हर इंसान अपने लक्ष्य की प्राप्ति में प्रयासरत रहता है। उसके लिए जरूरी होता है 'आत्मविश्वास'। 'आत्मविश्वास' यानी अपनी आत्मा पर विश्वास या अपने आप पर विश्वास।
आत्मविश्वास को सफलता का मूल आधार माना जाता है. इंसान का आत्मविश्वास अगर डगमगा जाये, तो जिंदगी की चाल भी गड़बड़ा जाती है. कोई अगर इसे पूरी तरह खो दे, तो उसके अस्तित्व पर संकट खड़ा हो जाता है.
जीवन में हर काम अपने आत्मविश्वास के बलबूते पर ही होते हैं। आत्मविश्वास के लिए सकारात्मकदृष्टिकोण का होना जरूरी होता है। बिना आत्मविश्वास के कोई भी काम सफल नहीं हो सकता है।
अगर होता भी है तो निम्नस्तर का या आधा-अधूरा व ख़राब। आइए, हम जानते हैं आत्मविश्वास के बारे में-
क्या है आत्मविश्वास? : आत्मविश्वास वस्तुत: एक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति है। इससे महान कार्यों के संपादन में सहजता और सफलता हमें प्राप्त होती है। बगैर आत्मविश्वास के इन कार्यों की सफलता संदिग्ध ही बनी रहती है।
एकाग्रचित बनें : जिस भी व्यक्ति का मन शंका, चिंता और भय से भरा हो वह बड़े कार्य तो क्या, साधारण से साधारण कार्य भी नहीं कर सकता है। चिंता व शंका आपके मन को कभी भी एकाग्र न होने देंगे अत: आत्मविश्वास बढ़ाने हेतु अपने मन से सभी प्रकार के संदेह निकालें तथा एकाग्रता को बढ़ाएं।
आत्मविश्वास अद्भुत शक्ति : आत्मविश्वास एक अद्भुत शक्ति होती है। इसके बल से व्यक्ति तमाम विपत्तियों तथा शत्रुओं का सामना कर लेता है। संसार के अभी तक के बड़े से बड़े कार्य आत्मविश्वास के बलबूते ही हुए हैं और हो रहे हैं तथा होते रहेंगे।
बच्चों में आत्मविश्वास भरें : माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों में आत्मविश्वास भरें। उनका आत्मविश्वास कभी कम नहीं करना चाहिए। उन्हें कभी भी इस प्रकार के नकारात्मक शब्द कि 'तुम कुछ नहीं जानते' या 'तुम में इस बात की कमी है' कभी नहीं कहने चाहिए।
इससे बच्चों का आत्मविश्वास कम होता है तथा इससे उनमें हीनभावना जागृत होती है तथा वे कुंठित हो जाते हैं। आज जग में जो निराशा की भावना तथा गरीबी दिखाई दे रही है उसके पीछे प्रमुख कारण यही हीनभावना है।
किसी ने कहा है, ‘अनुभव बताता है कि आपको क्या करना है और आत्मविश्वास उसे पूरा कराता है।’ इसलिए जरूरी है कि आप खुद का मूल्यांकन करें, खुद से प्यार करें। साथ ही यह ध्यान रखना जरूरी है कि आत्मविश्वास विकास की प्रक्रिया को समय और समर्पण चाहिए। मजबूत आत्मविश्वास वह मंत्र है, जिसके बाद जीत पक्की है।
ऐसे बढ़ाएं आत्मविश्वास :
सकारात्मक चिंतन हो : सबसे पहले व्यक्ति को चाहिए कि वह हमेशा सकारात्मक चिंतन करे। सकारात्मक विचारधारा के लोगों के साथ ही रहें। कहा भी जाता है कि 'जैसी संगति, वैसी उन्नति'। जैसी आपकी विचारधारा होगी, दिमाग भी वही सोचने लगता है अत: सकारात्मक ही सोचें तथा साथ ही अपनी खामियों को भी स्वीकार करें।
सकारात्मक सोचें
पहला कदम है पॉजिटिव सोच रखना। जैसे विचार आप रखते हैं, दिमाग वही सोचने लगता है। विचारों के प्रति सावधान रहें। सकारात्मक लोगों के साथ रहें, इससे आत्म-विश्वास में वृद्धि होगी। दूसरे क्या सोचेंगे, यह सोच कर अपनी क्षमताओं को सीमित न करें। अपने प्रति दयालु रहें, अपना सम्मान करें और हर नतीजे का जिम्मेदार खुद को न मानें।
