भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने देश में महिलायों की स्थिति को "दयनीय" बताया है. राष्ट्रपति ने कहा कि इस सिलसिले में जल्द से जल्स ठोस कदम उठाए जाने चाहिए.
नन्ही छान संस्थान द्वारा आयोजित किए गए एक समारोह में राष्ट्रपति ने कहा, "2011 की जन गणना के अस्थाई आंकडें हाल ही में जारी किए गए हैं. यह देखने में आया है कि हमारी आबादी में औरतों की संख्या बहुत ही कम है. हर हजार पुरुषों पर केवल 940 महिलाएं ही हैं. मुझे लगता है कि यह एक दयनीय स्थिति बनती जा रही है."
समाज में स्त्री और पुरुष के बीच हो रहे भेदभाव को आड़े हाथ लेते हुए प्रतिभा पाटिल ने कहा, "आबादी में यह असंतुलन समाज में फैली गलत धारणाओं का नतीजा है. इन धारणायों के कारण ही लोग भ्रूण हत्या और शिशु हत्या जैसे निंदनीय काम करते हैं. मेरे विचार में इस स्थिति के सुधार के लिए ठोस कदम उठाने होंगे और मुझे नहीं लगता कि कोई भी इस बात से असहमत होगा."
प्रतिभा पाटिल ने कहा कि देश में ऐसे सुधारों की सख्त जरूरत है जिनके चलते समाज में महिला और पुरुष के बीच के भेद भाव खत्म किए जा सकें और लोग यह समझ सकें कि एक खुशहाल परिवार और अच्छे भविष्य के लिए जरूरी है कि दोनों साथ मिल कर काम करें.
दहेज प्रथा के बारे में राष्ट्रपति ने कहा, "यह धारणा कि बेटी बोझ होती है, दहेज जैसी सामाजिक बुराइयों से उत्पन्न होती है. दहेज के कारण बच्चियों के प्रति प्रेम और स्नेह जैसी भावनाएं खत्म हो रही हैं."
रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया
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