साभार- आरक्षण मूवी (क्लाल रूम का दृष्य)
( श्याम पट्ट पर किसी शैतानी विधार्थी ने लिख दिया "आरक्षण हमारा जन्म सिद्द अधिकार है " क्लाल रूम मे विधार्थी आते है
लडकी- ओ गोड किसने लिखा है यह सब
मनुवादी लडका-ऐ किसने लिखा है यह सब है हिम्मत तो सामने आओ
मनुवादी लेक्चरर-नही मानेगे यह लोग डरपोक सांप के जैसा डसकर बिल मे घुस जाते है यह लोग अब तो कुछ करना पडेगा
दलित छात्र दीपक - जिसने भी किया है गलत किया है छोटू पानी ले आ एक बाल्टी
मनुवादी लडका - इसे मिटाने की कहा जरूरत है मिस्टर दीपक कुमार इसको बस थोडा सा बदल दिजिऐ आरछण के बदले लिख दिजीऐ "खैरात" खैरात तो हमारा जन्म सिद्द अधिकार है
मनुवादी लेक्चरर- पिछले 60 साल से sc/st आरछण और अब obc आरछण ,हमारे बच्चे दिन- रात रगड-रगड कर पढते रहै और जब एडमिशन का नम्बर आऐ तो खैरात लूट लिजिऐ आप लोग , डर लगता है ना ! मेहनत करने से
दलित छात्र दीपक-अच्छा हमे मेहनत का पाठ पढा रहै है आप ,हमने आज तक और किया क्या है? अरे भूल गये है तो पढ लिजिऐगा इतिहास कि कोन मेहनत करके कमाता रहा है और कोन खैरात समझ कर लूटता रहा है अरे सदियो से दक्षिणा ले लेकर भरली है अपनी पेटिया आप लोगो ने और हमसे खैरात की बात करते है आप के खेत जोते हमने,आपकी फसले काटी हमने ,आपके मवेशी चराऐ हमने,आपकी बेटियो की बीबीयो की डोलिया उठाई हमने,आपके मुर्दे जलाऐ,जूते सीले,बैल हाके,नाव चलाई ,आपके घरो की गन्दी नालियो की सफाई की हमने यहाॅ तक कि आपकी टट्टी तक सिर पर ढोयी हमने हमे सिखाओगे आप ??
मनुवादी लडका-ठीक कहा आपने इसी काबिल है आप ,इतनी ही ओकात है आपकी ,यही सटीक है यहाॅ देश के भबिष्य को बनाने की बात चल रही है ओर जो काबिल होगा उसी को मिलेगी यह जगह : मगर आप लोगो को तो सब कुछ फोकट मे चाहिऐ सच तो यह है कि कम्प्टीशन से डरते है आप
दलित छात्र दीपक - किस कम्प्टीशन की बात कर रहै है तुम ? वही जो आपने कभी करने नही दिया ,अरे हमारे लिऐ तो स्कूल के सारे दरवाजे ही बन्द थे : किसी तरह हम वहाॅ पहुच भी गये तो छाॅटकर अलग लाईन मे बैठा दिया गया: स्कूल तुम्हारे ,अस्पताल तुम्हारे,पुलिश स्टेशन तुम्हारे,सभी सुख -सुबिधाओ के सारे तंत्र तुम्हारे : पता है तुमने क्यो नही दिया हमे मोका कम्प्टीशन का ? , क्योकि तुम डरते हो बराबरी के कम्प्टीशन से ! हम नही !
मनुवादी लडका-इतिहास की आड मे अपनी कमजोरी मत छूपाओ तुम लोग, हमारी जनरेशन मे ऐसा कुछ नही होता है अगर हिम्मत है तो चेलेन्ज उठाओ और लडो मगर वह तुम करोगे नही क्योकि उसके लिऐ चाहिऐ मेरिट जो नही है तुम्हारे पास
दलित छात्र दीपक-करेगे मुकाबला मेरिट से भी तुम्हारा मगर रेस की स्टार्टिंग लाईन एक होनी चाहिऐ सभी के लिऐ जाओ पहले अपने बाप से कहो अपनी पुस्तैनी हवेली को छोडकर हमारे साथ बस्ती मे रहै और रोज सुबह कम्पनी की वर्दी चढाकर डाईवर,दर्वानी या चपरासी की नोकरी पर जाऐ ,अपनी मां से कहो कि अपने एयरकंडीसनर रासियाने से निकले और हमारी मांओ के साथ जाकर घर-2 छाडू वर्तन करे और अपनी बहिन से कहो रोज सबेरे आॅख खुलते ही मोहल्ले के एक मात्र मुंशीपल्टी के नल से एक घडा पानी भरके लाऐ : आओ हमारे साथ हमारी जिन्दगी चंखो , फिर बात करो , करेगै मुकाबला मेरिट से भी तुम्हारा जब तक नही करते जब तक अपनी बैहूदा जबान अपने पास रखो
पूरे सिनेमा हाॅल मे तालियो की गडगडाहट होती है
