Friday, September 27, 2013

ग्राम पंचायत की भूमि एवं पट्टे का विवरण

सेवा में,  
लोक सूचना अधिकारी 
(विभाग का नाम)
(विभाग का पता)

विषय : सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत आवेदन।

महोदय,
.................................... में भूमि सम्बन्धी निम्नलिखित सूचनाएं उपलब्ध् कराएं:

1.  उपरोक्त ग्राम पंचायत के भूमि के सम्बंध् में निम्न विवरण मानचित्र के साथ उपलब्ध् कराएं:
    (क) कितनी भूमि कृषि योग्य है (रकबा नम्बर एवं क्षेत्रफल सहित)
    (ख) कितनी भूमि बंजर है (रकबा नम्बर एवं क्षेत्रफल सहित)
    (ग) चारागाह की भूमि कितनी है (रकबा नम्बर एवं क्षेत्रफल सहित)
    (घ) ग्राम समाज की भूमि कितनी है (रकबा नम्बर एवं क्षेत्रफल सहित)
    (च) मरघट की भूमि कितनी है (रकबा नम्बर एवं क्षेत्रफल सहित)
    (छ) तालाब की भूमि कितनी है (रकबा नम्बर एवं क्षेत्रफल सहित)

2.  विगत 25 वर्ष में उपरोक्त ग्राम पंचायत के कितने परिवारों को निम्नलिखित से सम्बंधित पट्टे दिया गया है? विवरण मानचित्र के साथ उपलब्ध् कराएं:
    (क) कृषि योग्य पट्टे (रकबा नम्बर एवं क्षेत्रफल सहित)
    (ख) आवासीय पट्टे (रकबा नम्बर एवं क्षेत्रफल सहित)
    (ग) खनन योग्य पट्टे (रकबा नम्बर एवं क्षेत्रफल सहित)
    (घ) वनीकरण पट्टे (रकबा नम्बर एवं क्षेत्रफल सहित)
    (ज) अन्य कोई पट्टे (रकबा नम्बर एवं क्षेत्रफल सहित)

3.  वर्ष...............से ..............के दौरान उपरोक्त ग्राम पंचायत के कितने भूमिहीन परिवारों को पट्टा दिया गया है? इसकी सूची निम्नलिखित विवरण के साथ उपलब्ध् कराएं जिसमें रकबा नम्बर एवं क्षेत्रफल मानचित्र सहित शामिल हो:
    क. पट्टाधारी का नाम
    ख. पट्टाधारी के पिता का नाम
    ग. पट्टाधारी का पता
    घ. पट्टा दिये जाने की तारीख

4.  वर्ष...............से..............के दौरान उपरोक्त ग्राम पंचायत के कितने परिवारों को कृषि योग्य भूमि का पट्टा दिया गया है? इसकी सूची निम्नलिखित विवरण के साथ उपलब्ध् कराएं जिसमें रकबा नम्बर एवं क्षेत्रफल मानचित्र सहित शामिल हो:
    क. पट्टाधारी का नाम
    ख. पट्टाधारी के पिता का नाम
    ग. पट्टाधारी का पता
    घ. पट्टा दिये जाने की तारिख

5.  वर्ष...............से..............के दौरान उपरोक्त ग्राम पंचायत के कितने परिवारों को आवासीय पट्टा दिया गया है? इसकी सूची निम्नलिखित विवरण के साथ उपलब्ध् कराएं जिसमें रकबा नम्बर एवं क्षेत्रफल मानचित्र सहित शामिल हो:
    क. पट्टाधारी का नाम
    ख. पट्टाधारी के पिता का नाम
    ग. पट्टाधारी का पता
    घ. पट्टा दिये जाने की तारिख

