Tuesday, November 19, 2013

ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि में धन वैभव और सुख के लिए कुण्डली में मौजूद धनदायक योग या लक्ष्मी योग

ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि में धन वैभव और सुख के लिए कुण्डली में मौजूद धनदायक योग या लक्ष्मी योग काफी महत्वपूर्ण होते हैंजन्म कुण्डली एवं चंद्र कुंडली में विशेष धन योग तब बनते हैं जब जन्म चंद्र कुंडली में यदि द्वितीय भाव का स्वामी एकादश भाव में और एकादशेश दूसरे भाव में स्थित हो अथवा द्वितीयेश एवं एकादशेश एक साथ नवमेश द्वारा दृष्ट हो तो व्यक्ति धनवान होता है
शुक्र की द्वितीय भाव में स्थिति को धन लाभ के लिए बहुत महत्व दिया गया है, यदि शुक्र द्वितीय भाव में हो और गुरु सातवें भाव, चतुर्थेश चौथे भाव में स्थित हो तो व्यक्ति राजा के समान जीवन जीने वाला होता हैऐसे योग में साधारण परिवार में जन्म लेकर भी जातक अत्यधिक संपति का मालिक बनता हैसामान्य व्यक्ति भी इन योगों के रहते उच्च स्थिति प्राप्त कर सकता है
मेष लग्न के लिए धन योग (मेष Alagna धना योग) 
लग्नेश मंगल कर्मेश शनि और भाग्येश गुरु पंचम भाव में होतो धन योग बनता है
इसी प्रकार यदि सूर्य पंचम भाव में हो और गुरु चंद्र एकादश भाव में हों तो भी धन योग बनता है और जातक अच्छी धन संपत्ति पाता है
वृष लग्न के लिए धन योग (Vrisha लग्न धना योग) 
मिथुन में शुक्र, मीन में बुध तथा गुरु केन्द्र में हो तो अचानक धन लाभ मिलता हैइसी प्रकार यदि शनि और बुध दोनों दूसरे भाव में मिथुन राशि में हों तो खूब सारी धन संपदा प्राप्त होती है
मिथुन लग्न के लिए धन योग (मिथुन लग्न धना योग) 
नवम भाव में बुध और शनि की युति अच्छा धन योग बनाती हैयदि चंद्रमा उच्च का हो तो पैतृक संपत्ति से धन लाभ प्राप्त होता है
कर्क लग्न के लिए धन योग (Karka लग्न धना योग) 
यदि कुण्डली में शुक्र दूसरे और बारहवें भाव में हो तो जातक धनवान बनता हैअगर गुरू शत्रु भाव में स्थित हो और केतु के साथ युति में हो तो जातक भरपूर धन और ऎश्वर्य प्राप्त करता है
सिंह लग्न के लिए धन योग (सिंह लग्न धना योग) 
शुक्र चंद्रमा के साथ नवांश कुण्डली में बली अवस्था में हो तो व्यक्ति व्यापार एवं व्यवसाय द्वारा खूब धन कमाता हैयदि शुक्र बली होकर मंगल के साथ चौथे भाव में स्थित हो तो जातक को धन लाभ का सुख प्राप्त होता है
कन्या लग्न के लिए धन योग (कन्या लग्न धना योग) 
शुक्र और केतु दूसरे भाव में हों तो अचानक धन लाभ के योग बनते हैंयदि कुण्डली में चंद्रमा कर्म भाव में हो तथा बुध लग्न में हो शुक्र दूसरे भाव स्थित हो तो जातक अच्छी संपत्ति संपन्न बनता है
तुला लग्न के लिए धन योग (तुला लग्न धना योग) 
कुण्डली में दूसरे भाव में शुक्र और केतु हों तो जातक को खूब धन संपत्ति प्राप्त होती हैअगर मंगल, शुक्र, शनि और राहु बारहवें भाव में होंतो व्यक्ति को अतुल्य धन मिलता है
वृश्चिक लग्न के लिए धन योग (वृश्चिक लग्न धना योग) 
कुण्डली में बुध और गुरू पांचवें भाव में स्थित हो तथा चंद्रमा एकादश भाव में हो तो व्यक्ति करोड़पति बनता है
यदि चंद्रमा, गुरू और केतु दसवें स्थान में होंतो जातक धनवान भाग्यवान बनता है
धनु लग्न के लिए धन योग (धनु लग्न धना योग) 
कुण्डली में चंद्रमा आठवें भाव में स्थित हो और सूर्य, शुक्र तथा शनि कर्क राशि में स्थित हों तो जातक को बहुत सारी संपत्ति प्राप्त होती हैयदि गुरू बुध लग्न मेषों तथा सूर्य शुक्र दुसरे भाव में तथा मंगल और राहु छठे भाव मे हों तो अच्छा धन लाभ प्राप्त होता है
मकर लग्न के लिए धन योग (मकर लग्न धना योग) 
जातक की कुण्डली में चंद्रमा और मंगल एक साथ केन्द्र के भावों में हो या त्रिकोण भाव में स्थित हों तो जातक धनी बनता है.धनेश तुला राशि में और मंगल उच्च का स्थित हो व्यक्ति करोड़पति बनता है
कुंभ लग्न के लिए धन योग (कुंभ लग्न धना योग) 
कर्म भाव अर्थात दसवें भाव में चंद्र और शनि की युति व्यक्ति को धनवान बनाती हैयदि शनि लग्न में हो और मंगल छठे भाव में हो तो जातक ऎश्वर्य से युक्त होता है
मीन लग्न के लिए धन योग (मीणा लग्न धना योग) 
कुण्डली के दूसरे भाव में चंद्रमा और पांचवें भाव में मंगल हो तो अच्छे धन लाभ का योग होता हैयदि गुरु छठे भाव में शुक्र आठवें भाव में शनि बारहवें भाव और चंद्रमा एकादशेश हो तो जातक कुबेर के समान धन पाता है
कुछ अन्य धन योग (अधिक धना योग) 
यह तो बात हुई लग्न द्वारा धन लाभ के योगों की अब हम कुछ अन्य धन योगों के विषय में चर्चा करेंगे जो इस प्रकार बनते हैं
मेष या कर्क राशि में स्थित बुध व्यक्ति को धनवान बनाता है, जब गुरु नवे और ग्यारहवें और सूर्य पांचवे भाव में बैठा हो तब व्यक्ति धनवान होता है
जब चंद्रमा और गुरु या चंद्रमा और शुक्र पांचवे भाव में बैठ जाए तो व्यक्ति को अमीर बनाता है
सूर्य का छठे और ग्यारहवें भाव में होना व्यक्ति को अपार धन दिलाता है
यदि सातवें भाव में मंगल या शनि बैठे हों और ग्यारहवें भाव में शनि या मंगल या राहू बैठा हो तो व्यक्ति धनवान बनता है
मंगल चौथे भाव, सूर्य पांचवे भाव में और गुरु ग्यारहवे या पांचवे भाव में होने पर व्यक्ति को पैतृक संपत्ति से लाभ मिलता है


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