अतीत को भूलें
अतीत की असफलताओं और भूलों को भूल कर नई शुरुआत करने का प्रयास करें। ध्यान रखें, आप किसी भी समय नई शुरुआत कर सकते हैं। अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें। किसी अन्य पर आरोप न लगाते हुए शांति से अपनी प्रतिक्रिया दें। यह फैसला करें कि आप भविष्य में अपने लिए क्या चाहते हैं। लक्ष्य निर्धारत करने से आपको दिशा मिलेगी। लक्ष्यों को हासिल करना आत्मविश्वास को बढ़ाएगा।
अतीत की असफलताओं और भूलों को भूल कर नई शुरुआत करने का प्रयास करें। ध्यान रखें, आप किसी भी समय नई शुरुआत कर सकते हैं। अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें। किसी अन्य पर आरोप न लगाते हुए शांति से अपनी प्रतिक्रिया दें। यह फैसला करें कि आप भविष्य में अपने लिए क्या चाहते हैं। लक्ष्य निर्धारत करने से आपको दिशा मिलेगी। लक्ष्यों को हासिल करना आत्मविश्वास को बढ़ाएगा।
उपलब्धियों को याद रखें
असफलता को स्वीकार करना आत्मविश्वास की कुंजी है। इससे आप निराश नहीं होंगे तथा कार्यों को उत्साह से आगे बढ़ा सकेंगे। जीवन में जो अच्छी चीजें मिली हैं, उनका ध्यान रखें, अच्छे काम के लिए खुद को शाबाशी दें। किसी ने कहा है, यदि आपने कभी कोई काम सफलतापूर्वक किया है, तो आप उसे दोबारा भी कर सकते हैं।
असफलता को स्वीकार करना आत्मविश्वास की कुंजी है। इससे आप निराश नहीं होंगे तथा कार्यों को उत्साह से आगे बढ़ा सकेंगे। जीवन में जो अच्छी चीजें मिली हैं, उनका ध्यान रखें, अच्छे काम के लिए खुद को शाबाशी दें। किसी ने कहा है, यदि आपने कभी कोई काम सफलतापूर्वक किया है, तो आप उसे दोबारा भी कर सकते हैं।
कुछ नया सीखें
यदि परिस्थितियां जटिल लग रही हैं तो किसी नई स्किल को सीखें। कुछ भी नया सीखना आपके आत्म विश्वास और उत्साह को बढ़ाता है। इसके अलावा आपकी जानकारी बढ़ती है, सोच व्यापक होती है और आप स्थितियों का सामना बेहतर तरीके से करने में सक्षम बनते हैं।
आपका नेटवर्क भी बढ़ता है, साथ ही कुछ नया सीखना एक ही तरह के काम से उत्पन्न एकरसता और बोरियत को भी कम करता है।
यदि परिस्थितियां जटिल लग रही हैं तो किसी नई स्किल को सीखें। कुछ भी नया सीखना आपके आत्म विश्वास और उत्साह को बढ़ाता है। इसके अलावा आपकी जानकारी बढ़ती है, सोच व्यापक होती है और आप स्थितियों का सामना बेहतर तरीके से करने में सक्षम बनते हैं।
आपका नेटवर्क भी बढ़ता है, साथ ही कुछ नया सीखना एक ही तरह के काम से उत्पन्न एकरसता और बोरियत को भी कम करता है।
व्यक्तित्व को निखारें
जब आप अच्छे लग रहे होते हैं तो अच्छा महसूस भी करते हैं। अपने व्यक्तित्व विकास पर ध्यान दें। अपनी बॉडी लैंग्वेज और कम्युनिकेशन स्किल सुधारें। सक्रिय रहें और फिटनेस पर ध्यान दें। ऐसा करना आपको खुश रखता है। खुद को एक बिंदु तक सीमित न रखें। नई सूचनाओं से अपडेट रखते हुए आसपास के परिवेश से जुड़े रहें।
‘आत्मविश्वास’ यानी अपने-आप पर विश्वास। जीवन में सफलता पाने के लिए आत्मविश्वास का होना अति आवश्यक है। आत्मविश्वास ही सभी सफलताओं की कुंजी है। जिस व्यक्ति के जीवन में यह सद्गुण नहीं है वह बलवान होते हुए भी कायर सिद्ध होता है, पढ़ा-लिखा होते हुए भी अनपढ़ सिद्ध होता है।