6.  वर्ष...............से..............के दौरान उपरोक्त ग्राम पंचायत के कितने परिवारों को खनन योग्य भूमि का पट्टा दिया गया है? इसकी सूची निम्नलिखित विवरण के साथ उपलब्ध् कराएं जिसमें रकबा नम्बर एवं क्षेत्रफल मानचित्र सहित शामिल हो:
    क. पट्टाधारी का नाम
    ख. पट्टाधारी के पिता का नाम
    ग. पट्टाधारी का पता
    घ. पट्टा दिये जाने की तारिख

7.  वर्ष...............से ..............के दौरान उपरोक्त ग्राम पंचायत के कितने परिवारों को वनीकरण पट्टा दिया गया है? इसकी सूची निम्नलिखित विवरण के साथ उपलब्ध् कराएं जिसमें रकबा नम्बर एवं क्षेत्रफल मानचित्र सहित शामिल हो:
    क. पट्टाधारी का नाम
    ख. पट्टाधारी के पिता का नाम
    ग. पट्टाधारी का पता
    घ. पट्टा दिये जाने की तारिख

8.  वर्तमान में ग्राम पंचायत में ग्राम समाज की ऐसी कितनी भूमि शेष है जिसको अभी तक किसी पट्टे के लिए उपयोग नहीं किया गया है? रकबा नम्बर एवं क्षेत्रफल मानचित्र सहित उपलब्ध् कराएं।

9.  ग्राम पंचायत में भूमिहीन परिवारो को पट्टा देने हेतु क्या प्रयास किए गएं हैं? इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के नाम पद एवं पता बताएं। इससे सम्बंधित सभी शासनादेशों एवं निर्देशों की प्रमाणित प्रतियां उपलब्ध् कराएं।

मैं आवेदन फीस के रूप में 10रू अलग से जमा कर रहा /रही हूं।
या 
मैं बी.पी.एल. कार्ड धारी हूं इसलिए सभी देय शुल्कों से मुक्त हूं। मेरा बी.पी.एल. कार्ड नं..............है।

यदि मांगी गई सूचना आपके विभाग/कार्यालय से सम्बंधित नहीं हो तो सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 6 (3) का संज्ञान लेते हुए मेरा आवेदन सम्बंधित लोक सूचना अधिकारी को पांच दिनों के समयाविध् के अन्तर्गत हस्तान्तरित करें। साथ ही अधिनियम के प्रावधानों के तहत सूचना उपलब्ध् कराते समय प्रथम अपील अधिकारी का नाम व पता अवश्य बतायें।

भवदीय 

नाम:
पता:
फोन नं:

संलग्नक: 
(यदि कुछ हो)

Tuesday, September 10, 2013

सास-बहूके जोड़े में सास का स्वभाव

एक बुढ़िया का स्वभाव था कि जब तक वह किसी से लड़ न लेती, उसे भोजन नहीं पचता था।

बहू घर में आयी तो बुढ़िया ने सोचा,अब घर में ही लड़ लो, बाहर किसलिए जाना ?

अब वह बात-बात पर बहू को जली-कटी सुनातीः-
"तुम्हारे बाप ने तुम्हें क्या सिखाया है ?
माँ ने क्या यही शिक्षा दी है ?
अरी, बोलती क्यों नहीं ?
तेरे मुँह में जीभ नहीं है क्या ?"

बहू चुप साधे सुनती रहती और मुस्करा देती।

पड़ोसी सुनकर सोचतेः
यह कैसी सास है !

बहू को चुप देखके सास कहतीः "अरी ! धरती पर पाँव पटकें तो भी धप की आवाज आती है और मैं इतना बोलती हूँ फिर भी तू चुप रहती है ?"

यह सब देखकर एक पड़ोसिन बोलीः "बुढ़िया ! लड़ने का इतना ही चाव है तो हमसे लड़ ले, तेरी इच्छा पूरी हो जायेगी।
इस बेचारी गाय को क्यों सताती है ?"

तभी बहू ने पड़ोसिन को नम्रतापूर्वक कहाः "इन्हें कुछ मत कहो मौसी !
ये तो मेरी माँ हैं।
माँ बेटी को नहीं समझायेगी तो औ कौन समझायेगा?"

