Friday, March 4, 2016

कुंडली का आठवां भाव यानी आयु स्थान

बृहत् पाराशर होरा शास्त्र के अनुसार अष्टम भाव किन बातों का द्योतक है इस भाग में हम इस भाव के सामान्य अर्थों की विवेचना करेंगे
अष्टम भाव एक मोक्ष भाव है और जल तत्व बहुल भाव भी अतः यह भाव आत्म ज्ञान (self realization) और अन्त गति (final liberation) के लिए जाना जाता है
यदि हम आठवें भाव को एक शब्द में कहना चाहें तो हम कह सकते हैं कि यह भाव जीवन की अनिश्चितताओं (unexpected events) का भाव है इस भाव से उन सभी घटनाओं का ज्ञान होता है जो जीवन में अपेक्षित नहीं होती| यह वे घटनाएं हैं जो अचानक या आकस्मिक (sudden) रूप से घटित होती हैं व्यक्ति की मृत्यु भी एक आकस्मिक और अनपेक्षित घटना है
इसी प्रकार दुर्घटनाएं (accidents) भी इसी भाव का फल हैं क्योंकि ये भी तो अचानक ही घटित होती हैं| अतः अष्टम भाव या अष्टमेश से जिस भी भाव या भावेश का सम्बन्ध हो जाए, उस भाव संबंधी कारकों को हानि ही पहुंचती है| जैसे यदि दशमेश अष्टम भाव में हो तो नौकरी / व्यवसाय में स्थायित्व नहीं होता और व्यक्ति के जीवन का यह क्षेत्र आकस्मिकताओं से भरा होता है
परन्तु अष्टम भाव का सकारात्मक प्रभाव भी हमें देखने को मिल सकता है| यह हमें अचानक होने वाले लाभ जैसे लाटरी इत्यादि के रूप में मिलता है| इसी भाव के अंतर्गत बीमा का धन या वसीयत का धन भी आता है क्योंकि यह भी किसी को अचानक ही प्राप्त होता है और वह भी किसी प्रियजन की मृत्यु के पश्चात
क्योंकि अष्टम भाव आयु का भाव होता है इसलिए इस भाव या अष्टमेश के शुभ वीक्षित होने पर व्यक्ति को लम्बी आयु प्राप्त होती है| वहीं दूसरी तरफ यदि पाप ग्रह अष्टम भाव में बैठे तो आयु को कम ही करते है
अष्टम भाव अनर्जित (unearned wealth) आय का होता है या वह आय जो बिना किसी प्रयत्न के प्राप्त होती है ऐसा धन व्यक्ति को दहेज़ के रूप में प्राप्त होता है (क्योंकि यह भाव जीवनसाथी का धन स्थान होता है) इसी प्रकार की अन्य आय रिश्वत (bribe) के रूप में या कर चोरी के रूप में भी हो सकती है
जो भी ग्रह अष्टम भाव में स्थित होते हैं, वे पीड़ित हो जाते हैं और अपने गुणों और स्वामित्व के विपरीत परिणाम देता हैजैसे यदि सूर्य अष्टम भाव में हो तो पिता के सुख में कमी करेगा, सरकार द्वारा हानि देगा इत्यादि कुण्डली में जिस भी भाव का स्वामी हो, उस भाव संबंधी विपरीत फल देगा|
इसी प्रकार यदि कोई शुभ ग्रह अष्टम भाव में बैठे तो अष्टम भाव के शुभ फल तो देगा परन्तु स्वयं पीड़ित हो जाएगा| जैसे यदि चंद्रमा जो पक्ष बली हो यदि अष्टम भाव में बैठे तो आयु वृद्धि करेगा, आत्मिक (psychic) या परालौकिक शक्ति प्रदान करेगा परन्तु अपने गुणों के विपरीत फल देगा जैसे जलीय स्थानों से मृत्यु भय होगा या माँ को कष्ट होगा
अष्टम भाव आयु का होने के कारण जीवन शक्ति का भी हो जाता है
इसलिए जिन व्यक्तियों में यह भाव शुभ हो तो उनमें जीवन शक्ति की अधिकता पाई जाती है इसका अर्थ है की ऐसा व्यक्ति जीवट (full of life force) होता है, उसमें शारीरिक विषमताओं से लड़ने की क्षमता अच्छी होती हैऐसा व्यक्ति एक योद्धा प्रकृति का होता है
यह भाव छुपा हुआ भाव या लीन भाव भी है
इसलिए इस भाव से वे सभी बातें प्रदर्शित होती हैं जो संसार को प्रत्यक्ष नहीं हैं जैसे तंत्र मन्त्र, योग, आध्यात्म, ध्यान इत्यादि इस भाव के बली होने पर व्यक्ति का झुकाव संसार के रहस्यों को जानने में अत्यधिक होता है जब लग्नेश का सम्बन्ध अष्टम भाव से होता हो तो व्यक्ति का स्वभाव रहस्यात्मक (secretive, mysterious) होता है, वह खुलकर सामने नहीं आता और उसकी रूचि दूसरों के राज जानने में बहुत होती है
यह भाव काम (sex) या यौन का भी होता है इस भाव के बली होने पर व्यक्ति में एक विशेष आकर्षण (sexual attraction) होता है जो काम भाव से प्रेरित होता है
ध्यान रहे कि यह भाव यौन सुख का (बारहवां भाव) और कामुकता (सप्तम भाव) का नहीं है यह केवल काम संबंधी भाव है, इससे व्यक्ति के प्रजनन अंगों (reproductive organs) के विषय में ज्ञान प्राप्त होता है
यदि अष्टम भाव पीड़ित हो, तो व्यक्ति को यौन रोग होने की प्रबल संभावना होती है
इस भाव द्वारा हम लम्बी या दीर्घकालिक रोगों (long term diseases) को समझने के लिए भी करते हैं
वैसे तो सामान्य रोग छठे भाव से देखे जाते हैं परन्तु यहाँ पर उन रोगों की बात होती है जो ठीक होने में लम्बा समय लेते हैं
इस भाव का कारक शनि है

No comments:

Post a Comment