26 नवंबर संविधान दिन
भारतीय संविधान और डाॅ.बाबासाहब अंबेडकर
1) संविधान सभा में जाने के लिए बाबासाहब अंबेडकर जी ने जोगेन्द्रनाथ मंडल इनके सहायता से 17 जुलै 1946 को पुर्व बंगाल के जैसल-खुलना इस चुनाव क्षेत्र से चुनाव के लिए खड़े हुए। बाबासाहब अंबेडकर 20 जुलै 1946 को वहाँ से चुनकर आएं।
2) संविधान सभा की पहली मिटिंग 9 दिसम्बर 1946 (सोमवार) को संविधान सभागृह दिल्ली यहाँ 11 बजे शुरू हुईं।
3) संविधान सभा में बाबासाहब अंबेडकर जी ने अपना पहला भाषण 17 दिसम्बर 1946 को दिया। (10 मिनट का अवधि)
4) बाबासाहब अंबेडकर जी जिस चुनाव क्षेत्र से संविधान सभा गए थे वे हिस्सा पाकिस्तान में शामिल किया जानेवाला था यानी बाबासाहब अंबेडकर जी पाकिस्तान के संविधान सभा में जा सकते थे। किन्तु बाबासाहब अंबेडकर जी ने काँग्रेस की यह साजिश अंग्रेजो को बताई। तब अंग्रेजो ने काँग्रेस को धमकाया की बाबासाहब अंबेडकर को संविधान सभा में नहीं लिया गया तो हम भारत को आजादी नहीं देंगे और अंग्रेजो ने काँग्रेस के सामने दो शर्तें रखी। 1) जैसल-खुलसा प्रदेश को दोबारा भारत में सामिल किया जाए। 2) किसी भी सदस्य का ईस्तिफा लेकर बाबासाहब अंबेडकर जी को संविधान सभा में लिया जाए।
(काँग्रेस ने जैसल-खुलसा प्रदेश भारत में सामिल नही किया बल्कि संविधान सभा के अध्यक्ष डाॅ.राजेन्द्र प्रसाद इन्होंने मुंबई के पुर्व मुख्यमंत्री बी.जी.खेर इन्हें 30 जून 1947 को खत भेजकर बाबासाहब को संविधान सभा में दोबारा लाओ ऐसा कहाँ था। बाद में काँग्रेस ने पुना के बॅरि.जयकर जो मुंबई से संविधान सभा में चुनकर गए थे उन्हें अपना ईस्तिफा देने को कहाँ और बाबासाहब अंबेडकर जी को मजबूरन संविधान सभा में लिया गया।)
(काँग्रेस ने जैसल-खुलसा प्रदेश भारत में सामिल नही किया बल्कि संविधान सभा के अध्यक्ष डाॅ.राजेन्द्र प्रसाद इन्होंने मुंबई के पुर्व मुख्यमंत्री बी.जी.खेर इन्हें 30 जून 1947 को खत भेजकर बाबासाहब को संविधान सभा में दोबारा लाओ ऐसा कहाँ था। बाद में काँग्रेस ने पुना के बॅरि.जयकर जो मुंबई से संविधान सभा में चुनकर गए थे उन्हें अपना ईस्तिफा देने को कहाँ और बाबासाहब अंबेडकर जी को मजबूरन संविधान सभा में लिया गया।)
5) बाबासाहब अंबेडकर जी को जुलै 1947 को दोबारा संविधान सभा पर चुना गया।
6) पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 15 अगस्त 1947 को बाबासाहब अंबेडकर जी को अपने मंत्रिमंडल में शामिल होने हेतु न्योता भेजा। बाबासाहब अंबेडकर जी ने वो न्योता स्विकारा और वे भारत के पहले कानून मंत्री बने।
7) 29 अगस्त 1947 को संविधान सभा ने एकमत से बाबासाहब अंबेडकर जी को मसौदा समिती का अध्यक्ष बनाया।
8) मसौदा समिती की मिटिंग 27 अक्तूबर 1947 के बाद हर रोज होती थी। मसौदा समिती में 7 सदस्य थे।
9) समिती की मिटिंग 13 फरवरी 1948 तक कुल 44 दिन हुईं।
10) मसौदा समिती ने संविधान का पहला मसौदा 21फरवरी 1948 को संविधान सभा के अध्यक्ष के सामने पेश किया।
