Friday, November 27, 2015

विधान

  • सदस्यता

    कोई भी महिला एव्म पुरूष जिनकी आयु 18 वर्ष से अधिक हो तथा संस्था के नियमों एव्म उद्देश्यों का पालन करते है वे इस संस्था के सदस्य बन सकते है । सदस्यता ग्रहण करने हेतु उन्हें विहित प्रपत्र मे आवेदन देना होगा, जिसकी स्वीकृति या अस्वीकृति कार्याकारिणि समिति द्वारा प्रदान की जायेगी । संस्था के प्रत्येक सद्स्य को 51/- रुपये प्रवेश शुल्क एव्म 121/- रुपये वार्षिक शुल्क देय होगा।
  • सदस्ता से विमुक्ति

    निम्नलिखित दशाओं के सदस्यों की समाप्त की जाएगी ।
    • स्वयं त्याग पत्र देने पर ।
    • पागल या मृत्यु होने पर ।
    • समिति द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पारित करने पर ।
    • लगातार तीन वर्ष तक सदस्ता शुल्क नहीं देने पर ।
    • बिना सूचना के लगातार तीन बैठकों में अनुपस्थित रहने पर ।
    • न्यायालय द्वारा दंडित होने पर ।
  • कार्यकारिणी समिति का गठन

    • कार्यकारिणी समिति में पदाधिकारी सहित 7 ( सात ) सदस्य होंगे ।
    • कार्यकारिणी समिति के पदाधिकारियों एवं सदस्यों का चुनाव आमसभा द्वारा किया जाएगा ।
    • कार्यकारिणी समिति का कार्यकाल पाँच वर्षो का होगा । निवृत सदस्य पुन: चुने जा सकते है ।
    • अगर समिति में कोई पद रिक्त होगा तो उक्त पद पर समिति किसी सदस्य को मनोनीत कर सकती है । लेकिन वार्षिक बैठक में उसे विधिवत चुनाव करा लेना होगा । चुने हुए पदाधिकारी एवं सदस्य अपने पद के अनुरूप कार्य करेगें ।
  • पदाधिकारियों के कार्य एवं अधिकार

    • अध्यक्ष
      • संस्था के प्रत्येक बैठक की अध्यक्षता करना ।
      • कार्यवाही पंजी पर अपना हस्ताक्षर करना |
      • किसी विषय पर समान मत होने की स्थिति में निर्णायक मत का उपयोग करना ।
      • उद्देश्य की पूर्ति हेतु अन्य वैधानिक कार्य करना ।
    • उपाध्यक्ष
      • अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष द्वारा सौपे गए कार्यों का सम्पादन करना तथा सभा की अध्यक्षता करना ।
    • सचिव
      • संस्था के प्रत्येक बैठक का आयोजन करना ।
      • संस्था की ओर से पत्राचार करना ।
      • संस्था की ओर से पत्राचार करना ।
      • पंजियों एवं कागजातों को सुरक्षित करना ।
      • आय-व्यय का लेखा बैठक में प्रस्तुत करना ।
      • संस्था के निधि का अंकेक्षण कराना ।
      • कार्यवाही को कार्यवाही पंजी में लिखना एवं अध्यक्ष से हस्ताक्षर कराकर अपना हस्ताक्षर करना ।
      • कार्यकारिणी समिति के राय से कर्मचारियों की नियुक्ति एवं बर्खास्तगी के आदेश पारित करना ।
      • आवश्यकतानुसार अपने पास 5000/- रू0 तक रखना और विशेष खर्च के लिए समिति की बैठक से पास कराकर कार्य करना ।
      • उद्देश्य की पूर्ति हेतु अन्य वैधानिक कार्य करना ।
    • कोषाध्यक्ष
      • संस्था के आय-व्यय का हिसाब रखना और सचिव के द्वारा आहूत बैठक में प्रस्तुत करना ।
      • संस्था के सदस्यता शुल्क, प्रवेश शुल्क, दान, चन्दा आदि प्राप्त कर रसीद देना ।
      • संस्था के कोष को किसी बैंक या डाकघर में संस्था के नाम से जमा करना ।
  • कार्यकारिणी समिति के अधिकार एवं कार्य