आत्मविश्वास की कमी होना, स्वयं पुरुषार्थ न करके दूसरे के भरोसे अपना कार्य छोड़ना- यह अपने साथ अपनी आत्मिक शक्तियों का अनादर करना है। ऐसा व्यक्ति जीवन में असफल रहता है। जो अपने को दीन-हीन, अभागा न मानकर अजन्मा आत्मा, अमर चैतन्य मानता है, उसको दृढ़ विश्वास हो जाता है कि ईश्वर व ईश्वरीय शक्तियों का पुंज उसके साथ है।
आत्मविश्वास मनुष्य की बिखरी हुई शक्तियों को संगठित करके उसे दिशा प्रदान करता है। आत्मविश्वास से मनुष्य की शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक शक्तियों का मात्र विकास ही नहीं होता बल्कि ये सम्पूर्ण शक्तियां उसके इशारे पर नाचती हैं।
आत्मविश्वास सुदृढ़ करने के लिए प्रतिदिन शुभ संकल्प व शुभ कर्म करने चाहिए तथा सदैव अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित रखना चाहिए। जितनी ईमानदारी व लगन के साथ हम इस ओर अग्रसर होंगे, उतनी ही शीघ्रता से आत्मविश्वास बढ़ेगा। फिर कैसी भी विकट परिस्थिति आने पर हम डगमगायेंगे नहीं बल्कि धैर्यपूर्वक अपना मार्ग खोज लेंगे।
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फिर भी यदि कोई ऐसी परिस्थिति आ जाय जो हमें हमारे लक्ष्य से दूर ले जाने की कोशिश करे तो परमात्म-चिंतन करके, ‘ॐ’ का दीर्घ उच्चारण करते हुए हमें ईश्वर की शरण चले जाना चाहिए। इससे आत्मबल बढ़ेगा, खोया हुआ मनोबल फिर से जागृत होगा। सभी महान विभूतियों एवं संत-महापुरुषों की सफलता व महानता का रहस्य आत्मविश्वास, आत्मबल, सदाचार में ही निहित रहा है। उनके जीवन में चाहे कितनी भी प्रतिकूल व कठिन परिस्थितियां आयीं वे घबराये नहीं, आत्मविश्वास व निर्भयता के साथ उनका सामना किया और महान हो गये।
शिवाजी ने आत्मविश्वास के बल पर ही 16 वर्ष की उम्र में तोरणा का किला जीत लिया था। पूज्यपाद लीलाशाहजी महाराज ने 20 वर्ष की उम्र में ही ईश्वर की अनुभूति कर ली। महाराष्ट्र के संत ज्ञानेश्वर महाराज झुंड-के-झुंड विरोधियों के बीच किशोर अवस्था से ही डटे रहे। दुबले-पतले महात्मा गांधी ने आत्मविश्वास के बल पर ही कुटिल अंग्रेजों से लोहा लिया और ‘अंग्रेजो! भारत छोड़ो’ का नारा लगाकर अंग्रेज शासकों को भारत छोड़के भागने पर मजबूर कर दिया।
अतः कैसी भी विषम परिस्थिति आने पर घबरायें नहीं बल्कि आत्मविश्वास जगाकर आत्मबल, साहस, उद्यम, बुद्धि व धैर्य पूर्वक उसका सामना करें और अपने लक्ष्य को पाने का संकल्प दृढ़ रखें।
लक्ष्य न ओझल होने पाये, कदम मिलाकर चल।
सफलता तेरे चरण चूमेगी, आज नहीं तो कल॥
जिंदगी में कामयाब होने के लिए सबसे जरूरी यदि कुछ है तो वह है आपका आत्मविश्वास... आपने अलग-अलग फील्ड के कामयाब लोगों से बात करते हुए पाया होगा कि उनका आत्मविश्वास कमाल का है। यही आत्मविश्वास उन्हें आगे बढ़ने और कुछ करने की प्रेरणा देता रहता है। इसलिए जरूरी है कि हमारा तजुर्बा क्या है, हमारा इतिहास क्या है... यह सब भूल जाइए... याद रखिए तो सिर्फ इतना कि मैं कौन हूं और मैं क्या कर रहा हूं। अर्थात वर्तमान में रहें। अकसर हम यह सोचते हैं कि कामयाबी के लिए यह जरूरी है कि हम पहले भी कामयाब रहे हों... इसे से हमें आत्मविश्वास मिलेगा। लेकिन वर्तमान में रहकर अपने भीतर आत्मविश्वास पैदा करना और अपमी क्षमताओं को पूरा विस्तार देना कामयाबी की नींव तय करती है।
यहां कुछ 10 तरीकों का जिक्र किया जा रहा है जिससे आप कामयाबी की पहली सीढ़ी चढ़ सकेंगे और वह है आपका अपना आत्मविश्वास...
