Monday, July 21, 2014

विवाह योग के लिये मुख्य कारक

विवाह योग के लिये मुख्य कारक -
सप्तम भाव का स्वामी खराब है
या सही है वह अपने भाव में बैठ कर
या किसी अन्य स्थान पर बैठ कर अपने भाव को देख
रहा है।
सप्तम भाव पर किसी अन्य पाप ग्रह
की द्रिष्टि नही है।
कोई पाप ग्रह सप्तम में बैठा नही है।
यदि सप्तम भाव में सम राशि है।
सप्तमेश और शुक्र सम राशि में है।
सप्तमेश बली है।
सप्तम में कोई ग्रह नही है।
किसी पाप ग्रह की द्रिष्टि सप्तम भाव
और सप्तमेश पर नही है।
दूसरे सातवें बारहवें भाव के स्वामी केन्द्र या त्रिकोण
में हैं,और गुरु से द्रिष्ट है।
सप्तमेश की स्थिति के आगे के भाव में या सातवें भाव
में कोई क्रूर ग्रह नही है।
विवाह नही होगा अगर
सप्तमेश शुभ स्थान पर नही है।
सप्तमेश छ: आठ या बारहवें स्थान पर अस्त होकर बैठा है।
सप्तमेश नीच राशि में है।
सप्तमेश बारहवें भाव में है,और लगनेश या राशिपति सप्तम में
बैठा है।
चन्द्र शुक्र साथ हों,उनसे सप्तम में मंगल और शनि विराजमान
हों।
शुक्र और मंगल दोनों सप्तम में हों।
शुक्र मंगल दोनो पंचम या नवें भाव में हों।
शुक्र किसी पाप ग्रह के साथ हो और पंचम या नवें
भाव में हो।
शुक्र बुध
शनि तीनो ही नीच हों।
पंचम में चन्द्र हो,सातवें या बारहवें भाव में दो या दो से अधिक
पापग्रह हों।
सूर्य स्पष्ट और सप्तम स्पष्ट बराबर का हो।

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