एक गरीब आदमी ने भगवान् बुद्ध से पूछा :
"मैं इतना गरीब क्यों हूँ?",
"मैं इतना गरीब क्यों हूँ?",
बुद्ध ने कहा :
"तुम गरीब हो क्योंकि तुमने देना नहीं सीखा." !
गरीब आदमी ने कहा :
"परन्तु मेरे पास तो देने के लिए कुछ भी नहीं है"
"तुम गरीब हो क्योंकि तुमने देना नहीं सीखा." !
गरीब आदमी ने कहा :
"परन्तु मेरे पास तो देने के लिए कुछ भी नहीं है"
बुद्ध ने कहा :
"तुम्हारा चेहरा: एक मुस्कान दे सकता है. तुम्हारा मुँह: किसी की प्रशंसा कर सकता है या दूसरों को सुकून पहुंचाने के लिए दो मीठे बोल बोल सकता है, तुम्हारे हाथ: किसी ज़रूरतमंद की सहायता कर सकते हैं. . .
और तुम कहते हो तुम्हारे पास देने के लिए कुछ भी नहीं ? !!
"तुम्हारा चेहरा: एक मुस्कान दे सकता है. तुम्हारा मुँह: किसी की प्रशंसा कर सकता है या दूसरों को सुकून पहुंचाने के लिए दो मीठे बोल बोल सकता है, तुम्हारे हाथ: किसी ज़रूरतमंद की सहायता कर सकते हैं. . .
और तुम कहते हो तुम्हारे पास देने के लिए कुछ भी नहीं ? !!
आत्मा की गरीबी ही वास्तविक गरीबी है.
पाने का हक उसी को है . . .
जो देना जानता है।।
जो देना जानता है।।
मन के हारे हार है मन के जीते जीत
हे मानव तू गाँठ बाँध ले ये जीवन का संगीत.
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