Wednesday, October 14, 2015

कितना मुश्किल होता है, औरत को औरत ,,होना।

मैं लेटा हुआ था, मेरी पत्नी मेरा सिर सहला रही थी। मैं धीरे-धीरे सो गया। जागा तो वो गले पर विक्स लगा रही थी।
मेरी आंख खुली तो उसने पूछा,कुछ आराम मिल रहा है? मैंने हां में सिर हिलाया। तो उसने पूछा कि खाना खाओगे?
मुझे भूख लगी थी, मैंने कहा, "हां।" उसने फटाफट रोटी, सब्जी, दाल, चटनी, सलाद मेरे सामने परोस दिए, और 

आधा लेटे- लेटे मेरे मुंह में कौर डालती रही। मैने चुपचाप खाना खाया, और लेट गया। पत्नी ने मुझे अपने
हाथों से खिला कर खुद को खुश महसूस किया और रसोई में चली गई। मैं चुपचाप लेटा रहा।
सोचता रहा कि पुरुष भी कैसे होते हैं?
कुछ दिन पहले मेरी पत्नी बीमार थी, मैंने कुछ नहीं किया था। और तो और एक फोन करके उसका
हाल भी नहीं पूछा। उसने पूरे दिन कुछ नहीं खाया था, लेकिन मैंने उसे ब्रेड परोस कर खुद को गौरवान्वित 

महसूस कर रहा था। मैंने ये देखने की कोशिश भी नहीं की कि उसे वाकई कितना बुखार था।
मैंने ऐसा कुछ नहीं किया कि उसे लगे कि बीमारी मेंवो अकेली नहीं। लेकिन मुझे सिर्फ जरा सी सर्दी हुई थी, और वो
मेरी मां बन गई थी। मैं सोचता रहा कि क्या सचमुच महिलाओं को भगवान एक अलग दिल देते हैं?
महिलाओं में जो करुणा और ममता होती है वो पुरुषों में नहीं होती क्या? सोचता रहा, जिस दिन मेरी पत्नी को बुखार
था, उस दोपहर जब उसे भूख लगी होगी और वो बिस्तर से उठ न पाई होगी,तो उसने भी चाहा होगा कि काश 

उसका पति उसके पास होता? मैं चाहे जो सोचूं, लेकिन मुझे लगता है कि हर पुरुष को एक जनम में औरत बन कर 
ये समझने की कोशिश करनी ही चाहिए कि सचमुच कितना मुश्किल होता है, औरत को औरत ,,होना।
मां होना, बहन होना, पत्नी होना ,,
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दोस्तों आज शेयर जरूर करना,

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