क्या कहूँ ऐसे लोगों से ,
भूले जो एहसान हैं ,
भीम जी के रहमो करम से ,
आज बने इंसान हैं ।।।
पढ़े लिखे जरा सोचो मन में ,
भीम न होते क्या होता ,
भूखे नंगे लाचारी में ,
जीना और मरना होता ,
भीम से ही ये शानो शौकत ,
भीम से ही पहचान है ।।।
क्या कहूँ ऐसे लोगों से ,
भूले जो एहसान हैं ,,,,,,,,,,,,,,,
दिल में दर्द लिए भीम बाबा ,
अपने दलित समाज की ,
गोलमेज लन्दन नासिक पूना ,
चावदर में आवाज दी ,
खून पसीना भीम ने जलाया ,
दिया हमें मुस्कान है ।।।।
क्या कहूँ ऐसे लोगों से ,
भूले जो एहसान हैं ,,,,,,,,,,,,,
शिक्षा का अधिकार भीम से ,
छात्रवृति उपहार है ,
आरक्षण से नौकरी पाये ,
भीम जी का ये उपकार है ,
मान ज्ञान सम्मान जीवन,
रोटी कपड़ा मकान है ।।।।
क्या कहूँ ऐसे लोगों से ,
भूले जो एहसान हैं ,,,,,,,,,,,,,
आँखे खोल कर सोने वालों ,
नींद से कब तुम जागोगे ,
भीम के ऋण में जीवन डूबा ,
नादानी कब त्यागोगे ,
भीम की कमाई खाने वाले ,
भीम से ही अन्जान हैं ।।।
क्या कहूँ ऐसे लोगों से ,
भूले जो एहसान हैं ,,,,,,,,,,,,
पढ़े लिखे लोगों ने दिया है ,
धोखा बाबा कहते थे ,
दुःख से भरा हृदय था उनका,
आँखों से आंसू बहते थे ,
भीम से ही हसरत भीम से ही नफ़रत ,
करते वो बेईमान हैं ।।।।
क्या कहूँ ऐसे लोगों से ,
भूले जो एहसान हैं ,,,,,,,,,,,,,,
कसम तुम्हें " है देता,
भीम को ऐ भूलने वालों ,
भीम से ही ये तन मन पाया ,
भीम को अब तो अपना लो ,
भीम से ही ये सारी खुशियाँ ,
भीम से ही स्वाभिमान है ।।।
क्या कहूँ ऐसे लोगों को ,
भूले जो एहसान हैं ,,,,,,,,
भूले जो एहसान हैं ,
भीम जी के रहमो करम से ,
आज बने इंसान हैं ।।।
पढ़े लिखे जरा सोचो मन में ,
भीम न होते क्या होता ,
भूखे नंगे लाचारी में ,
जीना और मरना होता ,
भीम से ही ये शानो शौकत ,
भीम से ही पहचान है ।।।
क्या कहूँ ऐसे लोगों से ,
भूले जो एहसान हैं ,,,,,,,,,,,,,,,
दिल में दर्द लिए भीम बाबा ,
अपने दलित समाज की ,
गोलमेज लन्दन नासिक पूना ,
चावदर में आवाज दी ,
खून पसीना भीम ने जलाया ,
दिया हमें मुस्कान है ।।।।
क्या कहूँ ऐसे लोगों से ,
भूले जो एहसान हैं ,,,,,,,,,,,,,
शिक्षा का अधिकार भीम से ,
छात्रवृति उपहार है ,
आरक्षण से नौकरी पाये ,
भीम जी का ये उपकार है ,
मान ज्ञान सम्मान जीवन,
रोटी कपड़ा मकान है ।।।।
क्या कहूँ ऐसे लोगों से ,
भूले जो एहसान हैं ,,,,,,,,,,,,,
आँखे खोल कर सोने वालों ,
नींद से कब तुम जागोगे ,
भीम के ऋण में जीवन डूबा ,
नादानी कब त्यागोगे ,
भीम की कमाई खाने वाले ,
भीम से ही अन्जान हैं ।।।
क्या कहूँ ऐसे लोगों से ,
भूले जो एहसान हैं ,,,,,,,,,,,,
पढ़े लिखे लोगों ने दिया है ,
धोखा बाबा कहते थे ,
दुःख से भरा हृदय था उनका,
आँखों से आंसू बहते थे ,
भीम से ही हसरत भीम से ही नफ़रत ,
करते वो बेईमान हैं ।।।।
क्या कहूँ ऐसे लोगों से ,
भूले जो एहसान हैं ,,,,,,,,,,,,,,
कसम तुम्हें " है देता,
भीम को ऐ भूलने वालों ,
भीम से ही ये तन मन पाया ,
भीम को अब तो अपना लो ,
भीम से ही ये सारी खुशियाँ ,
भीम से ही स्वाभिमान है ।।।
क्या कहूँ ऐसे लोगों को ,
भूले जो एहसान हैं ,,,,,,,,
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