Saturday, August 20, 2016

दोहे-1

धरती माता तू बडी तुझसे बडा न कोय ,
तुझ पर जो पांव धरू मुझ सा अधम न कोय ।।
अपना-अपना लिख रहे, देखो लोग नसीब!
बेखाया संतुष्ट है, खाया........गबन-गरीब!!
अभिनयजीवी जब करें, जन-सेवी का रोल!
फैशन की बरसात में, जनहित..होता गोल!!
जनता के सिर पर पड़ी, नेता की जयकार!
हुए मीडिया के मज़े, खाली..... कोषागार!!
लोकतंत्र में चल रहा, राजतंत्र का गान!
कोतवाल सैंया बने, करे कौन चालान!!
फेरे पड़ते ही हुआ, मुख दूल्हे का ज़र्द!
बीवी अब हमदर्द है, माता जी सिरदर्द!!
हास्य-व्यंग्य खिचड़ी नहीं, भैया..........रेडीमेड!
हास्य-विटामिन जानिए, व्यंग्य सर्जिकल ब्लेड!!
हो गया अब यह खुलासा, आप क्यों नमकीन हैं!
सोडियम हैं आप, बातें आपकी...... क्लोरीन हैं!!
हर सुबह तेरी खोज में...चलते रहे चलते रहे!
रात आयी तेरी याद में दीपक बने जलते रहे!!
दंद-फंद हर रोड पर, जाम लगा गंभीर।
कोई भी सुनता नहीं, एम्बुलेन्स की पीर॥
कैसी होगी सोचिए, भारत की.........तस्वीर?
दागी यदि लिखते रहे, हम सबकी तक़दीर??
सुधी मित्र की मित्रता, संतों का सतसंग।
दुख पर पानी फेरता, सुख में भरे उमंग॥
बढ़ा रही आवारगी, उत्तेजक...बाजार?
संयम पहरेदार पर, भीषण अत्याचार??
हड़प गए भूमाफ़िया, उसके....चारागाह?
भूखा मारे कौन है, किसके शीश गुनाह??
पहले पैदा क्यों किया, आराजक माहौल?
जिससे करना पड़ रहा, है डैमेज़-कंट्रौल??
किसी ने गाय पाली है, किसी ने....कुत्ता पाला है!
मगर पशु पाल कर इंसानियत को मार डाला है!!
तारीफ के काबिल है मियां आप का कमाल!
हर ओर दिख रहा है बड़े...टाप का कमाल!!
फेंटनवारे बात को, बेशक रखते.....फेंट!
दायी से छिपता कहां, है जच्चा का पेट??
हाड़-मांस के भवन मेँ, बसा....किरायेदा!
हो जाता है एक दिन, वो चुपचाप फरार!!
बाजारों को चाहिए, निजी मुनाफ़ा शुद्घ!
चाहे खाड़ी-युद्ध हो, अथवा..साड़ी-युद्ध!!
ऑनलाइन हाजरी में, तज कर तर्क-वितर्क?
चढ़ी शिक्षिका पेड़ पर, खोज रही नेट-वर्क!!
प्राय: 'चेला-ग्राम' ही, हो जाते...........बदनाम?
'जाम' लगाकर आजकल, सुर्खी में 'गुरुग्राम'??
आया झोका प्रेम का, लेकर अमित सुगंध!
बासमती की तरह से, महक उठे...संबंध!!
अस्पताल को मानिए, जंक्शन....ऐसा आप!
जिस पर आवागमन के, होते कार्य-कलाप!!
मला जा रहा गाय की, काया पर परफ्यूम?
मानव-मानव के मगर, रिश्तों में..वैक्यूम??
गाड़ रही क्या मीडिया, तंबू और कनात?
गाँवों में उद्योग की, आनी है.....बारात??
प्रश्न-'बर्थ-कंट्रौल की, योजनाएं क्यों फेल?'
वे बोले-'श्रीमान यह, विरोधियों का..खेल!!'
सरकारी दूकान से, सस्ता..........गल्ला लुप्त?
लेकिन सत्ताधीश को, जाने कया-क्या मुफ़्त??
अब थोड़ा भी भार वे, पाते नहीं संभाल!
रिश्ते ऐसे हो गए, ज्यों जामुन की डाल!!
कुछ लोगों के सामने, नतमस्तक सरकार?
जिंदा में बंगला फ्री, मरने.....बाद मजार??
खाती झुग्गी झोपड़ी, बुलडोजर की.....मार!
लेकिन उनको मुफ़्त में, बंगला मोटर-कार??
कहो गंध को गंध मत, उसको बोलो सेंट!
कारोबार दतून का, टिंबर का.....मर्चेंट??
अंधे चक्की पीसते, मुदित स्वान समुदाय?
हिंदीभाषी व्यक्ति को, अंग्रेजी में न्याय??
बिजनेस के लिए...अच्छी दूकान जरूरी है!
उसमें भी सब चकाचक सामान जरूरी है!!
घर में धरे कृपाण हैं, हाट म्यान का मोल।
नकली मुद्दों पे बहस, असली मुद्दे...गोल!!
मिली रबड़ की जीभ है, वो भी लंदन..टॉप!
जिसको चाहे माँ कहो, जिसको चाहे बाप!!
सती फाइलें हो गईं, शेष रह.....गई राख!
लगता मरणासन्न है, जाँच-भवन शाख़!!
बच्चों का बचपन हुआ, इस प्रकार से हैग?

दो केजी के ब्वाय पे, दस केजी का बैग??

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