Tuesday, November 4, 2014

वास्तुशास्त्र

जिस प्रकार हमारे शरिर में पांच तत्व होते है।
और पांच इन्द्रिया होती है उसी प्रकार हमारे मकान के तत्व होते है
और मकान को घर बनाने में वास्तु की पांच इन्द्रियों का बहुत महत्व है।

Photo: जिस प्रकार हमारे शरिर में पांच तत्व होते है।
और पांच इन्द्रिया होती है उसी प्रकार हमारे मकान के तत्व होते है
और मकान को घर बनाने में वास्तु की पांच इन्द्रियों का बहुत महत्व है।
मनुष्य शरीर पांच तत्वों से बना होता है।
1. अग्नि।
2. आकाश।
3. वायु।
4. जल।
5. पृथ्वी।
एक भी तत्व की अधिकता, दुसरे तत्व की दूषितता दर्शाता हैं। जिसके कारण शरीर में रोग ओर व्याधिया उत्पन हो जाती हैं।
इसी प्रकार शरीर में 3 गुण होते है,जो की शरीर में एक गुण के कमी के कारण दूसरा गुण दूषित हो जाता है
शरीर के 3 निम्नलिखित गुण होते हैं।
1. रजोगुण।
2. तमोगुण।
3. सतोगुण।

इसी प्रकार मकान में भी पांच तत्व होते है। इन तत्व की उत्पति के निम्न लिखित द्वार है।
1. अग्नि का सम्बन्ध रसोई से है।
2. जल का सम्बन्ध घर के पूजा स्थान से है।
3. पृथ्वी का सम्बन्ध TOILET से है।
4. वायु का सम्बन्ध, मुखिया के शयन कक्ष से है।
5. आकाश का सम्बन्ध घर के मुख्य द्वार से है।

इसी प्रकार 3 गुणों के उत्पन के 3 महत्वपूर्ण स्थान हैं।
1. सतोगुण की उत्पति पूजा स्थान की दिशा और मुख से होती है।
2. तमोगुण की उत्पत्ति TOILET की दिशा और TOILET में लगी SEAT के मुख से होती हैं।
3. रजो गुण मुखिया के शयनकक्ष में लगे BAD की दिशा से उत्पति होती हैं।

यदि किसी भी मकान के पांच तत्व और तीन गुण शुद्ध कर दिए जाये तो मकान को घर बनने में अधिक समय नहीं लगता। मकान की शुभता बढती ही जाती हैं।

एक विद्वान वास्तुशास्त्र विशेषज्ञ सबसे पहले मकान के पांच तत्व और तीनो गुण शुद्ध करके मकान की शुभता बढ़ाते है।
वास्तु दोष का निवारण यज्ञ से सम्भव है।।हर हर महादेव।

Photo: मनुष्य शरीर पांच तत्वों से बना होता है।
1. अग्नि।
2. आकाश।
3. वायु।
4. जल।
5. पृथ्वी।
एक भी तत्व की अधिकता, दुसरे तत्व की दूषितता दर्शाता हैं। जिसके कारण शरीर में रोग ओर व्याधिया उत्पन हो जाती हैं।
इसी प्रकार शरीर में 3 गुण होते है,जो की शरीर में एक गुण के कमी के कारण दूसरा गुण दूषित हो जाता है
शरीर के 3 निम्नलिखित गुण होते हैं।
1. रजोगुण।
2. तमोगुण।
3.  सतोगुण।

इसी प्रकार मकान में भी पांच तत्व होते है। इन तत्व की उत्पति के निम्न लिखित द्वार है।
1. अग्नि का सम्बन्ध रसोई से है।
2. जल का सम्बन्ध घर के पूजा स्थान से है।
3. पृथ्वी का सम्बन्ध TOILET से है।
4. वायु का सम्बन्ध, मुखिया के शयन कक्ष से है।
5. आकाश का सम्बन्ध घर के मुख्य द्वार से है।

इसी प्रकार 3 गुणों के उत्पन के 3 महत्वपूर्ण स्थान हैं।
1. सतोगुण की उत्पति पूजा स्थान की दिशा और मुख से होती है।
2. तमोगुण की उत्पत्ति TOILET की दिशा और TOILET में लगी SEAT के मुख से होती हैं।
3.  रजो गुण मुखिया के शयनकक्ष में लगे BAD की दिशा से उत्पति होती हैं।

यदि किसी भी मकान के पांच तत्व और तीन गुण शुद्ध कर दिए जाये तो मकान को घर बनने में अधिक समय नहीं लगता। मकान की शुभता बढती ही जाती हैं।

एक विद्वान वास्तुशास्त्र विशेषज्ञ सबसे पहले मकान के पांच तत्व और तीनो गुण शुद्ध करके मकान की शुभता बढ़ाते है।
वास्तु दोष का निवारण यज्ञ से सम्भव है।।हर हर महादेव।

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