11) यह मसौदा 8 महिनों के लिए लोगों के चर्चा के लिए उपलब्ध (Available) करवाया गया। The Gazette of India (26 February 1948) में प्रकाशित
12) यह मसौदा 4 नवम्बर 1948 को संविधान सभा में पेश किया गया। भारत की संविधान सभा संविधान सभागृह नई दिल्ली में हुई थी।
13) 4 नवम्बर 1948 को यह मसौदा पेश करने के बाद उसपर चर्चाएँ शुरू हुई। इस चर्चा को फर्स्ट रिडिंग कहाँ गया।
14) संविधान के सेकेंड रिडिंग की शुरूवात 15 नवम्बर 1948 को हुई। यह चर्चा 17 अक्तूबर 1949 को समाप्त हुईं।
15) उसके बाद उसकी थर्ड रिडिंग 14 नवम्बर 1949 को शुरू हुई और यह सत्र 26 नवम्बर 1949 को खत्म हुआ। उसके बाद यह संविधान स्विकारा गया और उसपर संविधान सभा के अध्यक्ष ने हस्ताक्षर किए।
नवम्बर 1949 को संविधान का कामकाज खत्म हुआ तब संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 324 थी।
** संविधान सभा के सदस्यों में प्रसिद्ध वकील, चिकित्सक, शिक्षाविद्, उपकुलपती, उद्योगपति तथा व्यापारी, श्रमिकों के प्रतिनिधि, लेखक और पत्रकार आदि सभी थे।
*** संविधान सभा की पहली बैठक में 207 सदस्यों ने भाग लिया था और बिहार के वयोवृद्ध नेता डाॅ.सचिदानंद सिन्हा अस्थायी सभापति बने।
*** 11 दिसम्बर 1946 को डाॅ.राजेन्द्रप्रसाद को सर्व सम्मति से सभा का स्थायी सभापति चुन लिया गया और अन्त तक वे ही संविधान सभा के सभापति बने रहे।
*** भारत का संविधान तयार करने के लिए 2 साल 11 महिने 17 दिन लगे।
*** इस दरमियान संविधान सभा के कुल 11 अधिवेशन और 165 मिटिंग हुई।
*** संविधान सभा का तीन वर्ष में जो व्यय हुआ वह अधिक न था। 22 नवम्बर 1949 तक 63, 96, 729 रूपये व्यय किए गए।
*** प्रारूप समिति ने संविधान सभा के सम्मुख जो पहला प्रारूप संविधान प्रस्तुत किया उसमें 315 अनुच्छेद तथा 8 अनुसूचियाँ थी।
*** अन्तिम रूप में संविधान में 395 अनुच्छेद तथा 8 अनुसूचियाँ थी।
*** प्रारूप संविधान में संशोधन के 7635 प्रस्ताव रखे गए। इनमें से सदन में कुल 2473 संशोधन प्रस्तुत किए गए।
*** संविधान सभा में 10 से ज्यादा महिलाएँ थी। संविधान सभा में श्रीमती सरोजिनी नायडू, विजयलक्ष्मी पंडित, राजकुमारी अमृता कौर यह महिलाओं की प्रतिनिधित्व करती थी।
*** तयार संविधान पर हस्ताक्षर करने के लिए 24 जनवरी 1950 को संविधान की तीन प्रतियाँ सभा के पटल पर रख दी। एक अंग्रेज़ी प्रती हस्तलिखित और चित्रकारों के कलाकृतीयों द्वारा तयार थी। एक अंग्रेज़ी प्रती छपी हुई थी और एक प्रती हिन्दी में हस्तलिखित थी। सभा के अध्यक्ष ने सभी सदस्यों को इन तीनों प्रतीयों पर हस्ताक्षर करने की बिनती की और सभी सदस्यों ने उसपर हस्ताक्षर किए। 26 जनवरी 1950 से भारतीय संविधान का अंमल करना शुरू हुआ।
*** 11 दिसम्बर 1946 को डाॅ.राजेन्द्रप्रसाद को सर्व सम्मति से सभा का स्थायी सभापति चुन लिया गया और अन्त तक वे ही संविधान सभा के सभापति बने रहे।
*** भारत का संविधान तयार करने के लिए 2 साल 11 महिने 17 दिन लगे।
