खुला ख़त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम
मुख्यमंत्री जी नमस्कार
हुजूर माईबाप मेरी इतनी औकात कहाँ जो मैं आपको खुला क्या बंद ख़त लिखने की जुर्रत कर सकूँ, लेकिन क्या करूँ भारतीय संविधान बनाने वालों ने संविधान में अनुच्छेद 19 बनाकर भारतीय नागरिकों को स्वतंत्रता के साथ अपनी बात करने का अधिकार दे दिया।
माईबाप आपकी हुकूमत ब्रिटिश हुकूमत से भी अच्छी चल रही है। आपके हुकुमरान जनता के साथ जो व्यवहार कर रहे हैं वो सराहनीय है। ये दो कोड़ी के कलम के सिपाही ब्रिटिश हुकूमत में चोरी छुपे, तहखानों में अख़बार छापते थे। इनकी इतनी औकात हो गई हुजूर कि ये आपकी हुकूमत खुलेआम अख़बार छाप रहे हैं। इन भूखे नंगे पत्रकारों की इतनी हिम्मत बढ़ गई कि ये माईबाप की हुकूमत की शान में लिखने की गुस्ताखी करने लगे। मंत्री जी की करतूतों से पर्दा उठाने वाले शाहजहाँपुर के पत्रकार जोगेन्द्र वर्मा का यही हश्र होना चाहिए था। वो अपनी औकात से बाहर निकल रहा था। उसे घर में नही बीच चौराहे पर जिन्दा जलाना चाहिए था ताकि इन बेवफूफ पत्रकारों को कुछ तो सबक मिलता कि अखिलेश हुकूमत में सच लिखना मना है।
मैं सच्चे दिल से आभारी हूँ आपके मंत्री राममूर्ति वर्मा और आपके हुकुमरान श्रीप्रकाश राय का। मेरा आपसे निवेदन है कि जनरल डायर जैसे हुकुमरानों का एक सचल दस्ता बनायें। उस दस्ते का एक ही काम हो आपकी हुकूमत के खिलाफ लिखने वाले पत्रकारों की दे दनादन ठुकाई करे। तभी ये दो कोड़ी के पत्रकार होश में आएंगे।
हुजूर! आपके पास पैसों की कोई कमी नही है और कुछ चाटुकार पत्रकार भी आपके साथ हैं। जोगेन्द्र वर्मा के जिन्दा जलाये जाने पर भी कोई भी आपकी हुकूमत को हिला नही सका। आप सच लिखने वाले पत्रकारों को जिन्दा जलवाइये। उनके परिवार को 25 लाख रूपये की आर्थिक सहायता दे दीजियेगा। सब ठीक हो जायेगा। माईबाप! आपने अपने पिता जी के छोटे से जन्मदिन कार्यक्रम में जो 50 करोड़ रूपये की रकम खर्च की थी। उस रकम का मुआवजा बांटकर आप 200 पत्रकारों को जिन्दा जलवा सकते थे। न रहता बांस और न बजती बांसुरी?
माईबाप मैं बहुत गरीब और अपने परिवार के लिए 25 लाख रूपये की रकम जमा नही कर सकता हूँ। अगर आप पत्रकारों को जिन्दा जलवाने का अभियान प्रारम्भ करें तो प्राथमिकता से मेरा ध्यान अवश्य रखें।
हुजूर शेष सलाह दूसरे पत्र में लिखूंगा।
माईबाप आपकी हुकूमत ब्रिटिश हुकूमत से भी अच्छी चल रही है। आपके हुकुमरान जनता के साथ जो व्यवहार कर रहे हैं वो सराहनीय है। ये दो कोड़ी के कलम के सिपाही ब्रिटिश हुकूमत में चोरी छुपे, तहखानों में अख़बार छापते थे। इनकी इतनी औकात हो गई हुजूर कि ये आपकी हुकूमत खुलेआम अख़बार छाप रहे हैं। इन भूखे नंगे पत्रकारों की इतनी हिम्मत बढ़ गई कि ये माईबाप की हुकूमत की शान में लिखने की गुस्ताखी करने लगे। मंत्री जी की करतूतों से पर्दा उठाने वाले शाहजहाँपुर के पत्रकार जोगेन्द्र वर्मा का यही हश्र होना चाहिए था। वो अपनी औकात से बाहर निकल रहा था। उसे घर में नही बीच चौराहे पर जिन्दा जलाना चाहिए था ताकि इन बेवफूफ पत्रकारों को कुछ तो सबक मिलता कि अखिलेश हुकूमत में सच लिखना मना है।
मैं सच्चे दिल से आभारी हूँ आपके मंत्री राममूर्ति वर्मा और आपके हुकुमरान श्रीप्रकाश राय का। मेरा आपसे निवेदन है कि जनरल डायर जैसे हुकुमरानों का एक सचल दस्ता बनायें। उस दस्ते का एक ही काम हो आपकी हुकूमत के खिलाफ लिखने वाले पत्रकारों की दे दनादन ठुकाई करे। तभी ये दो कोड़ी के पत्रकार होश में आएंगे।
हुजूर! आपके पास पैसों की कोई कमी नही है और कुछ चाटुकार पत्रकार भी आपके साथ हैं। जोगेन्द्र वर्मा के जिन्दा जलाये जाने पर भी कोई भी आपकी हुकूमत को हिला नही सका। आप सच लिखने वाले पत्रकारों को जिन्दा जलवाइये। उनके परिवार को 25 लाख रूपये की आर्थिक सहायता दे दीजियेगा। सब ठीक हो जायेगा। माईबाप! आपने अपने पिता जी के छोटे से जन्मदिन कार्यक्रम में जो 50 करोड़ रूपये की रकम खर्च की थी। उस रकम का मुआवजा बांटकर आप 200 पत्रकारों को जिन्दा जलवा सकते थे। न रहता बांस और न बजती बांसुरी?
माईबाप मैं बहुत गरीब और अपने परिवार के लिए 25 लाख रूपये की रकम जमा नही कर सकता हूँ। अगर आप पत्रकारों को जिन्दा जलवाने का अभियान प्रारम्भ करें तो प्राथमिकता से मेरा ध्यान अवश्य रखें।
हुजूर शेष सलाह दूसरे पत्र में लिखूंगा।
प्रार्थी
अमन पठान
क्रांतिकारी पत्रकार
अमन पठान
क्रांतिकारी पत्रकार
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