सास ने यह बात सुनी तो पानी- पानी हो गयी।
उस दिन से बहू को उसने अपनी बेटी मान लिया और झगड़ा करना छोड़कर प्रेम से रहने लगी।

यह बहू की सहनशक्ति, सास के प्रति सदभाव और मातृत्व की भावना का ही कमाल था कि उसने सास का स्वभाव बदल दिया।

सास-बहूके जोड़े में चाहे सास का स्वभाव थोड़ा ऐसा- वैसा हो चाहे बहू का, परंतु दूसरा पक्ष थोड़ा सूझबूझ वाला, स्नेही हो तो समय पाकर उसका स्वभाव अवश्य बदल जाता है और घर का वातावरण मंगलमय हो जाता है।

हे भारत की माताओ-बहनो-देवि यो !
आप अपने और परिवार के सदस्यों की जीवन- वाटिका को सुंदर-सुंदर सदगुणों रूपी फूलों से महका सकती हो।
आपमें ऐसा सामर्थ्य है कि आप चाहो तो घर को नंदनवन बना सकती हो और उन्नति में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हो।

यदि सास-बहू में अनबन रहती हो तो सास और बहू का प्यार दर्शाती हुई तस्वीर घर में दक्षिण व पश्चिम दिशा के मध्य के कोने में लगा दें।
धीरे-धीरे सास और बहू में प्यार बढ़ता जायेगा।

