Monday, March 28, 2016

होली के दिन दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं। ऐसा इस त्यौहार की खासियत है।

तो इसलिए होली पर होता है रेप !

लखनऊ।  होली के दिन दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं। ऐसा इस त्यौहार की खासियत है। लोग अपने गीले शिकवे मिटाकर दुश्मन को भी गले लगा लेते हैं। रंगों से भरे इस पर्व में आप पर किसी बुरी नज़र है यह शायद ही कोई समझ सके। रंगे पुते चेहरों में कौन आप पर घात लगाकर बैठा हो इससे सतर्क रहने की ज़रूरत है। खासकर लड़कियों को। शराब और भांग के नशे में इस दिन हर साल हज़ारों लड़कियों को छेड़खानी का शिकार होना पड़ जाता है। इतना ही नहीं हज़ारों लड़कियों के साथ रेप जैसी घटना भी घटती है। यूपी पुलिस का कहना है की होली के दिन ज्यादातर परिवार के सदस्य या फिर आस पड़ोस के लोग ही लड़कियों और महिलाओं के साथ गन्दा काम करते हैं।
लड़कियों को बरतनी होगी यह सावधानी
  • होली खेलने निकालें तो घर के सदस्य या फिर समूह में रहे
  • किसी सुनसान जगह में अकेले ना निकालें
  • होली पर आप घर में अकेली हैं तो घर में अनजान व्यक्ति को ना आने दें
  • किसी अनजान आदमी से बात करने से बचें
  • छेड़छाड़ हो तो 100 नंबर मिलाएं या फिर 1090
  • किसी के भी घर या दोस्तों के घर पेय पदार्थ और गुजिया जैसी चीज़ें खाने से बचें
  • होली पर गुजिया और ठंडाई जैसी चीज़ों में नशीला पदार्थ हो सकता है

टल्ली होते ही सही गलत का फर्क होता है फुर्र
मनोवैज्ञानिक पल्लवी सिन्हा ने बताया की लड़कियों के साथ रेप की घटना को अंजाम देने वाले ज्यादातर लोग शराब या फिर किसी अन्य नशे में होते हैं। नशे के बाद इंसान सही और गलत का फर्क भूल जाते हैं। इससे एकाग्र होने की क्षमता कमजोर होने लगती है। शर्मीलापन कमजोर पड़ने लगता है और इंसान खुद को झंझट मुक्त सा समझने लगता है।
अल्कोहल पीने के छह मिनट बाद बिगड़ता है दिमाग
पल्लवी ने बताया की अल्कोहल को मस्तिष्क तक पहुंचने में छह मिनट लगते हैं। एथेनॉल अल्कोहल का बहुत ही छोटा अणु है। यह खून में घुल जाता है, पानी में घुल जाता है। इंसान के शरीर में 70 से 80 फीसदी पानी होता है। इसमें घुलकर अल्कोहल पूरे शरीर में फैल जाता है और मस्तिष्क तक पहुंच जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में केवल छह मिनट ही लगते हैं।
होने लगता है केमिकल लोचा
सिर में पहुंचने के बाद अल्कोहल दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटर पर असर डालता है। इसकी वजह से तंत्रिका तंत्र का केंद्र प्रभावित होता है।अल्कोहल की वजह से न्यूरोट्रांसमीटर अजीब से संदेश भेजने लगते हैं और तंत्रिका तंत्र भ्रमित होने लगता है।
नशे का नुकसान

शोधकर्ताओं ने शराब और तम्बाकू जैसे दूसरे नशों को ध्यान में रखते हुए जब इन लोगों की पढ़ाई-लिखाई का भी जायजा लिया तो पाया कि जो नौजवान गांजे का नशा करते हैं, उनकी बुद्धि ज्यादा विकसित नहीं हो पाई। इतना ही नहीं, शोधकर्ताओं ने पाया कि इन नौजवानों ने जितना ज्यादा धूम्रपान किया, उनकी बुद्धि उतनी ही मंद होती गई। खास बात ये रही कि जब इन लोगों ने भांग का नशा करना बंद कर दिया, तब भी उनकी बुद्धि का विकास नहीं हो पाया। कभी कभी इसका असर बेहद घातक हो सकता है। कई सालों तक बहुत ज्यादा शराब पीने वाले इंसान के शरीर में जानलेवा परिस्थितियां बनने लगती हैं, "ऐसा होने पर विटामिन और जरूरी तत्वों की आपूर्ति गड़बड़ाने लगती है, इनका केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में अहम योगदान होता है। उदाहरण के लिए दिमाग को विटामिन बी1 की जरूरत होती है। लंबे समय तक बहुत ज्यादा शराब पीने से विटामिन बी1 नहीं मिलता और वेर्निके-कोर्साकॉफ सिंड्रोम पनपने लगता है, दिमाग में अल्कोहल के असर से डिमेंशिया की बीमारी पैदा होने का खतरा बढ़ने लगता है।पत्रिका
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जब आप महिला पे हाथ उठाते है तब आप मर्द नहीं होते
लेकिन जब महिला आप पर हाथ उठाये तब वो मर्दानी बन जाती है...

इस लॉजिक के अनुसार सिंहिका और लंकिनी को मारने वाले हनुमान मर्द नहीं थे
ताड़का वध करने वाले श्री राम मर्द नहीं थे
मंथरा की कूबड़ में लात मारने वाले शत्रुघ्न मर्द नहीं थे
सूर्पनखा की नाक काटने वाले लक्ष्मण मर्द नहीं थे
पूतना का वध करने वाले श्री कृष्ण मर्द नहीं थे
कामकंठका का अहंकार मर्दन करने वाले श्री कृष्ण मर्द नहीं थे
मदोन्मत्त मणिपुर की राजकुमारी चित्रांगदा को युद्ध में परास्त करने वाला अर्जुन मर्द नहीं था..???
फूलन देवी को उसी के संसदीय भवन में घुसकर गोली मारने वाला शेर सिंह राणा मर्द नहीं था???

ये सब नपुंसक थे क्या???

कई बार नारीवाद की पराकाष्ठा तब हो जाती है जब ये दलील दी जाती है कि "कोई भी स्त्री तंग आकर ही किसी पुरुष पर हाथ उठाती है अन्यथा नहीं,गलती पुरुष की ही होती है स्त्री की नहीं"

इसी मानसिकता के तहत पुरुषो का ब्रेन वाश किया जाता है।सदियो से पुरुषो को नारी सम्मान के नाम पर कायरता का पाठ पढ़ाया जाता है। इसी पाठ को पढ़कर भीष्म पितामह बाण शैय्या में कई दिनो तक लेटे रहे...क्षत्रियो को ये सिखाया जाता था की स्त्री पर प्रहार मत करो...और इसी का फायदा शिखंडी ने उठा लिया..

वैसे स्त्री को अबला होने के कारण उस पर हाथ न उठाने की बात बोली जाती थी।
वर्तमान परंपरा अनुसार स्त्री अब अबला नहीं है....तो फिर पुरुषो को सिखाई जाने वाली रूढ़िवादी विचारधारा भी तो बदलनी चाहिए...एक तरफ आप परिवर्तन की बात करते है और दूसरे तरफ आप बदलना नहीं चाहते...

गजब का गणित है हमारे भारतीय समाज का..

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