Tuesday, June 24, 2014

दो ग्रहों की युती के फल

जानीये दो ग्रहों की युती के फल :-
१.       सूर्य+बुध = विद्या , बुद्धि देता है, सरकारी नौकरी, ज्योतिष , अपने प्रयास से धनवान , बचपन में कष्ट. 
२. सूर्य+शुक्र =कला, साहित्य, यांत्रिक कला का ज्ञान , क्रोध, प्रेम सम्बन्ध , बुरे, गृहस्थ बुरा , संतान में देरी , तपेदिक , पिता के लिए अशुभ। 
३. सूर्य+गुरू =मान-मर्यादा , श्रेष्टता , उच्च पद तथा यश में वृद्धि करता है, स्वयं की मेहनत से सफलता। 
४. सूर्य+ मंगल =साहसी , अग्नि से सम्बंधित कामों में सफलता , सर्जन , डॉक्टर , अधिकारी , सर में चोट, का निशान , दुर्घटना , खुद का मकान बनाये। 
५. सूर्य+चन्द्र =राजकीय ठाठ - बाठ , अधिकार, पद, उत्तम राजयोग , डॉक्टर , दो विवाह , गृहस्थ जीवन हल्का , स्त्रीयों द्वारा विरोध, बुढ़ापा उत्तम। 
६. सूर्य+शनि =पिता-पुत्र में बिगाड़ अथवा जुदाई। युवावस्था में संकट, राज दरबार बुरा। स्वास्थ कमजोर। पिता की मृत्यु , गरीबी। घरेलू अशांति। पत्नी का स्वास्थ कमजोर। 
७. सूर्य+राहू =सरकारी नौकरी में परेशानी। चमड़ी पर दाग , खर्च हो। घरेलू अशांति , परिवार की बदनामी का डर। श्वसुर की धन की स्थिति कमजोर। सूर्य को ग्रहण। 
८. सूर्य+केतू=सरकारी काम अथवा सरकारी नौकरी में उतार-चढ़ाव। संतान का फल बुरा। 
९. चन्द्रमा+मंगल=मन की स्थिति डांवाडोल। दुर्घटना। साहसिक कामों से धन लाभ। उत्तम धन। 
१०. चन्द्र+बुध=उत्तम वक्ता। बुद्धिमत्ता। लेखन शक्ति। गहन चिंतन। स्वास्थ में गड़बड़। दो विवाह योग। मानसिक असंतुलन। 
११. चन्द्र+गुरू= उत्तम स्थिति। धन प्राप्ति। बैंक में अधिकारी। उच्च पद। मान-सम्मान। धनी। यदि पाप दृष्टी हो तो विद्द्या में रूकावट। 
१२. चन्द्र+शुक्र=दो विवाह योग। अन्य स्त्री से सम्बन्ध। विलासी। शान-शौकत का प्रेमी। रात का सुख।
१३. यदि सप्तम भाव में शनि +चन्द्र की युती जातक को विधवा स्त्री दिलवा देते है।
१४. लग्न (१) भाव में सूर्य+राहू की युती दाम्पत्य जीवन में बाधा डालते है। 

१५. सप्तम भाव में बुध +शुक्र की युती ४५-५० साल की उम्र में पत्नी सुख मिलता है।

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