Saturday, June 29, 2013

"क्रोध में लोग एक दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं ?"

एक हिन्दू सन्यासी अपने शिष्यों के साथ
गंगा नदी के तट पर नहाने पहुंचा. वहां एक
ही परिवार के कुछ लोग अचानक आपसमें बात
करते-करते एक दूसरे पर क्रोधितहो उठे और
जोर-जोर से चिल्लाने लगे.
संयासी यह देख तुरंत पलटा और अपने शिष्यों से
पुछा;
"क्रोध में लोग एक दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं ?"
शिष्य कुछ देर सोचते रहे, एक ने उत्तर दिया,
"क्योंकि हम क्रोध में शांति खो देते हैं इसलिए !”
"पर जब दूसरा व्यक्ति हमारे सामने ही खड़ा है
तो भला उस पर चिल्लाने की क्या ज़रुरत है,
जो कहना है वो आप धीमी आवाज़ में भी तो कह
सकते हैं", सन्यासी ने पुनः प्रश्न किया.
कुछ और शिष्यों ने भी उत्तर देने का प्रयास
किया पर बाकी लोग संतुष्ट नहीं हुए.
अंततः सन्यासी ने समझाया…
“जब दो लोग आपस में नाराज होते हैं तो उनके
दिल एक दूसरे से बहुत दूर हो जाते हैं. और इस
अवस्था में वे एक दूसरे को बिना चिल्लाये
नहीं सुन सकते… वे जितना अधिक क्रोधित होंगे
उनके बीच की दूरी उतनी ही अधिक
हो जाएगी और उन्हें उतनी ही तेजी से
चिल्लाना पड़ेगा.
क्या होता है जब दो लोग प्रेम में होते हैं ? तब वे
चिल्लाते नहीं बल्कि धीरे-धीरे बात करते हैं,
क्योंकि उनके दिल करीब होते हैं, उनके बीच
की दूरी नाम मात्र की रह जाती है.”
सन्यासी ने बोलना जारी रखा,” और जब वे एक
दूसरे को हद से भी अधिक चाहने लगते हैं
तो क्या होता है ? तब वे बोलते भी नहीं, वे
सिर्फ एक दूसरे की तरफ देखते हैं और सामने
वाले की बात समझ जाते हैं.”

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