Friday, November 27, 2015

विधान -l

3. संस्था के उद्धेश्य:- इस संस्था के निम्नलिखित उद्धेश्य हैं:-
( 1 ) भारतीय लोकतंत्र की रक्षा करना एवं भारत के विकास में सहयोग देना तथा मानव समरसता बढाना .
( 2 ) समाज में असंगठित मजदूरों एवं कर्मचारियों को को संगठित करना व न्याय दिलाना .
( 3 ) समाज में शिक्षा का वातावरण पैदा कर शैक्षिक जागृति पैदा करना .
( 4 ) समाज में समग्र मार्गदर्शन हेतु अच्छे साहित्य की रचना करना तथा पत्रिका व पुस्तकओं का प्रकाशन करना .
( 5 ) राष्ट्र एवं समाज हित में रक्तदान , वृक्षारोपण करना एवं चिकित्सा शिविरों का आयोजन करवाना .
( 6 ) समाज को संगठित करना , आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करना तथा उनके नागरिक , सामाजिक , एवं राजनैतिक अधिकारों के लिये चेतना जागृत करना .
( 7 ) समाज में शैक्षणिक , सांस्कृतिक एवं खेलकूद आदि कार्यक्रम आयोजित करना .
( 8 ) समाज के सामुदायिक भवन , छात्रावास , विध्यालयों आदि का निर्माण करवाना तथा संचालन करना .
( 9 ) समाज में नारी उत्थान हेतु नारी शिक्षा व महिला अधिकारों के प्रति जागृति पैदा करना .
( 10 ) निःशक्त बच्चों के विकास हेतु समुचित कार्य करना .
( 11 ) युवा शिक्षित बेरोजगारों को तराशना व आर्थिक सहायता प्रदान करना .
( 12 ) विवाह योग्य युवक-युवतियों का परिचय सम्मेलन करवाना .
( 13 ) गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों को निशुःल्क विवाह में मदद करना .
( 14 ) समाज में व्यापत बुराईयों व अन्धविशवासों को जड से समाप्त करना .
( 15 ) समाज के किसानों को खेती में उन्न्त व वैज्ञानिक तकनीकी का प्रशिक्षण दिलाना तथा वैज्ञानिक खेती हेतु प्रोत्साहित करना .
4. सदस्यता:- निम्न योग्यता रखने वाले व्यक्ति संस्था के सदस्य बन सकेगें:-
( 1 ) संस्था के कार्य क्षेत्र में निवास करते हों .
( 2 ) बालिग हो यानि 18 वर्ष से अधिक आयु के हों .
( 3 ) पागल , दिवालिया न हो .
( 4 ) संस्था के उद्धेश्यों में रूचि व आस्था रखता हो .
( 5 ) संस्था के हित को सर्वोपरि समझता हो .
( 6 ) राजनिति से प्रेरित न होकर समाज सेवा में समर्पित हो .
( 7 ) संस्था के नियमों की दृढ इच्छा शक्ति से पालना करने वाला हो .
5. सदस्यों का वर्गीकरण:- संस्था के सदस्य निम्न प्रकार वर्गीकृत होंगे:-
( 1 ) संरक्षक .
( 2 ) विशिष्ट .
( 3 ) सम्मानीय
( 4 ) साधारण
( जो लागू न हो , उसे काट दीजिये )
6. सदस्यों द्वारा प्रदत्त शुल्क व चंदा:- उपनियम संख्या 5 में अंकित सदस्यों द्वारा निम्न प्रकार शुल्क व चंदा देय होगा:-
( 1 ) संरक्षक: राशि रूपये 10000=00 आजीवन .
( 2 ) विशिष्ट: राशि रूपये 15000=00 आजीवन .
( 3 ) सम्मानीय: राशि रूपये 20000=00 आजीवन .
( 4 ) साधारण: राशि रूपये 1000=00 द्विवार्षिक .
उक्त राशि एक मुश्त अथवा दो हफ्तों में जमा कराई जा सकेगी .
7. सदस्यता से निष्कासन:- संस्था के सदस्यों का निष्कासन निम्न प्रकार किया जा सकेगा
( 1 ) मृत्यु होने पर .
( 2 ) त्याग-पत्र देने पर .
( 3 ) संस्था के उद्धेश्यों के विपरीत कार्य करने पर .
( 4 ) प्रबंधकारिणी द्वारा दोषी पाये जाने पर .
उक्त प्रकार के निष्कासन की अपील 15 दिन के अन्दर- अन्दर लिखित में आवेदन करने पर साधारण सभा के निर्णय हेतु वैध समझी जायेगी तथा साधारण सभा का निर्णय अन्तिम होगा .
