Sunday, January 18, 2015

नरेन्द्र मोदी की असली कुंडली

देखें नरेन्द्र मोदी की असली कुंडली और जन्म से लेकर अब तक सभी ग्रहों की चाल, जिससे हम जानेगें मोदी की परेशानियों का कारण व उत्थान का राज़… संभवतः पहली बार…

Narendra Modi ki asli kundali batati hai unki uplabhdiyon ka raaz.

मोदी की कुंडली के अनुसार अधिकां ज्योतिषियों की भविष्यवाणी धरी-की-धरी रह गयी, उसमे से एक मैं भी था। मेरे अनुसार भी जो कुंडली मेरे पास थी और जो प्रचलित है उसके अनुसार राजयोग नहीं बन रहा था, और यदि होता भी तो किसी के समर्थन से ही बन पाता। परन्तु जब परिणाम आये तो मेरी नींद उड़ गयी, नींद इसलिए नहीं उड़ी की मोदी क्यों जीते, बल्कि इसलिए उड़ी की प्रेडिक्शन गलत कैसे हुआ। दिल्ली विधान सभा चुनाव में अरविन्द केजरीवाल के शपथ से पूर्व भविष्यवाणी हो या दिल्ली भाजपा की सीटें, सभी प्रेडिक्शन १०० प्रतिशत सच हुए तो यह इतना गलत क्यों हुआ। कहाँ गलती हुई, फिर सोचा की मोदी की कुंडली और उनका जन्म समय स्वयं मोदी ने तो बताई नहीं, हो सकता है तारीख और वर्ष उनका स्कूल का हो जो पहले अक्सर एक या दो साल आगे या पीछे कर दिया जाता था। इस आधार पर मैंने मोदी की कुंडली तलाशनी शुरू की और सफलता भी मिली, देखें मोदी की असली कुंडली और जन्म से लेकर अब तक का सभी ग्रहों की चाल जिससे हम जानेगें मोदी की परेशानियों का कारण व उत्थान का राज …… संभवतः पहली बार …

मोदी की प्रचलित जन्म की तारीख है, सितम्बर 17, 1950, जन्म समय ११ बजे, मेहसाणा-गुजरात, जिसके अनुसार उनका जन्म लग्न वृश्चिक है और जन्म कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को विष्कुम्भ योग में हुआ है। विष्कुम्भ में जन्मा हुआ जातक कभी इतना उत्थान नहीं कर सकता इसके अलावा जो पहले की कुंडली में संदेह जनक पक्ष है वे हैं -

१. वृश्चिक लग्न में मंगल तो है परन्तु शुन्य अंश का है साथ में नीच का चन्द्रमा है, जिसके चलते रूचक और विष्णु लक्ष्मी योग तो बनते हैं परन्तु बहुत ही कमजोर , कम से कम इतने शक्तिशाली तो नहीं जितने मोदी हैं।

२. वृश्चिक लग्न में दसम भाव का मालिक सूर्य है जो स्वयं एकादश भाव में केतु के साथ ग्रहण योग में बैठा है और दसम भाव में शत्रु के स्थान पर शनि विराजमान है जो कभी भी इतना तगड़ा राजयोग नहीं दे सकता बल्कि हमेशा अवरोध उत्पन्न करेगा। जबकि मोदी का पिछला जीवन देखा जाये तो मोदी निरंतर आगे बढे हैं और कभी भी उनके लिए कोई बड़ी समस्या नहीं खड़ा कर पाया। साथ ही यह भी इतना प्रबल राजयोग नहीं बना सकता जितना मोदी का है।

३. गुरु भी केंद्र में है परन्तु शत्रु स्थान पर है और वक्री भी है, अतः यहाँ गुरु से भी किसी प्रकार का राजयोग नहीं बन पा रहा है।

४. बुध एकादश भाव में कन्या राशि में है परन्तु वक्री है, अतः बुधादित्य योग उतना प्रभावकारी नहीं हो सकता।

५. पंचम में राहु विद्या में बाधक है और उस पर सूर्य - बुध - केतु की दृष्टि से व्यक्ति बहुत नकारात्मक बुद्धि वाला या विध्वंसक विचार का हो जायेगा, अतः यहाँ यह योग भी समझ से परे है।

६. सन १९८५ से लेकर २००५ तक मोदी की शुक्र की महादशा रही है और जब अक्टूबर २००१ में मोदी मुख्यमंत्री बने तो शुक्र में शनि का अंतर था, वृश्चिक लग्न में शुक्र मारकेश है और बुध एवं शनि सहायक, तो उस समय मुख्यमंत्री कैसे बन सकते हैं मोदी?