1. पहली बात तो यह ध्यान रखने की है कि आत्मविश्वास व्यक्ति के भीतर से आता है, कहीं बाहर से नहीं, इसलिए किसी और की ओर देखने की जरूरत नहीं है। किसी और के आत्मविश्वास से जलने की भी जरूरत नहीं है। हो सकता है कि दूसरे लोग आपके के तौर-तरीकों और आत्मविश्वास से सबक ले रहे हों। उन्हें आप पर भरोसा हो।
2. दूसरी जरूरी बात है कि आप अपना सबसे सटीक मूल्यांकन कर सकते हैं और जो व्यक्ति अपने आप को सही से नहीं जानता वह दुनिया में किसी और को नहीं जान सकता है। इसलिए पहले अपने आप को और अपनी क्षमताओं को समझें, हो सके तो उसकी एक लिस्ट तैयार करें... हो सकता है कि पहले यह आपको कुछ अटपटा लगे... लेकिन अपने आपको पहचानने के लिए यह जरूरी है। यही काम आपको आगे अपने में सुधार के लिए भी प्रेरित करेगा।
3. याद करिए जब जब आपने आत्मविश्वास से जिंदगी में कुछ पाया हो। उन पलों को याद करिए जब आपने मुसीबत को अपने सामने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया हो। यह कभी भी किया हो सकता है, हो सकता है बचपन में आप काफी सक्रिय रहे हों... उसे याद करिए... उस दौर को याद करिए जब आप आसमान की ऊंचाइयों को छूने का माद्दा रखते रहे हों... एक भी ऐसा पल आपको आगे बढ़ने में सहायक का काम करेगा।
4. याद रखिए आत्मविश्वास गुणात्मक रूप से बढ़ता है। यदि आप में आत्मविश्वास जागा तो आप जो भी करेंगे आप बेहतर करेंगे। आप उन बातों के लिए भी उत्साहित और आत्मविश्वासी महसूस करेंगे जिन्हें आपने पहले नहीं किया हो। आप अपना सही आकलन कर सकेंगे और शायद यह आपकी कामयाबी का पहला कदम होगा।
5. चेहरे पर मुस्कुराहट रखें... यह दूसरों को भी अच्छा लगेगा और आपको भी..। आपने देखा होगा, कि कामयाब लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट रहती है, बनी रहती है जिसे लोग कामयाबी की चमक कहते हैं।
6. आप अपने एटिट्यूड के साथ ग्रैटिट्यूड की भावना भी रखें... यह भी एक कारगर उपाय है।
7. एक बात और... आत्मविश्वास के लिए हर आदमी का अपना अलग पैमाना होता है। आप अपने आत्मविश्वास की वजहों को पहचानों, उन्हें समझो और लिखो... फिर लिखो... आप पाएंगी कि ऐसी बहुत से बातें हैं जो आपके आत्मविश्वास को बढ़ाने वाली हैं, जो वर्तमान में मौजूद नहीं हैं। अब आप ऐसे मुकाम पर हैं जब आप अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने और मजबूत करने के लिए कुछ नियम बना सकते हैं। नियम ऐसे बनाएं जो सरल हों... जो आपने सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकें। ऐसा करने का एक नियम यह है कि ये या वो हो... ये और वो का नियम नहीं...
8. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि आत्मविश्वास जगाने के लिए सबकुछ करने के बाद भी आप कहीं नहीं पहुंच पाते.... ऐसे में आप यह कर सकते हैं कि आप कुछ ऐसे दोस्तों, जानने वालों के साथ समय बिताएं जो आत्मविश्वासी हैं। इनमें भी यदि कोई ऐसा हो जो आपके आत्मविश्वास को बढ़ाने में आपकी सीधी मदद कर सके, तो सोने पर सुहागा...
आत्मविश्वास का एक नियम यह है कि माहौल बेहतर हो, तो तेजी से बढ़ता है.. यानि आप आत्मविश्वासी लोगों के बीच रहोगे तो यह गुण अपने आप आपमें आ जाएगा।
9. एक और बात बहुत छोटी है, लेकिन सत्य है। आप कोई काम जब पूरा करते हैं, भले ही छोटा हो, आत्मविश्वास जगाता है। आपने अपने चारों ओर देखिए... कई छोटे-छोटे काम हैं जो आप आसानी से पूरा कर सकते हैं... ये सभी आपके आत्मविश्वास का स्तर बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं।
10. याद रखें... सिर्फ आप ही अपने आत्मविश्वास के मालिक हैं। आप ही अपने आत्मविश्वास को जगा सकते हैं और आप ही इस मार सकते हैं। अपनी क्षमताओं को कम नहीं आंकना चाहिए। भूल जाइए की आप अब तक क्या किया है.... जरूरी यह नहीं कि आपके बारे में दूसरे क्या सोचते हैं, आवश्यक यह है कि आप अपने बारे में क्या सोचते हैं।
जब आप अच्छे लग रहे होते हैं तो अच्छा महसूस भी करते हैं। अपने व्यक्तित्व विकास पर ध्यान दें। अपनी बॉडी लैंग्वेज और कम्युनिकेशन स्किल सुधारें। सक्रिय रहें और फिटनेस पर ध्यान दें। ऐसा करना आपको खुश रखता है। खुद को एक बिंदु तक सीमित न रखें। नई सूचनाओं से अपडेट रखते हुए आसपास के परिवेश से जुड़े रहें।
‘आत्मविश्वास’ यानी अपने-आप पर विश्वास। जीवन में सफलता पाने के लिए आत्मविश्वास का होना अति आवश्यक है। आत्मविश्वास ही सभी सफलताओं की कुंजी है। जिस व्यक्ति के जीवन में यह सद्गुण नहीं है वह बलवान होते हुए भी कायर सिद्ध होता है, पढ़ा-लिखा होते हुए भी अनपढ़ सिद्ध होता है।
आत्मविश्वास की कमी होना, स्वयं पुरुषार्थ न करके दूसरे के भरोसे अपना कार्य छोड़ना- यह अपने साथ अपनी आत्मिक शक्तियों का अनादर करना है। ऐसा व्यक्ति जीवन में असफल रहता है। जो अपने को दीन-हीन, अभागा न मानकर अजन्मा आत्मा, अमर चैतन्य मानता है, उसको दृढ़ विश्वास हो जाता है कि ईश्वर व ईश्वरीय शक्तियों का पुंज उसके साथ है।
आत्मविश्वास मनुष्य की बिखरी हुई शक्तियों को संगठित करके उसे दिशा प्रदान करता है। आत्मविश्वास से मनुष्य की शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक शक्तियों का मात्र विकास ही नहीं होता बल्कि ये सम्पूर्ण शक्तियां उसके इशारे पर नाचती हैं।