8. साधारण सभा:- संस्था के उपनियम 5 में वर्णीत समस्त प्रकार के सदस्य मिलकर साधारण सभा का निर्माण करेंगे .
9. साधारण सभा के अधिकार और कर्तव्य:- साधारण सभा के निम्न अधिकार और कर्तव्य होंगे:-
( 1 ) प्रबंधकारिणी का चुनाव करना .
( 2 ) वार्षिक बजट पारित करना .
( 3 ) प्रबंधकारिणी द्वारा किये गये कार्यों की समीक्षा करना व पुष्टि करना .
( 4 ) संस्था के कुल सदस्यों के 2/3 बहुमत से विधान में संशोधन , परिवर्तन अथवा परिवर्धन करना .
10. साधारण सभा की बैठकें:-
( 1 ) साधारण सभा की वर्ष में एक बैठक अनिवार्य होगी लेकिन आवश्यकता पडने पर विशेष सभा अध्यक्ष / महामंत्री द्वारा कभी भी बुलाई जा सकती है .
( 2 ) साधारण सभा की बैठक का कोरम कुल सदस्यों का 1/3 होगा .
( 3 ) बैठक की सूचना 7 दिन पूर्व व अति आवश्यक बैठक की सूचना 3 दिन पूर्व दी जायेगी .
( 4 ) कोरम के अभाव में बैठक स्थगित की जा सकेगी जो पुन: 7 दिन पश्चात निर्धारित स्थान व समय पर आहूत की जा सकेगी . ऐसी स्थगित बैठक में कोरम की कोई आवश्यकता नहीं होगी लेकिन विचारणीय विषय वही होंगे जो पूर्व एजेन्डा में थे .
( 5 ) संस्था के 1/3 अथवा 15 सदस्य इनमें से जो भी कम हों , के लिखित आवेदन करने पर महामंत्री/ अध्यक्ष द्वारा एक माह के अन्दर अन्दर बैठक आहुत करना अनिवार्य होगा . निर्धारित अवधि में अध्यक्ष / महामंत्री द्वारा बैठक न बुलाये जाने पर उक्त 15 सदस्यों में से कोई भी 3 सदस्य बैठक हेतु नोटिस जारी कर सकेगें तथा इस प्रकार की बैठक में होने वाले समस्त निर्णय वैधानिक व सर्वमान्य होंगे .
11. कार्यकारिणी का गठन:- संस्था के कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिये एक प्रबंधकारिणी का गठन किया जायेगा , जिसके पदाधिकारी व सदस्य निम्न प्रकार होंगे:-
( 1 ) अध्यक्ष- एक ( 2 ) उपाध्यक्ष- एक
( 3 ) महामंत्री- एक ( 4 ) कोषाध्यक्ष- एक
( 5 ) सदस्य- ग्यारह
इस प्रकार प्रबंधकारिणी में 4 पदाधिकारी तथा 11 सदस्य कुल 15 सदस्य होंगे .
12. कार्यकारिणी का निर्वाचन:-
( 1 ) संस्था की प्रबंधकारिणी का चुनाव 2 वर्ष की अवधि के लिये साधारण सभा द्वारा किया जावेगा .
( 2 ) चुनाव प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष प्रणाली द्वारा किया जावेगा .
( 3 ) चुनाव अधिकारी की नियुक्ति प्रबंधकारिणी द्वारा की जावेगी .
13. कार्यकारिणी के अधिकार और कर्तव्य:- संस्था की कार्यकारिणी के निम्नलिखित अधिकार व कर्तव्य होंगे:-
( 1 ) सदस्य बनाना / निष्काशित करना
( 2 ) वार्षिक बजट तैयार करना
( 3 ) संस्था की सम्पति की सुरक्षा करना
( 4 ) वैतनिक कर्मचारियों की नियुक्ति करना तथा उनके वेतन भत्तों का निर्धारण करना व सेवा मुक्त करना .
( 5 ) साधारण सभा द्वारा पारित निर्णयों को क्रियान्वित करना .
( 6 ) कार्य व्यवस्था हेतु उपसमितियां बनाना .
( 7 ) अन्य कार्य जो संस्था के हितार्थ हों , करना .
14. कार्यकारिणी की बैठकें:-
( 1 ) कार्यकारिणी की वर्ष में कम से कम 5 बैठकें अनिवार्य होगी लेकिन आवश्यकता होने पर बैठकें अध्यक्ष / महामंत्री द्वारा कभी भी बुलाई जा सकेगी .
( 2 ) बैठक का कोरम प्रबंधकारिणी की कुल संख्या के आधे से अधिक होगा .
( 3 ) बैठक की सूचना प्राय: 7 दिन पूर्व दी जायेगी तथा अत्यावश्यक बैठक की सूचना परिचालन से कम समय में भी दी जा सकती है .