७. और सबसे बड़ी बात वर्तमान महादशा जो इस समय उनके भाग्येश चन्द्रमा की चल रही है, परन्तु राहु का अंतर है जो भाग्य में ग्रहण योग बना रहा है और शायद इसीलिए सभी विद्वानो ने मोदी की जीत में संदेह व्यक्त किया था जो मैंने भी किया लेकिन खोज किसी ने नहीं की।

इन सभी कारणों को देखते हुए मैंने मोदी से सम्बंधित संभावित समय पर खोज शुरू की और जो मैंने प्राप्त किया उसके अनुसार मोदी के जन्म की तारीख सितम्बर १७, १९४९ है और समय १०.५० मिनट है, अर्थात सबकुछ सही है परन्तु वर्ष एक वर्ष पूर्व है, इस समय के अनुसार जो लग्न है वह तुला है और उसका चार्ट है।

Narendra Modi ki asli kundali batati hai unki uplabhdiyon ka raaz.
आइये अब देखिये इस चार्ट के अनुसार विश्लेषण :

१. लग्न तुला है और तुला में ही शुक्र बैठा है - यह अपने आपमें जबरदस्त रोजयोग कारक है और व्यक्ति को कीचड में पैदा होने के बावजूद राजसिंहासन तक पहुँचाने की क्षमता रखता है और शायद यह बात जो भी ज्योतिष जानते हैं उन्हें बताने की आवश्यकता नहीं कि लग्न में तुला के शुक्र का क्या मतलब होता है।

२. दशम भाव में नीच का मंगल - जिसके कारण पिता के सुख में कमी परन्तु उच्च दृष्टि माँ के स्थान पर अतः माँ की आयु लम्बी और भरपूर आशीर्वाद, साथ ही शत्रुओं को परास्त करने की अद्भुत क्षमता।

३. पराक्रम भाव अर्थात तृतीय भाव में अपनी ही राशि पर बैठा वक्री गुरु - यह भाई - बहनों के सुख को कमजोर करता है परन्तु अदभुत पराक्रम देता है, मोदी के बारे में ये दोनों ही बाते सर्वविदित हैं।

४. राज्येश चन्द्रमा का भाग्य स्थान अर्थात नवम भाव में बैठना - यह एक अद्भुत राजयोग है। साथ ही गुरु और चन्द्रमा का दृष्टि योग जबरदस्त पराक्रम, राज क्षमता, सृजनात्मक विचार इन सबसे व्यक्ति को ओतप्रोत बनता है, और ये सभी गन मोदी में विद्यमान हैं।

५. एकादश भाव में शनि - यहाँ बैठकर शनि लग्न, पंचम, और अष्टम भाव को सीधे देख रहे हैं, अतः देर से विद्या की प्राप्ति, लग्न पर उच्च दृष्टि के कारण निरोगी एवं आध्यात्मिक विचारधारा, दुखी लोगो के प्रति सेवा का भाव ये सभी गुण प्रदान कर रहा है, साथ ही जीवन में अत्यधिक यात्रा और यात्रा के और सेवा के द्वारा लाभ को दर्शाता है, और इन सभी बातों को मोदी के सन्दर्भ में बताने की आवश्यकता नहीं।

६. छठवें भाव में राहु - कम से कम किसी ज्योतिष के विद्वान को इसका अर्थ बताने की आवश्यकता नहीं, शत्रुओं पर जबरदस्त प्रभाव, जिसने भी शत्रुता की वो गया और यही मैंने पहले भी लिखा था की संजय जोशी, केशुभाई पटेल, और शंकर सिंह बाघेला आज नेपथ्य में चले गए हैं और पूरी तरह से मोदी पर आश्रित हैं। वर्तमान में आडवाणी और सुषमा स्वराज को झुकना पड़ा और नितीश, मायावती, मुलायम, अरविन्द केजरीवाल, मणिशंकर अय्यर, सलमान खुर्शीद जैसे न जाने कितने अधिक मोदी का विरोध करने की वजह से राजनैतिक मौत मारे गए।

