Tuesday, October 13, 2015

तु क्यो कलपे ऐ बाई मारो

तु क्यो कलपे ऐ बाई मारो
धीरज छूट्यो जावे बाई मारो जीव घणो दुख पावे
जद थारा नैण बरसे रे
ओल्यु आवे जी दादोसा
हिवडो ऊमठ्यो आवै दादोसा
हिवडो भर भर आवे घणी थारी याद सतावै ओ......
आटण पड गीया ऐ बाई थारी फुल सी हथेल्या
लाडल थारा मखमली हाथा मे किया छाला पड गिया ऐ
सास सपुती जी दादोसा ज्यादा लाड लडावे
माने हिंदा रोज हिंदावे उण सु छाला पड गिया जी.......
क्यो कुमलायो ऐ बाई थारो चांद सरीखो मुखडो
थारो ऊजलो ऊजलो मुखडो काई तु भुखी तिरसी ऐ
भात भात रा जी भोजन लाल ननद बाई परूस्या
माने घणे चाव सु परूस्या
मे तो रुच रुच जीमी जी.......
गाबा मेला ऐ बाई थारा जगा जगा सु फाट्या
नवा नवा बैस भिजा दु ऐ
किकर पेरु ओ ऊजला मुंगा गाबा
दादोसा रंग रंगीला गाबा
पीया परदेस पधारीया सा .....

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