़ जायेंगे . आप ये भी सोचें कि जब आप fluently बोलने लगेंगे तब कितना अच्छा लगेगा , आप का confidence भी बढ़ जायेगा और आप सफलता की तरफ बढ़ने लगेंगे .
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9. English में सोचना शुरू करें : जब इंसान मन में कुछ सोचता है तो naturally वो अपनी मात्र भाषा में ही सोचता है . लेकिन चूँकि आप English सीखने के लिए committed हैं तो आप जो मन में सोचते हैं उसे भी English में सोचें . यकीन जानिये आपके ये छोटे -छोटे efforts आपको तेजी से आपकी मंजिल तक पंहुचा देंगे .
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10. ऐसी चीजें पढ़ें जो समझने में बिलकुल आसान हों: बच्चों की English comics आपकी हेल्प कर सकती है, उसमे दिए गए pictures आपको story समझने में हेल्प करेंगे और simple sentence formation भी आम बोल चाल में बोले जाने वाले सेंटेंसेस पर आपकी पकड़ बना देंगे.
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11. Internet का use करें : आप स्पोकेन इंग्लिश सीखने के लिए इन्टरनेट का भरपूर प्रयोग करें. You Tube पर available videos आपकी काफी हेल्प कर सकते हैं. सही pronunciation और meaning के लिए आप TheFreeDictionary.Com का use कर सकते हैं.
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12. Interest मत loose कीजिये : अधिकतर ऐसा होता है कि लोग बड़े जोशो -जूनून के साथ English सीखना शुरू करते हैं . वो ज्यादातर चीजें करते हैं जो मैंने ऊपर बतायीं , पर दिक्कत ये आती है कि हर कोई अपनी comfort zone में जाना चाहता है . आपकी comfort zone Hindi है इसलिए आपको कुछ दिनों बाद दुबारा वो अपनी तरफ खींचेगी और ऊपर से आपका माहौल भी उसी को support करेगा . इसलिए आपको यहाँ पर थोड़ी हिम्मत दिखानी होगी , अपना interest अपना enthusiasm बनाये रखना होगा . इसके लिए आप English से related अपनी activities में थोडा innovation डालिए . For example : यदि आप रोज़ -रोज़ serious topics पर conversation करने से ऊब गए हों तो कोई abstract topic, या फ़िल्मी मसाले पर बात करें , कोई इंग्लिश मूवी देखने चले जाएँ, या फिर कुछ और करें जो आपके दिमाग में आये.आप एक -दो दिन का break भी ले सकते हैं , और नए जोश के साथ फिर से अपने mission पर लग सकते हैं . पर कुछ ना कुछ कर के अपना interest बनाये रखें . वरना आपका सारा effort waste चला जायेगा .

Bonus Tip : Use your Television

अभी कुछ दिन पहले मैं ग्वालियर अपनी दीदी के यहाँ गया था , वहां मेरा 6 साल का भांजा बड़े मजे से छोटा भीम कार्टून देख रहा था, मैंने notice किया कि चैनल की language English पे सेट है. I think ये एक अच्छा तरीका है इंग्लिश सीखने का, बच्चों के लिए बनाये गए कार्टून्स की भाषा सरल होती है और साथ में चल रहे एनीमेशन से बात को समझना आसान हो जाता है. आप भी इस तरीके का use कर सकते हैं.इसके आलावा आप ऐसे channels भी देख सकते हैं जिसमे subtitles आते हैं. इससे भी आपको भाषा सीखने में मदद मिलेगी.

Friends, English एक universal language है, इसे दुनिया भर में अरबों लोग बोलते हैं, तो आप ही सोचिये जो काम अरबों लोग कर सकते हैं भला आप क्यों नहीं!!! बस इतना याद रखिये कि अंग्रेजी बोलना सीखने का सबसे सरल तरीका है “अंग्रेजी बोलना” और इस लिए आपको ऐसे लोगों के साथ अधिक से अधिक रहना चाहिए जिनसे आप इंग्लिश में बात कर सकते हैं. अपनी झिझक मिटाइए और ऐसे हर एक मौके का फायदा उठाइए जहाँ आपको English बोलने का मौका मिल रहा हो.

तो फिर देर किस बात की है बस लग जाइये अपने efforts में और अपने भाषा ज्ञान में अंग्रेजी भी जोड़ लीजिये.All the best!