Thursday, September 5, 2013

लग्न और कैरियर

ज्योतिष विद्या में 12 राशियों और 12 लग्नों की चर्चा है, इनमें भारतीय विधान से बनी कुंडली राशि और लग्न की जानकारी देती है, अब अगर आपको अपने लग्न की जानकारी होगी तो आप तय कर तकते हैं कि कौन सी नौकरी या कौन सा व्यापार आपको फलदायी होगा। यहां प्रत्येक लग्न के अनुसार नौकरी और व्यवसाय की चर्चा की जा रही है। आप भी देखें और जाने अपने व्यवसाय और नौकरी के बारे में।
मेष लग्न- मेष लग्न में जन्म लेने वाले. जातक कई तरह के कार्यों में सफल हो सकते हैं। मेष लग्न हो और मंगल प्रभावशाली होकर शुभ प्रभाव देने वाले हों तो जातक वर्दी वाली नौकरी (मसलन पुलिस या सेना में) सफल होता है। इसके अलावा एनसीसी, स्काउट, चिकित्सक, वकालत सहित ड्राइविंग की नौकरी में भी सफलता मिलती है, व्यवसाय कृषि, खेल, खनिज द्रव्य, औषधियां, अनुसंधान, शोध, अन्वेषण, भवन निर्माण और इससे संबंधित सामानों का व्यवसाय मेष लग्न वाले जातक के लिए फलदायी होते हैं।
वृष लग्न- वृष लग्न वाले जातक शुक्र से अत्यधिक प्रभावित होते हैं। ऐसे जातक आमतौर पर विलासिता से जुड़े संस्थानों में नौकरी करते हैं, अथवा स्वतंत्र रूप से अभिनेता गायक, वादक, स्वर विशेषज्ञ, संगीतज्ञ, नर्तक, कलाकृति, निर्माता ज्योतिष, कवि, लेखक साहित्यकार, सट्टा बैंकर आदि के रूप में स्थापित होता है, साथ ही बैंक में नौकरी, स्टॉक एक्सचेंज में नौकरी, दुग्ध व्यवसाय, रेडीमेड वस्त्र, सुगंधित पदार्थों, कॉस्मेटिक्स, रंग, रसायन आदि का व्यवसाय में भी वृष लग्न के व्यक्ति सफल हो सकते हैं।
मिथुन लग्न- मिथुन लग्न वाले जातक बुद्धिमान होते हैं और ये बुद्धि से जुड़ा व्यवसाय या नौकरी में अधिक सफल होते हैं। मसलन अनुसंधानकर्ता, सहायक, संपादक, व्याख्याता, दलाल व पीए या सचिव को नौकरी इन्हें ज्यादा सफलता देती है। इसके साथ ही मैकेनिक, ज्योतिष, खगोलशास्त्र, चार्टड एकाउंटेंट आदि का काम भी इनके लिए फलित होता है। ठेकेदारी, शिक्षण, प्रशिक्षण, गुप्तचरी, रेडियो, टीवी, प्रकाशन, टेलीफोन, टेलीग्राफ, दूध, घी, ऊन, कनफेक्शनरी, मिठाई आदि का व्यवसाय लाभकारी होता है।
कर्क लग्न- कर्क लग्न के व्यक्ति के व्यवसाय में स्थिरता नहीं रहती है। उतार-चढ़ाव और बदलाव निश्चित है। नौकरी भी लगातार बदलती रहती है। बावजूद इसके ऐसे व्यक्ति जज, वकील, जेलर, नौसेना, आदि के क्षेत्र में नौकरी में सफलता अर्जित करते हैं। इसके अतिरिक्त जल से जुड़ा, लांड्री, डेयरी फार्म, मधुमक्खी पालन, मछली पालन, होटल, व्यवसाय सिंचाई, बागवानी, फल-फूल आदि के व्यवसाय में सफलता मिलती है।
सिंह लग्न- सिंह लग्न के लोग अक्सर नौकरी नहीं करते हैं और अगर करते भी हैं तो प्रशासनिक या व्यवस्थापक की नौकरी ही इन्हें मिलती है, हां कई तरह के व्यवसाय इन्हें जरूर सफल बनाता है। इंजीनियर, पेट्रोलियम, भवन निर्माण, डॉक्टर, ठेकेदार, नकली आभूषणों, खिलौना, कृषि या कृषि से संबंधित पशुपालन, हड्डियों से जुड़ा व्यवसाय या दवाई का व्यवसाय सिंह लग्न के जातकों के लिए बेहतर होता है।
कन्या लग्न- कन्या लग्न के जातक का व्यवसाय या पेशा भी बुध से प्रभावित होता है। मसलन कला, अभिनय, गणित, लेखन, ज्योतिष, साहित्य, अध्यापन, प्रशिक्षण, कम्प्यूटर, कमीशन कार्य, पत्रकारिता, राजनीति, फोटोग्राफी, मिष्ठान आदि का व्यवसाय कन्या लग्न के जातक को फेवर करता है।
