Monday, August 31, 2015

मुख्य अतिथि हेतु निमंत्रण पत्र

शुभ घड़ी जब आती है, शुभ कार्य तभी हो जाता है ।

समाज में जो सत कर्म करेगा, समाज उसके गुण गायेगा
जो गंगा धरती पर लायेगा, वो भागीरथ कहलायेगा

समाज के प्रबुद्धजनों समाज सेवियों, 

जैसा कि आप सभी अवगत हैं कि आज कल समाज में शादियो में दिन-ब-दिन बढती फिजूल खर्ची के कारण आर्थिक रूप से कमजोर परिवारो को शादी के पहाड़ रूपी खर्चे का बोझ उठाना मुश्किल हो रहा है l दहेज़ के अलावा दहेज़ रूपी दानव एक अहम् किरदार निभा रहा है कन्या भूर्ण हत्या में, क्योंकि माँ बाप के मन उसकी शादी के खर्चे का भी भय होता हैं l सामूहिक विवाह की पहल से हम समाज में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारो  की आर्थिक मदद के अलावा अनैतिक, असामाजिक बुराई दहेज़ प्रथा और कन्या भूर्ण हत्या जैसी समस्या का भी निदान कर रहे है l  
 सामूहिक विवाह समाज के भगीरथ बंधुओ द्वारा समाज हित में एक सार्थक सोच के साथ महत्वपूर्ण कदम हैं।
: कार्यक्रम विवरण :
आपको इस सन्दर्भ में सादर सूचित किया जाता है कि सामूहिक विवाह समिति की ओर से विशेष आपको सादर सूचित किया जाता है कि अतिथि के रूप में आपके नाम का प्रस्ताव पास हुआ है जिसके लिए आपकी स्वीकृति आवश्यक है l ताकि समिति निमंत्रण कार्डो व पोस्टर में नाम छपवा सके l 

हिन्दू धर्म में; सद्गृहस्थ की, परिवार निर्माण की जिम्मेदारी उठाने के योग्य शारीरिक, मानसिक परिपक्वता आ जाने पर युवक-युवतियों का विवाह संस्कार कराया जाता है। भारतीय संस्कृति के अनुसार विवाह कोई शारीरिक या सामाजिक अनुबन्ध मात्र नहीं हैं, यहाँ दाम्पत्य को एक श्रेष्ठ आध्यात्मिक साधना का भी रूप दिया गया है। इसलिए कहा गया है 'धन्यो गृहस्थाश्रमः'। सद्गृहस्थ ही समाज को अनुकूल व्यवस्था एवं विकास में सहायक होने के साथ श्रेष्ठ नई पीढ़ी बनाने का भी कार्य करते हैं
विवाह दो आत्माओं का पवित्र बन्धन है। दो प्राणी अपने अलग-अलग अस्तित्वों को समाप्त कर एक सम्मिलित इकाई का निर्माण करते हैं। स्त्री और पुरुष दोनों में परमात्मा ने कुछ विशेषताएँ और कुछ अपूणर्ताएँ दे रखी हैं। विवाह सम्मिलन से एक-दूसरे की अपूर्णताओं की अपनी विशेषताओं से पूर्ण करते हैं, इससे समग्र व्यक्तित्व का निर्माण होता है। इसलिए विवाह को सामान्यतया मानव जीवन की एक आवश्यकता माना गया है।

सादर नमस्कार,
आपको सादर सूचित किया जाता है कि हर वर्ष की भांति ज्ञान लक्ष्य (NGO) द्वारा इस वर्ष भी श्री बाबा रामदेव शोभायात्रा समारोह का आयोजन निम्नांकित कार्यक्रम के अनुसार स्वामी आत्मा राम लक्ष्य पार्क, A & B ब्लाक ज्वाला पुरी, सुंदर विहार, नई दिल्ली-110087 में किया जाएगा।
आठवीं सामूहिक भव्य शोभा यात्रा :-
15 सितम्बर, 2015  प्रातः 9.00 बजे  
आठवीं सामूहिक भव्य श्री बाबा रामदेव शोभायात्रा समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पधारने हेतु श्री मदन खोरवाल जी से अनुरोध किया गया है।
प्रार्थना है कि आप आठवीं सामूहिक भव्य श्री बाबा रामदेव शोभायात्रा समारोह में अपनी गरिमामयी उपस्थिति से प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करें और समारोह को सफल बनाने में अपना योगदान देने की कृपा करें।
सादर,

