डा0 रामदयाल न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश के लिए एक अनमोल
रत्न थे। वे व्यक्ति सौभाग्यशाली हैं, जिन्हें उनसे मिलने और
उनके विचारों को निकट से जानने का अवसर प्राप्त हुआ। वे एक ऐसे व्यक्ति के रूप में
याद किये जाते रहेंगे, जिनका प्रभाव शिक्षित एवं अशिक्षित, शहरी एवं
ग्रामीण वर्ग, सभी में अद्वितीय था। उनका अपनी माटी और समाज से असीम लगाव था
डा0 रामदयाल साधारण लोगों के साथ भी वैसे ही मिलनसार थे, जैसे कि देश
के बड़े-बड़े विद्वानों एवं राजनेताओं के साथ। सामाजिक स्तर पर व्याप्त सामाजिक
कुरीतियों एवं आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए आज हमें ऐसे ही आचरण एवं सोच की
जरूरत है। वे सांस्कृतिक आंदोलन को राजनीतिक आंदोलन से भी महत्वपूर्ण मानते थे। उनकी दृश्टि में शिक्षा
महत्वपूर्ण थी।
वे अपनी सहजता एवं आडम्बरविहीन होने के कारण आमलोगों में
लोकप्रिय थे एवं उन्होंन जनमानस में अपनी
पहचान बनाई। समाज की संस्कृति, संगीत व लोककला के उत्थान
हेतु उन्होंने अपना समस्त जीवन समर्पित कर दिया। वे जानते थे कि युवा ही संस्कृति
के संवाहक है अतः उन्होंने युवाओं को इस समृद्ध संस्कृति से जोड़े रहने का व्यापक
कार्य किया।
मुझे उम्मीद है कि उनके सामाजिक कार्य और विचार हम सभी लोगों के लिए मार्गदर्षन व प्रेरणा का स्त्रोत बने रहेंगे।
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