तुला लग्न- तुला लग्न के जातकों के लिए दशम् भाव का स्वामी चंद्र होता है। इसलिए ऐसे जातकों का व्यवसाय चंद्रमा से प्रभावित होता है। आमतौर पर ऐसे जातक चांदी, ज्वेलरी, मणि, माणिक्य, वस्त्र, मिल, घी, तिल अथवा तेल, किराना, अनाज दवाई, आयात-निर्यात आदि से संबंधित व्यवसाय में सफल होता है। कभी-कभी वह स्कूल या शिक्षण कर्म में भी सफल होते देखे गए हैं। नौकरी में प्रखंड कार्यालय, प्लांट्स ऑफिसर, नेवी, नाविक, तैराकी, वन विभाग या राज्य से संबंधित विभागों में भी नौकरी मिल सकती है।
वृश्चिक- वृश्चिक लग्न के जातक आक्रामक स्वभाव के अहंकारी होते हैं। अत: नौकरी में वह ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाते हैं, लेकिन सूर्य अगर अनुकूल होता है तो सेक्रेट्री, मजिस्ट्रेट, मंत्री, प्रधानमंत्री, सांसद, राष्ट्रपति सहित इंजीनियर और राजदूत तक बना देता है। किसी प्राइवेट कंपनियों में व्यवस्थापक की नौकरी देता है। व्यवसाय में स्वर्ण व्यवसाय, ऊन, औषधि, शस्त्रादि, लकड़ी, ठेकेदारी, फोटोग्राफी अथवा विद्युत संबंधित व्यवसाय में वृश्चिक लग्न के लोगों को अपेक्षाकृत अधिक सफलता मिलती है।
धनु लग्न- धनु लग्न के जातकों के लिए कसीदाकारी, कबाड़ या प्राचीन वस्तुओं का व्यापार, घी का व्यापार, कंप्यूटर अथवा खेल आदि से संबंधित व्यापार ज्यादा शुभ होता है। पुस्तक या प्रकाशन का धंधा भी इन्हें लाभ पहुंचाते हैं। इन्हें पुरातत्व विभाग, बैंकिंग, पुस्तकालय, एकाउंटेंसी, इनकम टैक्स, डाक-तार विभाग, शेयर आदि क्षेत्रों में नौकरी मिलती है। इसके अतिरिक्त ज्योतिष अथवा हस्तरेखा के क्षेत्र में भी सफलता मिलती है।
मकर लग्न- मकर लग्न के जातक अक्सर लिखने-पढ़ने, पत्रारिता, न्यायाधीश, चिंतक, प्रोफेसर, संपादक, पुरात्तव विभाग के सहायक, हड्डियों के विशेषज्ञ के रूप में सफल होता है। इसके अतिरिक्त साबुन-सोडा अथवा इत्र, अगरबत्ती, पशुधन, शराब, फिल्म, फर्नीचर, हीरे आदि का व्यापारी बनता है। साथ ही लेन-देन के व्यापार में भी वह सफल होता है।
कुंभ लग्न- कुंभ लग्न के लोग अक्सर लंबे छरहरे और स्वस्थ्य होते हैं। ऐसे जातक को फौज, सेना, पुलिस, डॉक्टर सहित कृषि पालन और भूगर्भ विज्ञान से संबंधित नौकरी अधिक मिलती है। ऐसे जातक अक्सर ताम्र, पारे, ठेकेदारी, प्रॉपर्टी डीलिंग, कंस्ट्रक्शन, मेडिसीन अथवा पशुपालन और कृषि व्यापार में सफल होता है।
मीन लग्न- मीन लग्न के जातकों का लग्नेश और दशमेश दोनों ही गुरु होते हैं, हालाकिं ऐसे जातकों का गुरु केंद्रेश दोष से पीड़ित होते हैं, फिर भी इनका व्यवसाय अथवा इनकी नौकरी गुरु से ही नियंत्रित होती है। यह और बात है कि दशमस्थ ग्रहों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। वैसे मीन लग्न के जातक प्रकाशन, स्कूल या शिक्षा से संबंधित व्यवसाय में विशेष सफलता हासिल करते हैं। घड़ी, टेलीविजन, इत्र, तेल, चंदन, अच्छे कपड़े, पीली वस्तु सहित घी और फलों का व्यापार भी मीन लग्न के लोगों के लि फलदायी होता है।
ऐसे जातक प्रकाशक, जज, लेखक, सलाहकार, शिक्षक, प्रोफेसर, नेतृत्व प्रधान कार्य अथवा वेद पाठन कार्यों की नौकरी मलिती है।

