स्वतन्त्र संवाददाता : रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया
नई दिल्ली, रैगर समाज का सामाजिक शेक्षणिक, आर्थिक व नैतिक विकास का लक्ष्य अधर में रह गया है। क्योंकि
अखिल भारतीय रैगर महासभा (पंजी0) में आपसी वाद-विवाद बढ़ते जा रहे है। राजनीतिक प्रभाव इनमें दृष्टिगत हो रहा
है। नीति और प्रशासन संबंधी सभी मामलों में अनियमितिता बढ़ रही है l समाजसेवा की भावना में
निरंतर कमी होती जा रही है जिसका कारण यह है कि समाज का ढांचा व्यक्तिवादिता की ओर
बढ़ रहा है। वर्तमान में समूह के स्थान पर व्यक्तिगत भावना का बोलबाला अधिक है,
जिसका प्रभाव अखिल भारतीय
रैगर महासभा पर पड़ रहा है।
विगत जुलाई 2015 में अखिल भारतीय रैगर महासभा (पंजी0) के चुनाव के दौरान सदस्यता
को लेकर एक मुद्दा प्रगतिशील रैगर ग्रुप के लोगो के सामने आया कि विधान की धारा 9
(आ) (1) का उल्लंघन कर प्रतिनिधि
सदस्य बनाया गया है और चुनाव अधिकारी ने उस प्रतिनिधि सदस्य को चुनाव में मतदान करने
से नहीं रोका जो कि विधान के अनुसार उस प्रतिनिधि सदस्य को रोकने में सक्षम थे
इससे ऐसा प्रतीत होता है कि चुनाव अधिकारी किसी दबाव में कार्य कर रहे थे या वो
अपने कर्तव्य के प्रति सजग नहीं थे, इस विषय को देखते हुए चुनाव अधिकारी की योग्यता और अनुभव पर
प्रश्नचिन्ह लगता है l तभी से प्रगतिशील रैगर ग्रुप के लोगो को इस गंभीर विषय पर चिंतन और अध्धयन
करने पर विवश होना पड़ा, और उन लोगो ने अपने-2 स्तर पर दिन रात मेहनत कर पाया कि यह केवल एक प्रतिनिधि सदस्य का मुद्दा नहीं
बल्कि काफी अधिक संख्या में विधान की धारा 9 (आ) (1) का उल्लंघन कर प्रतिनिधि सदस्य बनाये गये है l ऐसा प्रतीत होता है कि चुनाव
अधिकारी द्वारा चुनाव कराने से पूर्व प्रतिनिधि सदस्य मतदाता सूची का निरिक्षण व
सत्यापन नहीं किया गया, फिर सवाल उठता है कि जो चुनाव उनकी देखरेख में हुआ वह निष्पक्ष कैसे सम्पन्न
हुआ होगा ?
इस गंभीर विषय पर वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष बी एल नवल
(रिटायर्ड आईएएस) से पूछा गया, कि क्या महासभा के विधान की धारा 9 (आ) में कोई विशेष प्रावधान
है जिसमे व्यक्ति विशेष को आयु के सम्बन्ध में छुट की सुविधा हो ? इस पर उन्होंने ने कहा कि
विधान की धारा 9 (आ) के तहत आयु में छूट का कोई प्रावधान नहीं है।
दूसरा सवाल उन से पूछा गया कि क्या आपके संज्ञान में है कि विधान की धारा 9
(आ) का उल्लघन कर सदस्य बनाये
गये है ? यदि हाँ, तो ऐसे सदस्यों की कितनी
संख्या है ? उनके नाम विस्तार से बताएं l इस पर उन्होंने ने बताया कि प्रतिनिधी सदस्य बनानें का ज़िम्मा पिछली
कार्यकारिणी ने अपनी पसन्द के प्रदेश अध्यक्ष, ज़िला अध्यक्ष, को दिया तथा उन लोगों ने सहूलियत के हिसाब से सदस्य
बनाए। और 9 (आ) के उल्लंघन में कितने सदस्य बनाये गये इसकी जानकारी हमें नहीं है । सदस्य
सूची में आयु का अंकन नहीं होने से स्थिति स्पष्ट नहीं है।
तीसरा सवाल उन से पूछा गया कि यदि ऐसा हुआ है तो उसके लिये
कौन जिम्मेदार है और जो जिम्मेदार है उसके खिलाफ क्या कार्यवाही हो सकती है ?
समाजहित में विस्तार से
बताएं l इस सवाल का जवाब
उन्होंने नहीं दिया l
आखिर में चौथा सवाल ये पूछा गया कि विधान की धारा 9
(आ) का उल्लघन कर सदस्य बनाये
गये लोगो को हाल के चुनावो में चुनाव अधिकारी ने मतदान करने से रोका क्यों नहीं
गया l यदि ऐसे लोगो ने
मतदान किया है तो क्या वो चुनाव निष्पक्ष हुआ होगा ? इस बारे में आप अनुभवी है आपकी क्या प्रतिक्रिया है
l इस पर उन्होंने
स्पष्ट जवाब नहीं दिया और कहा कि चुनाव अधिकारी के स्तर पर ऐसे मतदाताओं को मत
देने से रोके जाने के सम्बन्ध में उपयुक्त जबाब चुनाव अधिकारी ही दे सकते थे। अब
तो यह सम्भव नहीं है।
उपरोक्त गभीर विषय पर जब पूर्व अध्यक्ष टी आर वर्मा
(रिटायर्ड आईएएस) से भी फ़ोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने माना कि हमारे संज्ञान
में एक केस आया था और हमने चुनाव अधिकारी को भी अवगत कराया था लेकिन चुनाव अधिकारी
ने उसे गंभीरता से नहीं लिया, पूर्व अध्यक्ष टी आर वर्मा ने तो सारी जिम्मेदारी चुनाव अधिकारी पर डाल दी कि प्रतिनिधि
सदस्यों की सूची का निरिक्षण व सत्यापन करना तो चुनाव अधिकारी का कार्य था यदि वो
निरिक्षण ना करें तो उसमे हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है इस तरह के सभी कार्य चुनाव
अधिकारी के कार्यक्षेत्र में था किस प्रतिनिधि सदस्य को अयोग्य घोषित करें और किसे
नहीं l आज तो पूर्व अध्यक्ष
ये सब कह रहे यदि इनके कार्यकाल में थोड़ी भी सतर्कता बरती जाती या ध्यान देते तो
बहुत पहले ही यह सब सामने आ जाता और इस त्रुटी का समय रहते सुधार किया जा सकता था
। रैगर महासभा में प्रशासनिक प्रमुख राष्ट्रीय अध्यक्ष और महासचिव ही होते है और नीति
और प्रशासन संबंधी सभी मामलों में यदि कोई अनियमितिता होती है तो राष्ट्रीय
अध्यक्ष और महासचिव की नैतिक जिम्मेदारी होती है l
No comments:
Post a Comment