15. प्रबंधकारिणी के पदाधिकारियों के अधिकार व कर्तव्य:- संस्था की प्रबंधकारिणी के अधिकार व कर्तव्य निम्न होंगे .
1. अध्यक्ष:
( 1 ) बैठकों की अध्यक्षता करना .
( 2 ) मत बराबर आने पर निर्णायक मत देना .
( 3 ) बैठकें आहुत करना .
( 4 ) संस्था का प्रतिनिधित्व करना .
( 5 ) संविदा तथा अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करना .
2.उपाध्यक्ष:
( 1 ) अध्यक्ष की अनुपस्थिती में अध्यक्ष के समस्त अधिकारों का प्रयोग करना .
( 2 ) प्रबंधकारिणी द्वारा प्रदत्त अन्य अधिकारों का उपयोग करना .
3. महामंत्री:
( 1 ) बैठकें आहुत करना .
( 2 ) कार्यवाही लिखना व रिकार्ड रखना.
( 3 ) आय-व्यय पर नियंत्रण रखना .
( 4 ) वैतनिक कर्मचारियों पर नियंत्रण करना तथा उनके वेतन व यात्रा बिल आदि पास करना .
( 5 ) संस्था का प्रतिनिधित्व करना व कानूनी दस्तावेजों पर संस्था की ओर से हस्ताक्षर करना .
( 6 ) पत्र व्यवहार करना .
( 7 ) सम्पत्ति की सुरक्षा हेतु वैधानिक अन्य कार्य जो आवश्यक हो .
4. कोषाध्यक्ष:
( 1 ) वार्षिक लेखा-जोखा तैयार करना .
( 2 ) दैनिक लेखों पर नियंत्रण रखना .
( 3 ) चन्दा/शुल्क/ अनुदान आदि प्राप्त कर रसीद देना .
( 4 ) अन्य प्रदत्त कार्य सम्पन्न करना .
16. संस्था कोष: संस्था का कोष निम्न प्रकार संचित होगा:
( 1 ) चन्दा
( 2 ) शुल्क
( 3 ) अनुदान
( 4 ) सहायता
( 5 ) राजकीय सहायता
नोट:- 1. उक्त प्रकार से संचित राशि किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में सुरक्षित रखी जायेगी .
2. अध्यक्ष/महामंत्री/कोषाध्यक्ष मेंसे किन्हीं दो पदाधिकारियों के संयुक्त हस्ताक्षरों से बैंक में लेन-देन संभव होगा .
17. कोष सम्बंधि विशेषाधिकार:- संस्था के हित में कार्य व समय की आवश्यकतानुसार
निम्न पदाधिकारी संस्था की निम्न राशि एकमुश्त स्वीकृत कर सकेगें
( 1 ) अध्यक्ष : रूपये 10000=00 तक
( 2 ) महामंत्री : रूपये 5000=00 तक
( 3 ) कोषाध्यक्ष: रूपये 500=00 तक
नोट: उपरोक्त राशि का अनुमोदन प्रबंधकारिणी से कराया जाना आवश्यक होगा
18. संस्था का अंकेक्षण:- संस्था के समस्त लेखों का वार्षिक अंकेक्षण कराया जायेगा. अंकेक्षक की नियुक्ति प्रबंधकारिणी द्वारा की जायेगी . वार्षिक लेखे रजिस्ट्रार संस्थाऐं कोटा को प्रस्तुत करने होंगे .
19 . संस्था के विधान में परिवर्तन:- संस्था के विधान में आवश्यकतानुसार साधारण सभा के कुल सदस्यों के 2/3 बहुमत से परिवर्तन , परिवर्धन अथवा संशोधन किया जा सकेगा . जो राजस्थान संस्था रजिस्ट्रेशन अधिनियम , 1958 की धारा-12 के अनुरूप होगा .
20. संस्था का विघटन:-
यदि संस्था का विघटन आवश्यक हुआ तो , संस्था समस्त चल व अचल सम्पत्ति समान उद्देश्य वाली संस्था को हस्तांतरित कर दी जायेगी . लेकिन उक्त समस्त कार्यवाही राजस्थान संस्था रजिस्ट्रीकरण अधिनियम , 1958 की धारा 13 14 के अनुरूप होगी रजिस्ट्रार संस्थाऐं कोटा को पंजियन रद करने का पूर्ण अधिकार होगा .
21. संस्था के लेखे-जोखे का निरीक्षण:- रजिस्ट्रार संस्थाऐं कोटा अथवा उनके द्वारा नियुक्त प्रतिनिधी को संस्था के रेकोर्ड का निरीक्षण /जांच करने का पूर्ण अधिकार होगा व उनके द्वारा दिये गये सुझावों की पूर्ति की जायेगी .

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