Wednesday, September 4, 2013

अंकों में छिपा है रहस्य

अंक की एक निश्चित शक्ति है, जिसका पता केवल आकृति एवं प्रतीक द्रारा नहीं चल सकता। यह शक्ति वस्तुओं के आपसी गूढ़ संबंधों तथा प्रकृति के सिद्धांतो में निहित है, जिनकी यह अभिवक्यक्ति हैं। यह रहस्योद्घान तब सामने आया, जब मनुष्य ने अंकों के क्रम 0,1,2,3,4,5,6,7,8,9 का विकास किया। उनके द्वारा चाहे जिस प्रतीक को अभिव्यक्त किया गया है।
शून्य (0)- अनंत का प्रतीक है। एक ऐसा अनंत-असीम अस्तित्व, जो विभिन्न वस्तुओं का उद्गम स्रोत है। इस ब्रह्मांड में समग्र सौरमंडल सार्वभौमिकता, विश्वजनीनता, ग्रहों की प्रदक्षिणाओं और यात्राओं में व्याप्त है लेकिन इसका विस्तार यहीं तक सीमित नहीं है, अपितु यह समस्त स्थितियों के निषेध में, प्रत्येक दायरे और सीमाओं में तथा व्यक्ति में व्याप्त है। इस प्रकार, यह सार्वभौम विरोधाभास है। एक तरफ असीम विस्तार है तो दूसरी तरफ असीम लघुता, एक तरफ असीम वृत्त तो दूसरी तरफ एक सूक्ष्म अणु।
एक (1)- सकारात्मक तथा सक्रिय सिद्धांत के प्रतीक रूप में प्रयुक्त होता है। यह शब्दों के लिए भी प्रयुक्त होता है, जो अनंत तथा अव्यक्त की अभिव्यक्ति हैं। यह ‘अहं’ प्रतिनिधित्व करता है, श्रेष्ठता, आत्मस्वीकार, सकारात्मकता, पृथकवाद, आत्मतत्व, गरिमा तथा प्रशासन का भी प्रतीक है। यह धार्मिक अर्थ में स्वयं ईश्वर का प्रतीक है। दार्शनिक व वैज्ञानिक अर्थ में यह संश्लेषण तथा वस्तुओं में मूलभूत अखंडता का प्रतीक है। भौतिकवादी दृष्टि से जीवन की इकाई व्यक्ति है। यह शून्य का प्रकट और सूर्य का प्रतीक है।
दो (2)- विपरीतता का प्रतीक है तथा यह प्रमाण और पुष्टि का भी घोतक है। यह द्विगुण संपन्न अंक है, जैसे एक तरफ जोड़ का है तो दूसरी तरफ घटाने का, एक तरफ क्रियाशीलता का तो दूसरी तरफ निष्क्रियता का, एक तरफ स्त्रीलिंग का तो दूसरी तरफ पुलिंग का, एक तरफ सकारात्मकता का तो दूसरी तरफ नकारात्मक का एक तरफ लाभ तो दूसरी तरफ हानि का प्रतीक है।
तीन (3)- त्रियामिकता का प्रतीक है। जीवन में त्रिगुण पदार्थ बुद्धि, बल व चेतना का प्रतीक है। इसमें सृजन, पालन व संहार के ईश्वरीय गुण भी शामिल है। परिवार, माता-पिता और बच्चे का भी इससे बोध होता हे। यह चिंतन तथा वस्तु रूपी तीन आधार तत्वों का भी प्रतीक है। यह चेतना में प्रतिबिंबित होने वाला द्वैत है, जैसे समय और स्थान में त्रिक अवस्था का निर्माता। आत्मविस्तार, इच्छा, क्रियाविधि तथा प्रभावकारिता है, जो मंगल का प्रतीक है।
चार (4)- वास्तविकता व स्थायित्व का संकेत करता है। यह भौतिक जगत का द्योतक है। यह वर्गाकार व घनाकार है। भौतिक नियम, तर्क व कारण भौतिक अवस्था तथा विज्ञान का प्रतीक है। यह अनुभूतियों, अनुभव तथा ज्ञान के माध्यम से पहचाना जाता है। यह काट, खंडीकरण, विभाजन, सुनियोजन तथा वर्गीकरण है। यह स्वास्तिक, विधिचक्र, संख्याओं का क्रम तथा योग है। यह बुद्धि, चेतना, आध्यात्मिक व भौतिकता के अंतर की पहचान है। इस प्रकार यह बुध का प्रतीक है।