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( श्याम पट्ट पर किसी शैतानी विधार्थी ने लिख दिया "आरक्षण हमारा जन्म सिद्द अधिकार है " क्लाल रूम मे विधार्थी आते है
लडकी- ओ गोड किसने लिखा है यह सब
मनुवादी लडका-ऐ किसने लिखा है यह सब है हिम्मत तो सामने आओ
मनुवादी लेक्चरर-नही मानेगे यह लोग डरपोक सांप के जैसा डसकर बिल मे घुस जाते है यह लोग अब तो कुछ करना पडेगा
दलित छात्र दीपक - जिसने भी किया है गलत किया है छोटू पानी ले आ एक बाल्टी
मनुवादी लडका - इसे मिटाने की कहा जरूरत है मिस्टर दीपक कुमार इसको बस थोडा सा बदल दिजिऐ आरछण के बदले लिख दिजीऐ "खैरात" खैरात तो हमारा जन्म सिद्द अधिकार है
मनुवादी लेक्चरर- पिछले 60 साल से sc/st आरछण और अब obc आरछण ,हमारे बच्चे दिन- रात रगड-रगड कर पढते रहै और जब एडमिशन का नम्बर आऐ तो खैरात लूट लिजिऐ आप लोग , डर लगता है ना ! मेहनत करने से
दलित छात्र दीपक-अच्छा हमे मेहनत का पाठ पढा रहै है आप ,हमने आज तक और किया क्या है? अरे भूल गये है तो पढ लिजिऐगा इतिहास कि कोन मेहनत करके कमाता रहा है और कोन खैरात समझ कर लूटता रहा है अरे सदियो से दक्षिणा ले लेकर भरली है अपनी पेटिया आप लोगो ने और हमसे खैरात की बात करते है आप के खेत जोते हमने,आपकी फसले काटी हमने ,आपके मवेशी चराऐ हमने,आपकी बेटियो की बीबीयो की डोलिया उठाई हमने,आपके मुर्दे जलाऐ,जूते सीले,बैल हाके,नाव चलाई ,आपके घरो की गन्दी नालियो की सफाई की हमने यहाॅ तक कि आपकी टट्टी तक सिर पर ढोयी हमने हमे सिखाओगे आप ??
मनुवादी लडका-ठीक कहा आपने इसी काबिल है आप ,इतनी ही ओकात है आपकी ,यही सटीक है यहाॅ देश के भबिष्य को बनाने की बात चल रही है ओर जो काबिल होगा उसी को मिलेगी यह जगह : मगर आप लोगो को तो सब कुछ फोकट मे चाहिऐ सच तो यह है कि कम्प्टीशन से डरते है आप
दलित छात्र दीपक - किस कम्प्टीशन की बात कर रहै है तुम ? वही जो आपने कभी करने नही दिया ,अरे हमारे लिऐ तो स्कूल के सारे दरवाजे ही बन्द थे : किसी तरह हम वहाॅ पहुच भी गये तो छाॅटकर अलग लाईन मे बैठा दिया गया: स्कूल तुम्हारे ,अस्पताल तुम्हारे,पुलिश स्टेशन तुम्हारे,सभी सुख -सुबिधाओ के सारे तंत्र तुम्हारे : पता है तुमने क्यो नही दिया हमे मोका कम्प्टीशन का ? , क्योकि तुम डरते हो बराबरी के कम्प्टीशन से ! हम नही !
मनुवादी लडका-इतिहास की आड मे अपनी कमजोरी मत छूपाओ तुम लोग, हमारी जनरेशन मे ऐसा कुछ नही होता है अगर हिम्मत है तो चेलेन्ज उठाओ और लडो मगर वह तुम करोगे नही क्योकि उसके लिऐ चाहिऐ मेरिट जो नही है तुम्हारे पास
दलित छात्र दीपक-करेगे मुकाबला मेरिट से भी तुम्हारा मगर रेस की स्टार्टिंग लाईन एक होनी चाहिऐ सभी के लिऐ जाओ पहले अपने बाप से कहो अपनी पुस्तैनी हवेली को छोडकर हमारे साथ बस्ती मे रहै और रोज सुबह कम्पनी की वर्दी चढाकर डाईवर,दर्वानी या चपरासी की नोकरी पर जाऐ ,अपनी मां से कहो कि अपने एयरकंडीसनर रासियाने से निकले और हमारी मांओ के साथ जाकर घर-2 छाडू वर्तन करे और अपनी बहिन से कहो रोज सबेरे आॅख खुलते ही मोहल्ले के एक मात्र मुंशीपल्टी के नल से एक घडा पानी भरके लाऐ : आओ हमारे साथ हमारी जिन्दगी चंखो , फिर बात करो , करेगै मुकाबला मेरिट से भी तुम्हारा जब तक नही करते जब तक अपनी बैहूदा जबान अपने पास रखो
पूरे सिनेमा हाॅल मे तालियो की गडगडाहट होती है
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