Saturday, August 6, 2016

श्रदांजली

हे राम .......... शायद नही गाँधी होते तो अब कहते हाय राम..........२अक्तुबर को एक बार फिर जयंती के नाम पर महात्मा गाँधी याद किये गये ......बिलासपुर के कलेक्टोरेट परिसर में बापू कि प्रतिमा एक समारोह के जरिये लोकार्पित करवाई गई .....विधानसभा अध्यछ की मौजूदगी में बापू को याद करने की रस्म पूरी हुई .......सबने बापू के बताये आदर्शो पर चलने की कसमे खाई ....सत्य,अहिंसा के मार्ग पर चलकर गाँधी को हमेशा याद करने का भरोसा एक दूसरे को दिलाया लेकिन बापू की उस दुर्दशा का ख्याल किसी के जेहेन में भी नही आया जो शहर के समारोह स्थल से महज १८ किलोमीटर की दूरी पर ग्राम गनियारी में है ........यहा बापू की प्रतिमा खुद की बदहाली पर आंसू बहा रही थी .... प्रतिमा देख कर यकीन हो गया की बापू को इस गाव के लोग याद नही करते ......सडक के किनारे ग्राम पंचायत के परिसर में लगी प्रतिमा पर यक़ीनन हर गुजरने वाले की नजरे पड़ती होंगी लेकिन भीड़ की राजनीती करने वालो ने कभी रूककर ये आवाज नही लगाई की महात्मा की सूरत इतनी बिगड़ी बिगड़ी सी क्यों है......शायद यहा आवाज लगाते तो सुनने के लिए ना तमाशाई थे ना मिडिया वालो का मेला....हां गाव की जगह प्रतिमा शहर में होती तो कुछ लोगो को हल्ला मचाकर मिडिया में छपने का अवसर जरुर मिल जाता .....मैने गाव के कुछ जागरूक लोगो से बातचीत की तो पता चला की बरसो से बापू की ओर किसी ने नही देखा ......बताने वाले को भी शायद शर्म नही आई .....गाव का जागरूक उपसरपंच जितेन्द्र राज बापू की दुर्दशा पर बेबाकी से बोलता रहा ......बापू के प्रति खुद के कर्तव्यो को भूल चूका उपसरपंच विरोधी सरपंच की बातो बातो में बखिया उधेड़ता रहा ....चंद रुपयों की माला खरीदकर बापू की  बदहाल प्रतिमा के गले में उपसरपंच नही डाल सका .....हम सारी दुर्दशा को देखकर वापस शहर लौटने लगे तो उपसरपंच ने हमे चाय पिला दी ...जेब से पर्स निकालकर उस जागरूक इन्सान ने दुकानदार को रूपये दिए .....रास्ते में हमने सोचा जिस उपसरपंच ने बापू को १० रूपये की माला खरीदकर नही पहनाई उसने हमको १८ रूपये की चाय केसे पिला दी ...? थोड़ी देर में उस सज्जन का स्वार्थ भरा चेहरा हमारी आँखों के शामने था....बापू पर खर्च किये गए १० रूपये का रिटर्न नही था....हम १८ रूपये की बदले उसे पब्लिसिटी देते .....सोचते सोचते हम वापस शहर लौट आये .....ये ही बापू के प्रति उन लोगो की सही श्रदांजली है.

No comments:

Post a Comment