७. द्वादश भाव में केतु, सूर्य, और बुध - जो स्वयं कन्या यानी कि बुध की अपनी राशि में हैं एक साथ युति कर रहे हैं। ऐसा किसी भी व्यक्ति को जबरदस्त योजनाकार, भ्रमणशील, प्रखर वक्ता, धर्म रक्षक, तथा परोपकारी बनाता है। साथ ही यह योग पुनः किसी भी शत्रु के लिए अत्यंत घातक है। सूर्य शुन्य अंश का और पिता का कारक और ग्रहण योग में होने के कारण पिता के सुख में कमी और पैतृक सम्पत्ति तथा पैतृक स्थान के सुख में भारी कमी को दर्शाता है।

अब करते हैं दशाओं की बात :

मोदी का जन्म इस वर्ष के अनुसार गुरु की महादशा में हुआ, तुला लग्न में गुरु तीसरे और छठे भाव का स्वामी है , मोदी को जन्म से कितना दुःख झेलना पड़ा यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है।

1965 से - 1984 तक: यह शनि की दशा का समय था, शनि तुला लग्न में योगकारक तो हैं परन्तु राजयोगकारक नहीं। साथ ही सुख भाव(चतुर्थ ) से छठे भाव में बैठे हैं, अतः अत्यंत दुःख, खूब भ्रमण, आध्यात्मिक और नैतिक ज्ञान के साथ जीवन जीने को बाध्य किये, इस दौरान जैसा शनि का गुण है मोदी साधु संतों की सेवा में रहे और लगभग सन्यासी का जीवन यापन किये।

1984 से जुलाई 2001 तक: यह समय जहाँ से मोदी के राजनैतिक जीवन और अच्छे दिन की शुरुवात होती है, बुध इनकी कुंडली में भाग्येश है और अपनी उच्च राशि कन्या में द्वादश में बैठकर राजयोग भी बना रहा है और यही से मोदी के राजयोग की शरुवात हो जाती है।

30 जुलाई 2001 से 30 जुलाई - 2008 तक: केतु की महादशा का प्रारम्भ और मोदी राजयोग शुरू, केतु की महादशा शुरू होने के तुरंत बाद अक्टूबर में मोदी को मुख्यमंत्री की कुर्सी, २००२ में चुनाव और पुनः विजय जब केतु में शुक्र का अंतर आया।

30 जुलाई 2008 से शुक्र की महादशा प्रारम्भ: पुनः मुख्यमंत्री और मजबूती के साथ, दिसंबर २०१२ से शुक्र में राज्येश चन्द्रमा की अंतर दशा जो अभी जुलाई रहेगी , बताने की आवश्यकता नहीं की २०१३ से लेकर अभी तक मोदी कहा पहुंच चुके हैं, क्योंकि मेरे हिसाब से अभी लग्नेश शुक्र और राज्येश चन्द्रमा का समय चल रहा है।

विशेष :

१. वर्तमान में भी तुला पर ही शनि हैं जो उच्च के हैं और जबरदस्त राजयोग बना हैं, मीन में उच्च के शुक्र भी है।

२. मेरे दिए हुए जन्म तारीख अर्थात सितम्बर 17,1949, सुबह 10.50 के अनुसार मोदी का जन्म दिन शनिवार, वरियन योग, कृष्ण पक्ष दशमी तिथि, पुनर्वसु नक्षत्र है, दशमी तिथि जाया तिथि होती है और इन सारे योग में पैदा हुआ व्यक्ति राजा नहीं बनेगा तो कौन बनेगा?

३. सबसे ध्यान देने योग्य बात ये है कि मोदी ने गुजरात और वाराणसी दो जगह से अपना नामांकन दसमी तिथि को ही किया था। १७ और २६ दोनों का हे योग ८ है जो शनि का अंक है, मोदी १७ को शनिवार के दिन ही पैदा हुए हैं।

यह मेरा प्रयास था तथ्यों का, पाठकों और ज्योतिषविदों से अनुरोध है कि अपना विचार रखें और हो सके तो उसे व्यक्त करें।

पं दीपक दूबे

No comments:

Post a Comment