पांच (5)- विस्तार का प्रतिनिधित्व करता है। यह वस्तुओं के अंत: संबंध, समझ-बूझ की क्षमता, निर्णय का भी प्रतीक है। यह वृद्धि, वाकटुता, विचार का विस्तार है। यह न्याय, फसलों, बुवाई तथा कटाई का प्रतीक है। यह अंक अनार के बीज की भांति गुणवाला है। बृहस्पति इसका प्रतीक है।
छह (6)- सहयोग का प्रतीक है। यह विवाह, एक कड़ी में जोड़ने व संबंधों का संकेतक है। पारस्परिक क्रिया, पारस्परिक संतुलन का भी घोतक है। यह आध्यात्मिक व भौतिक जगत का मिलन स्थल है। यह मनुष्य में मानसिक व शारीरिक क्षमता का प्रतीक है। यह मीमांसा, मनोविज्ञान, दैवीय क्षमता, समागम व सहानुभूति का भी प्रतीक है। यह अंक परामनोविज्ञान व मानसिक तुलना का भी प्रतिनिधि है। यह सहयोग, शांति, संतुष्टि व संतुलन की ओर संकेत करता है। यह स्त्री-पुरुष के नैसर्गिक संबंधों का प्रतीक है। इस अंक का प्रतिनिधि ग्रह शुक्र है।
सात (7)- पूर्णता का परिचायक है। यह समय व स्थान, अंतराल तथा दूरी का प्रतीक है। वृद्धावस्था, क्षीणता, सहनशीलता, स्थिरता, मृत्यु का भी प्रतिनिधित्व करता है। यह सात युगों, सप्ताह के सात दिनों आद का प्रतीक है। यह मनुष्य की पूर्णता, बुद्धि, मनोसंतुलन तथा विश्राम का भी द्योतक है। इसका प्रतिनिधि ग्रह शनि है।
आठ (8)- विघटन का अंक है। यह चक्रीय विकास के सिद्धांतों व प्राकृतिक वस्तुओं के आध्यात्मीकरण की ओर झुकाव का प्रतीक है। प्रतिक्रिया, क्रांति, जोड़-तोड़, विघटन, अलगाव, बिखराव, अराजकता के गुण भी इसी अंक से जुड़े है। यह चोट, क्षति, विभाजन, संबंध विच्छेद का भी परिचायक है। यह श्वसन की अंतप्रेरणा, अतिबुद्धिता, आविष्कारों व अनुसंधानों का प्रतीक है। यूरेनस या वरुण इसका प्रतिनिधि ग्रह है।
नौ (9)- पुर्नउत्पादन का प्रतीक है। यह पुर्नजन्म, अध्यात्म, इंद्रियों के विस्तार, पूर्वाभास, विकास व समुद्री यात्राओं का प्रतीक है। यह स्वप्न, अघटित घटना, दूरस्थ ध्वनियों को सुनने का भी प्रतीक है। यह पुर्नरचना, निहारिकामयता, कंपन, लय, तरंग, प्रकाशन, धर्नुविद्या, विचार तरंगों तथा रहस्य का घोतक है। नेपच्यून इसका प्रतिनिधि ग्रह है। 9 अंकों व शून्य के बीच अनंत रूप से विस्तारित हैं। कुछ व्याख्या प्रणालियों के अनुसार शून्य को अंकों में रखा जाता है, ताकि प्रथम व अंतिम अंक को मिलाकर 10 का अंक बनाया जा सके, जो दशमलव प्रणाली का पूर्णांक है, लेकिन हिब्रू प्रणाली के अनुसार अंक 12 के पास ही यह विशिष्ट गुण विद्यमान है, जो 3 और 4 का गुणनफल है और 3 व 4 के योग से बना अंक 7 है, जो एक और पवित्र अंक है। उपरोक्त व्याख्या को किसी भी अंक के इकाई मानकर प्रयोग किया जा सकता है।
- See more at: http://astrosamachar.com/magzin_details.php?conId=248&catId=3&subcatId=62#sthash.PLIrA2aq.Vpll3zmV.dpuf