रोक सका है कौन ज्वार सिन्धु का, दामिनी का उत्कर्षण
छीन सका है कौन गन्ध चन्दन से, कुसुमों से आकर्षण
बाँध सका है कौन पवन का वेग और मेघों का गर्जन
कहाँ थमा है वसुन्धरा पर पल पल सृष्टि का परिवर्तन
सूत्रपात नवयुग के नवशासन का फिर से आज हुआ है
राष्ट्र के सिंहासन पर अब एक राष्ट्रभक्त का राज हुआ है
रोम रोम पुलकित है, मन हर्षित है, तन आह्लादित है
अब होगा उत्थान वतन का जन गण मन आश्वासित है
हे निर्विवाद निष्छल निर्मल अविकारी
हे माँ वाणी के वरदपुत्र हुंकारी
हे प्रखर परन्तु मृदुभाषी मनोहारी
अभिनन्दन अटल बिहारी !
अभिनन्दन अटल बिहारी !!
अभिनन्दन अटल बिहारी !!!
वैसे तो तू बदमाश है, नालायक है, उत्पाती है
पर क्या करूँ, कमबख्त मेरी सासू का नाती है
सो लोकलाज में व्यवहार तो निभाना ही पड़ेगा
अपने 'आलोक' का जन्मदिन मनाना ही पड़ेगा
ऐ मेरी 11 वर्षों की गाढ़ी कमाई !
तुझे जन्मदिवस की ढेरों बधाई !
http://thikaana.blogspot.in/search
छीन सका है कौन गन्ध चन्दन से, कुसुमों से आकर्षण
बाँध सका है कौन पवन का वेग और मेघों का गर्जन
कहाँ थमा है वसुन्धरा पर पल पल सृष्टि का परिवर्तन
सूत्रपात नवयुग के नवशासन का फिर से आज हुआ है
राष्ट्र के सिंहासन पर अब एक राष्ट्रभक्त का राज हुआ है
रोम रोम पुलकित है, मन हर्षित है, तन आह्लादित है
अब होगा उत्थान वतन का जन गण मन आश्वासित है
हे निर्विवाद निष्छल निर्मल अविकारी
हे माँ वाणी के वरदपुत्र हुंकारी
हे प्रखर परन्तु मृदुभाषी मनोहारी
अभिनन्दन अटल बिहारी !
अभिनन्दन अटल बिहारी !!
अभिनन्दन अटल बिहारी !!!
वैसे तो तू बदमाश है, नालायक है, उत्पाती है
पर क्या करूँ, कमबख्त मेरी सासू का नाती है
सो लोकलाज में व्यवहार तो निभाना ही पड़ेगा
अपने 'आलोक' का जन्मदिन मनाना ही पड़ेगा
ऐ मेरी 11 वर्षों की गाढ़ी कमाई !
तुझे जन्मदिवस की ढेरों बधाई !
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