आत्मविश्वास सुदृढ़ करने के लिए प्रतिदिन शुभ संकल्प व शुभ कर्म करने चाहिए तथा सदैव अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित रखना चाहिए। जितनी ईमानदारी व लगन के साथ हम इस ओर अग्रसर होंगे, उतनी ही शीघ्रता से आत्मविश्वास बढ़ेगा। फिर कैसी भी विकट परिस्थिति आने पर हम डगमगायेंगे नहीं बल्कि धैर्यपूर्वक अपना मार्ग खोज लेंगे।
�
फिर भी यदि कोई ऐसी परिस्थिति आ जाय जो हमें हमारे लक्ष्य से दूर ले जाने की कोशिश करे तो परमात्म-चिंतन करके, ‘ॐ’ का दीर्घ उच्चारण करते हुए हमें ईश्वर की शरण चले जाना चाहिए। इससे आत्मबल बढ़ेगा, खोया हुआ मनोबल फिर से जागृत होगा। सभी महान विभूतियों एवं संत-महापुरुषों की सफलता व महानता का रहस्य आत्मविश्वास, आत्मबल, सदाचार में ही निहित रहा है। उनके जीवन में चाहे कितनी भी प्रतिकूल व कठिन परिस्थितियां आयीं वे घबराये नहीं, आत्मविश्वास व निर्भयता के साथ उनका सामना किया और महान हो गये।
शिवाजी ने आत्मविश्वास के बल पर ही 16 वर्ष की उम्र में तोरणा का किला जीत लिया था। पूज्यपाद लीलाशाहजी महाराज ने 20 वर्ष की उम्र में ही ईश्वर की अनुभूति कर ली। महाराष्ट्र के संत ज्ञानेश्वर महाराज झुंड-के-झुंड विरोधियों के बीच किशोर अवस्था से ही डटे रहे। दुबले-पतले महात्मा गांधी ने आत्मविश्वास के बल पर ही कुटिल अंग्रेजों से लोहा लिया और ‘अंग्रेजो! भारत छोड़ो’ का नारा लगाकर अंग्रेज शासकों को भारत छोड़के भागने पर मजबूर कर दिया।
अतः कैसी भी विषम परिस्थिति आने पर घबरायें नहीं बल्कि आत्मविश्वास जगाकर आत्मबल, साहस, उद्यम, बुद्धि व धैर्य पूर्वक उसका सामना करें और अपने लक्ष्य को पाने का संकल्प दृढ़ रखें।
लक्ष्य न ओझल होने पाये, कदम मिलाकर चल।
सफलता तेरे चरण चूमेगी, आज नहीं तो कल॥
जिंदगी में कामयाब होने के लिए सबसे जरूरी यदि कुछ है तो वह है आपका आत्मविश्वास... आपने अलग-अलग फील्ड के कामयाब लोगों से बात करते हुए पाया होगा कि उनका आत्मविश्वास कमाल का है। यही आत्मविश्वास उन्हें आगे बढ़ने और कुछ करने की प्रेरणा देता रहता है। इसलिए जरूरी है कि हमारा तजुर्बा क्या है, हमारा इतिहास क्या है... यह सब भूल जाइए... याद रखिए तो सिर्फ इतना कि मैं कौन हूं और मैं क्या कर रहा हूं। अर्थात वर्तमान में रहें। अकसर हम यह सोचते हैं कि कामयाबी के लिए यह जरूरी है कि हम पहले भी कामयाब रहे हों... इसे से हमें आत्मविश्वास मिलेगा। लेकिन वर्तमान में रहकर अपने भीतर आत्मविश्वास पैदा करना और अपमी क्षमताओं को पूरा विस्तार देना कामयाबी की नींव तय करती है।
यहां कुछ 10 तरीकों का जिक्र किया जा रहा है जिससे आप कामयाबी की पहली सीढ़ी चढ़ सकेंगे और वह है आपका अपना आत्मविश्वास...
