Thursday, October 22, 2015

जापान क्यों हमसे आगे है वो बताते है..

जापान क्यों हमसे आगे है वो बताते है..

जापान क्यों हमसे आगे है वो बताते है..
जापानीज भी वर्णव्यवस्थामेंविश्वास करते है..वहा की सामाजिक व्यवस्था कुछ ईस प्रकारहै पांच वर्णों वाली..!!
डेमीयो=ब्राह्मण
समुराई=क्षत्रिय
जुकौनारु=वैश्य
नौफू=कारीगर वर्ग
और
बुराकुमीन=अछूत
ये बुराकुमीन उपर के चारो वर्ण के 1500 सालो से गुलाम थे..जापान की पूरी आबादीमें 10% ये लोग है..यहाँ के अछूतों के साथ जो व्यवहार होता है वैसा ही व्यवहार बुराकीमीन जाति के लोगों के साथ होता था..जीचिरो मात्सुमोटो नाम के एक महान बुराकीमीनने 18वीं सदीमे आन्दोलन चलाया "हमे मुक्त करो"..40 साल के आन्दोलन में कई हजार बुराकीमीन शहीद हुए..दुनिया के सबसे क्रुर माने जानेवाले जापानी समुराई और डेमियो को जुकना पडा..पुरे सच्चे दिल से जापानने उनको अपना लिया..और मैत्री की एसी मिशाल खडी की कि आज 10% आबादी वाले बुराकीमीन जापानी सरकारमें 15% राजनेता है..जापान के लोगोने अपना अतित मिटा दिया है..
विश्व की सबसे ज्यादा टु व्हीलर बनानेवाली कंपनी होन्डा का मालिक तथा हमारे माननीय प्रधानमंत्री जिस विदेशमंत्री को गले मिले थे वो बुराकीमीन यानी अछुत है..
सरकार चाहे तो कुछ भी हो सकता है..अच्छे दिन नही हमें अच्छे दिल चाहिये..


जापान क्यों हमसे आगे है वो बताते है..

जापान क्यों हमसे आगे है वो बताते है..
जापानीज भी वर्णव्यवस्थामेंविश्वास करते है..वहा की सामाजिक व्यवस्था कुछ ईस प्रकारहै पांच वर्णों वाली..!!
डेमीयो=ब्राह्मण
समुराई=क्षत्रिय
जुकौनारु=वैश्य
नौफू=कारीगर वर्ग
और
बुराकुमीन=अछूत
ये बुराकुमीन उपर के चारो वर्ण के 1500 सालो से गुलाम थे..जापान की पूरी आबादीमें 10% ये लोग है..यहाँ के अछूतों के साथ जो व्यवहार होता है वैसा ही व्यवहार बुराकीमीन जाति के लोगों के साथ होता था..जीचिरो मात्सुमोटो नाम के एक महान बुराकीमीनने 18वीं सदीमे आन्दोलन चलाया "हमे मुक्त करो"..40 साल के आन्दोलन में कई हजार बुराकीमीन शहीद हुए..दुनिया के सबसे क्रुर माने जानेवाले जापानी समुराई और डेमियो को जुकना पडा..पुरे सच्चे दिल से जापानने उनको अपना लिया..और मैत्री की एसी मिशाल खडी की कि आज 10% आबादी वाले बुराकीमीन जापानी सरकारमें 15% राजनेता है..जापान के लोगोने अपना अतित मिटा दिया है..
विश्व की सबसे ज्यादा टु व्हीलर बनानेवाली कंपनी होन्डा का मालिक तथा हमारे माननीय प्रधानमंत्री जिस विदेशमंत्री को गले मिले थे वो बुराकीमीन यानी अछुत है..
सरकार चाहे तो कुछ भी हो सकता है..अच्छे दिन नही हमें अच्छे दिल चाहिये..






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