*** इस दरमियान संविधान सभा के कुल 11 अधिवेशन और 165 मिटिंग हुई।
*** संविधान सभा का तीन वर्ष में जो व्यय हुआ वह अधिक न था। 22 नवम्बर 1949 तक 63, 96, 729 रूपये व्यय किए गए।
*** प्रारूप समिति ने संविधान सभा के सम्मुख जो पहला प्रारूप संविधान प्रस्तुत किया उसमें 315 अनुच्छेद तथा 8 अनुसूचियाँ थी।
*** अन्तिम रूप में संविधान में 395 अनुच्छेद तथा 8 अनुसूचियाँ थी।
*** प्रारूप संविधान में संशोधन के 7635 प्रस्ताव रखे गए। इनमें से सदन में कुल 2473 संशोधन प्रस्तुत किए गए।
*** संविधान सभा में 10 से ज्यादा महिलाएँ थी। संविधान सभा में श्रीमती सरोजिनी नायडू, विजयलक्ष्मी पंडित, राजकुमारी अमृता कौर यह महिलाओं की प्रतिनिधित्व करती थी।
*** तयार संविधान पर हस्ताक्षर करने के लिए 24 जनवरी 1950 को संविधान की तीन प्रतियाँ सभा के पटल पर रख दी। एक अंग्रेज़ी प्रती हस्तलिखित और चित्रकारों के कलाकृतीयों द्वारा तयार थी। एक अंग्रेज़ी प्रती छपी हुई थी और एक प्रती हिन्दी में हस्तलिखित थी। सभा के अध्यक्ष ने सभी सदस्यों को इन तीनों प्रतीयों पर हस्ताक्षर करने की बिनती की और सभी सदस्यों ने उसपर हस्ताक्षर किए। 26 जनवरी 1950 से भारतीय संविधान का अंमल करना शुरू हुआ।
*** संविधान सभा के अध्यक्ष डाॅ.राजेन्द्र प्रसाद इनकी बाबासाहेब के बारे में राय,
" संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष डाॅ. अंबेडकर ने अपनी सेहत की परवाह न करके यह कार्य (संविधान लिखने का काम) समर्थता से पूरा किया। संविधान तयार करने के लिए चुनी गई लेखा-समिति पर डाॅ.अंबेडकर को चुनकर समिति (सभा पर) के अध्यक्ष पद पर चुनने का संविधान सभा ने जो निर्णय लिया इतना अचूक निर्णय इससे पहले संविधान सभा ने कभी भी नहीं लिया और डाॅ.अंबेडकर ने भी अपने चुनाव की यथार्थता को सिद्ध किया इतना ही नहीं, उन्होंने जो कार्य किया उसे उन्होंने एक तरह की तेजस्विता दी।"
- डाॅ.राजेन्द्र प्रसाद (संविधान सभा के अध्यक्ष और भारत के पहले राष्ट्रपति)
- डाॅ.राजेन्द्र प्रसाद (संविधान सभा के अध्यक्ष और भारत के पहले राष्ट्रपति)
*** Shri T.T.Krishnamachari, a colleague of his in the Drafting Committee, said in one of his speeches in the Constituent Assembly :
" The House is perhaps aware that of the seven members nominated by you, one had resigned from the House and was replaced. One was away in America and his place was not filled up, and another person was engaged in State affairs, and there was a void to that extent. One or two people were far away from Delhi and perhaps reason of health did not permit them to attend. So it happend ultimately that the burden drafting this Constitution fell upon Dr.Ambedkar and I have no doubt that we are grateful to him for having achieved this task in a manner which is undoubtedly commendable. "
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