1. पहली बात तो यह ध्यान रखने की है कि आत्मविश्वास व्यक्ति के भीतर से आता है, कहीं बाहर से नहीं, इसलिए किसी और की ओर देखने की जरूरत नहीं है। किसी और के आत्मविश्वास से जलने की भी जरूरत नहीं है। हो सकता है कि दूसरे लोग आपके के तौर-तरीकों और आत्मविश्वास से सबक ले रहे हों। उन्हें आप पर भरोसा हो।
2. दूसरी जरूरी बात है कि आप अपना सबसे सटीक मूल्यांकन कर सकते हैं और जो व्यक्ति अपने आप को सही से नहीं जानता वह दुनिया में किसी और को नहीं जान सकता है। इसलिए पहले अपने आप को और अपनी क्षमताओं को समझें, हो सके तो उसकी एक लिस्ट तैयार करें... हो सकता है कि पहले यह आपको कुछ अटपटा लगे... लेकिन अपने आपको पहचानने के लिए यह जरूरी है। यही काम आपको आगे अपने में सुधार के लिए भी प्रेरित करेगा।
3. याद करिए जब जब आपने आत्मविश्वास से जिंदगी में कुछ पाया हो। उन पलों को याद करिए जब आपने मुसीबत को अपने सामने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया हो। यह कभी भी किया हो सकता है, हो सकता है बचपन में आप काफी सक्रिय रहे हों... उसे याद करिए... उस दौर को याद करिए जब आप आसमान की ऊंचाइयों को छूने का माद्दा रखते रहे हों... एक भी ऐसा पल आपको आगे बढ़ने में सहायक का काम करेगा।
4. याद रखिए आत्मविश्वास गुणात्मक रूप से बढ़ता है। यदि आप में आत्मविश्वास जागा तो आप जो भी करेंगे आप बेहतर करेंगे। आप उन बातों के लिए भी उत्साहित और आत्मविश्वासी महसूस करेंगे जिन्हें आपने पहले नहीं किया हो। आप अपना सही आकलन कर सकेंगे और शायद यह आपकी कामयाबी का पहला कदम होगा।
5. चेहरे पर मुस्कुराहट रखें... यह दूसरों को भी अच्छा लगेगा और आपको भी..। आपने देखा होगा, कि कामयाब लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट रहती है, बनी रहती है जिसे लोग कामयाबी की चमक कहते हैं।
6. आप अपने एटिट्यूड के साथ ग्रैटिट्यूड की भावना भी रखें... यह भी एक कारगर उपाय है।
7. एक बात और... आत्मविश्वास के लिए हर आदमी का अपना अलग पैमाना होता है। आप अपने आत्मविश्वास की वजहों को पहचानों, उन्हें समझो और लिखो... फिर लिखो... आप पाएंगी कि ऐसी बहुत से बातें हैं जो आपके आत्मविश्वास को बढ़ाने वाली हैं, जो वर्तमान में मौजूद नहीं हैं। अब आप ऐसे मुकाम पर हैं जब आप अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने और मजबूत करने के लिए कुछ नियम बना सकते हैं। नियम ऐसे बनाएं जो सरल हों... जो आपने सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकें। ऐसा करने का एक नियम यह है कि ये या वो हो... ये और वो का नियम नहीं...
8. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि आत्मविश्वास जगाने के लिए सबकुछ करने के बाद भी आप कहीं नहीं पहुंच पाते.... ऐसे में आप यह कर सकते हैं कि आप कुछ ऐसे दोस्तों, जानने वालों के साथ समय बिताएं जो आत्मविश्वासी हैं। इनमें भी यदि कोई ऐसा हो जो आपके आत्मविश्वास को बढ़ाने में आपकी सीधी मदद कर सके, तो सोने पर सुहागा...
आत्मविश्वास का एक नियम यह है कि माहौल बेहतर हो, तो तेजी से बढ़ता है.. यानि आप आत्मविश्वासी लोगों के बीच रहोगे तो यह गुण अपने आप आपमें आ जाएगा।
9. एक और बात बहुत छोटी है, लेकिन सत्य है। आप कोई काम जब पूरा करते हैं, भले ही छोटा हो, आत्मविश्वास जगाता है। आपने अपने चारों ओर देखिए... कई छोटे-छोटे काम हैं जो आप आसानी से पूरा कर सकते हैं... ये सभी आपके आत्मविश्वास का स्तर बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं।
10. याद रखें... सिर्फ आप ही अपने आत्मविश्वास के मालिक हैं। आप ही अपने आत्मविश्वास को जगा सकते हैं और आप ही इस मार सकते हैं। अपनी क्षमताओं को कम नहीं आंकना चाहिए। भूल जाइए की आप अब तक क्या किया है.... जरूरी यह नहीं कि आपके बारे में दूसरे क्या सोचते हैं, आवश्यक यह है कि आप अपने बारे में क्या सोचते हैं।
गिरते मनोबल को थामने के कुछ उपाय
सकारात्मक सोच, आत्मविश्वास हासिल करने का एक अहम आधार है . सकारात्मक सोचवाले लोगों के साथ रहने से भी आत्मविश्वास बढ़ता है.
