Tuesday, September 29, 2015

क्यों 'वैदिक धर्म' को विश्व का कोई भी देश अपने यहाँ लागु नहीं कर सका?

•इतिहास उठाकर देखोगे तो समझ आएगा भारत में 'वैदिक धर्म' के नाम से बहुत से कार्य और अविष्कार इस देश और समाज में किये है, जिन्हें विश्व का कोई भी देश अपने यहाँ लागु नहीं कर सका ।
1. भारत में ही सर्वप्रथम वर्णव्यवस्था का आविष्कार हुआ, जिसने भारत को दो हजार वर्षों तक गुलाम बनाने में मुख्य भूमिका निभायी।
2. भारत में ही सर्वप्रथम सतीप्रथा का आविष्कार हुआ, जिसमे विधवा औरतों को जिन्दा जला दिया जाता था. इस प्रथा को ईस्ट इंडिया कम्पनी सरकार ने 1841 में कानून बनाकर बंद किया था।
3. भारत में ही सर्वप्रथम धर्म के नाम पर छुआछूत का आविष्कार हुआ था, जिसके द्वारा लाखों लोगों को अछूत बनाकर सभ्यता के प्रकाश से दूर रखा गया।
4. भारत में ही सर्वप्रथम धर्म के नाम पर गाय, बैलों और घोड़ों की बलि देने की प्रथा और यज्ञों में औरतों को जानवरों के साथ संभोग करवाने जैसें पाशविक आविष्कार हुए ।
5. भारत में ही सर्वप्रथम धर्म के नाम पर नरबलि की प्रथा का आविष्कार किया गया।
6. भारत में ही सर्वप्रथम दासप्रथा का भी आविष्कार हुआ।
7. भारत में ही सर्वप्रथम धर्म के नाम पर निष्ठुर प्रथा गंगा-प्रवाह का आविष्कार हुआ था, जिसमे मनौती पूरी होने पर लोग अपनी पहली संतान को गंगा-सागर में छोड़ देते थे. इस क्रूर प्रथा को कम्पनी सरकार ने 1835 में कानून बनाकर बंद किया था।
8. भारत में ही सर्वप्रथम धर्म के नाम पर चरक-पूजा का आविष्कार हुआ था, जिसमे मोक्ष के इच्छुक उपासक के मेरुदंड में दो लोहे के हुक धंसाकर उसे रस्सी के द्वारा चरखी के एक छोर से लटका देते थे और दूसरे छोर से उसे तब तक नचाते थे, जब तक उसके प्राण नहीं निकल जाते थे. इस प्रथा को ब्रिटिश सरकार ने 1863 में कानून द्वारा बंद किया था।
9. भारत में ही सर्वप्रथम कर्मफल आधारित पुनर्जन्म के सिद्धांत का आविष्कार हुआ, जिसने गरीबों के शोषण का क्रूर तन्त्र विकसित किया।
10. भारत में ही सर्वप्रथम सनातन धर्म के नाम पर एक ऐसे धर्म का आविष्कार किया गया, जिसमे समानता के लिए कोई जगह नहीं है।
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