सेवा में,
आदरणीय श्री बी. एल. खटनावलिया/श्री रामसहाय जी बड़ोलिया/वर्मा,
अध्यक्ष/महासचिव,
अखिल भारतीय रैगर महासभा (पंजी०).
सादर नमस्कार,
आप समाज के
अग्रणी, प्रबुद्ध, कर्मठ और कुशल प्रतिनिधित्व प्रदान करने वाले व्यक्ति है l आपके
द्वारा सोशल मिडिया पर जारी अपील देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि ये अपील कम और समाज
के नाम एक आदेश है l लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए बोलने
की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आज़ादी बहुत ज़रूरी है और उसे आज़ादी की पहली शर्त
माना जाता है, बोलने की स्वतंत्रता सभी अधिकारों की जननी है l सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक मुद्दों पर लोगों की राय बनाने के लिए बोलने की
स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आज़ादी महत्वपूर्ण है l
अभिव्यक्ति
पर प्रतिबन्ध से अभिव्यक्ति और तीव्र हो जाती है । जब-जब अभिव्यक्ति पर प्रतिबन्ध
लगा है, विचारों की तीक्ष्णता से आन्दोलन का
प्रादुर्भाव हुआ है । अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर लगने वाले पहरे के आलोक में
नयी विचारधाराओँ का जन्म हुआ है । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ है मनुष्य का
मनुष्य होना । अभिव्यक्ति पर प्रतिबन्ध का अर्थ है मानव को दासता की बेड़ियों में
जकड़ कर उसे जानवरों सरीखा जीवन जीने के लिए विवश करना । इसलिए इस पर सवाल उठना
स्वाभाविक है l आपकी अपील अनुसार मेरे कुछ सवाल सीधे तौर पर आपसे है, मुझे आशा है
कि आप मेरे सवालों का जवाब देकर अपील में कही बात को कार्यान्वित करेंगे l मेरे
सवाल निम्नलिखित है :-
1. क्या यह अपील/आदेश
अखिल भारतीय रैगर महासभा के अध्यक्ष, मंत्रिमंडल व कार्यकारिणी की सहमति से जारी
की गई है ? यदि हाँ तो किस दिन इसकी स्वीकृति ली गई थी कृपया इस बारे में अवगत
कराये l
2. क्या सभी
ज्ञानी/समझदार लोग केवल अखिल भारतीय रैगर महासभा में ही है? इसके अलावा रैगर समाज
में ज्ञानी/समझदार लोगो का पूर्णतया अभाव है क्या ? स्थिति स्पष्ट करें l
3. आपके
द्वारा जारी अपील/आदेश में समाज के लोगो को सोशल मीडिया पर विचार व्यक्त करने व
चर्चा करने से रोकने से सम्बंधित है, लोकतंत्रीय भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1) के
तहत भी सभी नागरिको/लोगो को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गयी है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अपने भावों और विचारों को व्यक्त
करने का एक संवैधानिक अधिकार है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति न सिर्फ विचारों का
प्रचार-प्रसार कर सकता है, बल्कि किसी भी तरह की सूचना
का आदान-प्रदान करने का अधिकार रखता है। अब सवाल ये उठता है कि क्या अखिल भारतीय
रैगर महासभा का संविधान हमें रैगर समाज के बारे में चर्चा करने या बोलने की
आजादी नहीं देता है? विचारणीय है कि क्या आलोचना
के नाम पर किसी के विचारों का गला घोंटा जा सकता है? क्या समाज इतना असहिष्णु हो गया है, जो ज़रा-ज़रा सी बात पर
या आलोचना से उसे तक़लीफ़ हो जाती है? इस बारे में अखिल भारतीय रैगर महासभा और आप अपना दृष्टिकोण समाज को
स्पष्ट करें l
4. यदि आप रैगर समाज के
लोगो को सोशल मीडिया पर विचार व्यक्त करने व चर्चा
करने से रोक रहे है तो आप अमानवीय और भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1) के विरुद्ध है । जो कि एक दंडनीय अपराध है l यदि
किसी भी सभ्य समाज में मनुष्य को स्वतन्त्र विचार रखने व व्यक्त करने की
स्वतन्त्रता की व्यवस्था न हो तो समाज की उन्नति नहीं हो सकती और न ही मनुष्य का
समुचित विकास हो सकता है। इसलिए प्रत्येक सभ्य समाज में मनुष्य को स्वतन्त्र विचार
रखने व व्यक्त करने की स्वतन्त्रता होनी चाहिए । इस बारे में अखिल भारतीय रैगर महासभा और आप अपना दृष्टिकोण समाज को
स्पष्ट करें l
5. आपके द्वारा जारी अपील/आदेश में सामाजिक पत्र-पत्रिकाओ
और अखबारों के बारे में भी कहा गया है इससे ऐसा प्रतीत होता है कि अखिल भारतीय
रैगर महासभा की टीम भारतीय लोकतंत्र के चतुर्थ स्तम्भ यानि मिडिया के अधिकारों से
अनभिज्ञ है l जो मिडिया सामाजिक संगठनो के द्वारा जब कोई अच्छा काम किया जाता हैं
तो उसकी सराहना भी करता है और जब सामाजिक संगठनो के द्वारा कोई गलत कार्य होता हैं
तो मीडिया उसकी आलोचना कर समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को जिम्मेदारी निभाने के
लिए सजग रहता है। क्या अखिल भारतीय रैगर महासभा सामाजिक मिडिया और उससे जुड़े
पत्रकारों को ऐसा करने से रोकना चाहती है? इस बारे में अखिल भारतीय रैगर महासभा और आप अपना दृष्टिकोण समाज और
मिडिया को स्पष्ट करें l
मुझे
पूर्ण विश्वास है कि अखिल भारतीय रैगर महासभा (पंजी०) के पदाधिकारिगण संगठन में
कार्यकुशलता और पारदर्शिता का ध्यान रखते हुए पत्र में पूछे गए उपरोक्त सवालो का
जवाब शीघ्र अति शीघ्र देकर लोकतंत्रीय प्रणाली का पालन करेगे l इसी आशा के साथ
सधन्यवाद l
भवदीय,
(रघुबीर सिंह गाड़ेगाँवलिया)
सदस्य: जर्नलिस्ट एसोसिएशन (इण्डिया)
सदस्य: जर्नलिस्ट एसोसिएशन (इण्डिया)
संवाददाता: रैगर दर्पण पत्रिका
संरक्षक: रैगर लक्ष्य पंचायत दिल्ली (पंजी०)
संरक्षक: रैगर लक्ष्य पंचायत दिल्ली (पंजी०)
प्रशिक्षित आर टी आई
एक्टिविस्ट
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