दूसरे क्या सोचेंगे, यह सोच कर अपनी क्षमताओं को सीमित न करें. अपना सम्मान करना सीखें और हर नतीजे के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराना छोड़ दें.
असफलता को स्वीकारना आत्मविश्वास का मूल आधार है. जीवन में जो अच्छी चीजें मिली हैं, उनका ध्यान रखें, अच्छे काम के लिए खुद को शाबाशी दें.
आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए जरूरी है कि अपने मन से सभी प्रकार के संदेह निकाल फेंके तथा एकाग्रता को बढ़ाएं. अपने मन को चिंता, भय और किसी तरह की शंका से मुक्त रखने का प्रयास करें.
खुद का मूल्यांकन करें, खुद से प्यार करें. ध्यान रखें कि आत्मविश्वास के विकास के लिए समय और समर्पण की जरूरत होती है.
एक ही जगह पर ठहर कर रह जाने और बार-बार पीछे मुड़ कर देखनेवाले लोग कभी आगे नहीं बढ़ पाते. क्या आप चाहेंगे कि आपके साथ ऐसा हो? कतई नहीं, इसलिए असफलताओं और भूलों को भूल कर नयी शुरुआत करने का प्रयास करें. अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें. किसी अन्य पर आरोप न लगाते हुए शांति से अपनी प्रतिक्रिया दें.
आनेवाले कल के बारे में सोचें और यह फैसला करें कि आप भविष्य में अपने लिए क्या चाहते हैं. लक्ष्य निर्धारत करने से आपकी जिंदगी को एक दिशा मिलेगी और लक्ष्य को हासिल करने के लिए कार्ययोजना के साथ उठा आपका कदम आपके आत्मविश्वास को बढ़ायेगा.
कुछ भी नया सीखना आपके आत्मविश्वास और उत्साह को बढ़ायेगा है. इससे आपकी जानकारी भी बढ़ेगी और सोच भी व्यापक होगी. आप स्थितियों का सामना बेहतर तरीके से करने में सक्षम बनेंगे. साथ ही कुछ नया सीखना एक ही तरह के काम से उत्पन्न एकरसता और बोरियत को भी कम करता है.
टीनएजर्स कई बार दूसरों के ओपिनियन के आधार पर गलत राय बना लेते हैं. किसी भी राय पर अमल करने से पहले खुद उसके हर पहलू के बारे में सोचें. ऐसा न हो कि यह गलत राय आपके भरोसे का डिगा दे.
आत्मविश्वास को वापस पाने के लिए सबसे जरूरी है कि अपने को प्यार करना और अपनी गलतियों को दोबाना न दोहराने के संकल्प के साथ भुला देना और आगे बढ़ना.
हर बात पर खुद को ही गलत समझना और अपने में सिर्फ बुराइयां ही देखना भी आत्मविश्वास को कमजोर करता है. इस टेंडेंसी के कारण अकसर टीनएजर्स हीन भावना के भी शिकार हो जाते हैं. इसलिए अपने में अच्छाइयां भी ढूंढ़ें और खुद पर भरोसा करें.
अपने बारे में तमाम अच्छी बातों और कमजोरियों को भी एक जगह दर्ज कर लें. यदि आपको लगता है कि आप जल्दी इमोशनल हो जाते हैं या हर्ट हो जाते हैं, तो उसकी जड़ों को समझने में इससे आपको मदद मिलेगी. इससे आप अपने ही बारे में बेहतर समझ विकसित कर पायेंगे.
खुशी का भी आत्मविश्वास से गहरा संबंध है. याद रखें कि खुशी बाहरी चीजों या भौतिक सुख-सुविधाओं में नहीं होती. इसका संबंध आत्मा से है. यह पूरी तरह आप पर निर्भर है कि आप खुश रहना चाहते हैं या दु:खी. अपने भीतर झांक कर देखें और अब तक आपने जो कुछ भी अच्छा किया है, उस पर गर्व करें.
अगर कभी आपको अपना भरोसा टूटता दिखे यानी अपने आप पर, अपनी क्षमताओं पर संदेह होने लगे तो अपने साये को देख लें. अगर वह आपके साथ है तो घबराने की बात नहीं. पूरे आत्मविश्वास से कदम आगे बढ़ाते जाएं आपको सफलता जरूर मिलेगी.
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