आदरणीय ………………जी, नमस्कार.
आपकी …………. पत्रिका में मेरी रचना को भी स्थान मिला. इसके लिए हार्दिक आभार. लेखन को प्रोत्साहन देने के लिए आपका यह प्रयास सच ही हिंदी साहित्य को नए आयाम देगा. आपके साथ यह साहित्यिक यात्रा बहुत गरिमा पूर्ण रहेगी ऐसी कामना है.


नव वर्ष-नव संवत्सर की शुभकामनाओं सहित,
प्रिय श्री …… जी,
नमस्कार। आपका निमंत्रण पत्र मिला, हार्दिक धन्यवाद। जानकर आत्मिक प्रसन्नता हुई कि ‘……………….' ई-पत्रिका अपनी पहली वर्षगांठ मना रही है। इस अवसर पर कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाना अत्यन्त सुखद है। कृपया इस हेतु मेरी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं स्वीकार करें। 'अनहद कृति' उत्तरोत्तर प्रगति करे एवं अपने उद्देश्य में सफल होकर हिन्दी साहित्य जगत में अपनी अलग पहचान बनाये, यही कामना है। इस हेतु पत्रिका को मेरा रचनात्मक सहयोग सदैव रहेगा।
अंतरजाल पर मौजूद लगभग सभी पत्रिकाओं में मेरी रचनाएं प्रकाशित हैं लेकिन 'अनहद कृति' से जुडऩे का एक अलग ही आनंद रहा। लोकसभा चुनाव नजदीक हैं। चूंकि मैं दैनिक समाचार पत्र में महत्वपूर्ण दायित्व निभा रहा हूं और अतिव्यस्तता है इसलिए विवश हूं। अन्यथा आपके कार्यक्रम में अवश्य शामिल हो पाता।
मंगलकामनाओं सहित,
प्रिय ……. जी,
अनहद कृति के द्वितीय वर्ष में पदार्पण करने पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करें. पत्रिका निकालना बहुत कठिन काम होता है. आपने यह कार्य पूरी निष्ठा के साथ किया , इसके लिए आपका अभिनन्दन करता हूँ और आप इस अवसर पर जो आयोजन कर रहे हैं, उसकी सफलता की कामना करता हूँ. आपका उत्साह बना रहे, सहयोगी मिलते रहें, और आप सफलकाम हों, इसी आशा और विश्वास के साथ,
भवदीय
आदरणीय सम्‍पादक महोदय,
सादर प्रणाम।
बधाई । आपका आमंत्रण पत्र मिला। राजकीय सेवा में हूँ और वर्तमान में लोक सभा आम चुनाव के चलते और आचार संहिता के रहते उपस्थित होने की स्थिति में नहीं हूँ। भविष्‍य में कभी संभव हुआ तो किसी प्रोग्राम में सम्मिलित होने का प्रयास करूँगा। इस आयोजन की सफलता के लिए ढेरों शुभकामनायें। आपकी यह पत्रिका सफलता की नई ऊँचाइयाँ छुए। हिंदी के प्रचार प्रसार के नये आयाम स्‍थापित करे। अनहद कृति परिवार के सभी सहयोगियों, सदस्‍यों को मेरी शुभकामनायें। मुझे गर्व है कि मैं आपकी पत्रिका का सदस्‍य हूँ। साहित्यिक सहयोग के लिए सदैव तत्‍पर हूँ। धन्‍यवाद।
भवदीय,
"तुलसी क्यारे सी हिंदी को हर आँगन में रोपना है,

यह वो पौधा है जिसे हमें नयी पीढ़ी को सोंपना है।"

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