    • संस्था के चल एवं अचल सम्पति के उत्तरदायी होगा ।
    • संस्था के सभी कार्यो का सम्पादन विधिवत करना तथा प्रस्ताव पारित करना ।
    • शाखा एवं उपशाखा का गठन करना ।
    • उद्देश्य की पूर्ति हेतु अन्य वैधानिक कार्य करना ।
  • आम सभा के अधिकार एवं कर्त्तव्य

    • समिति के पदाधिकारियों एवं सदस्यों का निर्वाचन करना ।
    • संस्था के आय-व्यय लेखा पर विचार कर स्वीकृति देना ।
    • उद्देश्य की पूर्ति हेतु अन्य वैधानिक कार्य करना ।
    • अंकेक्षक की नियुक्ति करना ।
  • बैठक

    • कार्यकारिणी समिति की बैठक प्रत्येक तीन माह में होगी ।
    • आमसभा की बैठक प्रत्येक वर्ष के अप्रैल माह में होगी ।
    • कार्यकारिणी समिति एवं आमसभा की विषेश बैठक कभी भी बुलायी जा सकती है ।
  • बैठक की सूचना

    • आमसभा के बैठक की सूचना 15 दिन पूर्व दी जाएगी ।
    • आमसभा की विषेश बैठक की सूचना 10 दिन पूर्व दी जाएगी ।
    • कार्यकारिणी समिति की बैठक की सूचना 7 दिन पूर्व दी जाएगी ।
    • कार्यकारिणी समिति के विषेश बैठक की सूचना 4 दिन पूर्व दे जाएगी ।
    • बैठक की सूचना, सूचना पंजी पर हस्ताक्षर प्राप्त कर या डाक द्वारा दी जाएगी ।
  • प्रार्थिक बैठक

    • दो तिहाई सदस्यों की लिखित मांग पर सचिव को एक माह के अन्दर बैठक बुलाना होगा । यदि सचिव उक्त अवधि के अन्दर बैठक का आयोजन नहीं करते है तो आवेदक को अधिकार होगा कि आवेदन पत्र में लिखित विषय के लिए बैठक का आयोजन कर सकते है ।
  • कोरम (गणपूर्ति)

    • प्रत्येक बैठक का कोरम कुल सदस्यों का दो तिहाई बहुमत होगा । कोरम के अभाव में बैठक स्थगित हो जाएगी और पुन: स्थगित बैठक के लिए कोरम की आवश्यकता नहीं होगी ।
  • आय का श्रोत

    • सदस्यता शुल्क एवं प्रवेश शुल्क ।
    • सरकारी, गैर सरकारी, दान, अनुदान एवं सहायता ।
  • निधि का अंकेक्षण

    • संस्था की आय-व्यय का लेखा नियमित रूप से रखा जाएगा तथा आमसभा द्वारा नियुक्त अंकेक्षण से प्रतिवर्ष अंकेक्षण कराया जाएगा ।
    • निबंधन महानिरीक्षक अपने विवेक से जब चाहे संस्था का अंकेक्षण किसी मान्यता प्राप्त चार्टड एकाउंटेंट से करा सकते है । जिसका शुल्क संस्था द्वारा वहन किया जाएगा ।
  • कोष का संचालन

    • संस्था के सभी कोष को किसी बैंक या डाकघर में संस्था के नाम पर जमा किया जाएगा, जिसका निकासी अध्यक्ष, सचिव एवं कोषाध्यक्ष में से किन्हीं दो के संयुक्त हस्ताक्षर से की जाएगी ।
  • पंजी का निरीक्षण

    • संस्था की सभी पंजियाँ निबंधित कार्यालय में जमा रहेगीं जहाँ कोई भी सदस्य सचिव की अनुमति से सदस्य पंजी, लेखा पंजी तथा कार्यवाही पंजी का निरीक्षण कर सकते है ।
  • नियमावली में संशोधन

    • नियमावली मं संशोधन आमसभा के 3/5 सदस्यों द्वारा प्रस्ताव पारित करने पर ही किया जाएगा ।
  • कानूनी कारवाई

    • संस्था पर या संस्था के द्वारा कानूनी कारवाई सचिव के पदनाम से होगी तथा अधिवक्ता की नियुक्ति समिति से सलाह से की जाएगी ।
  • विघटन एवं विघटनोपरांत सम्पत्ति की व्यवस्था

    • संस्था का विघटन संस्था अधिनियम 1860 के धारा – 13 के आलोक में सरकार का अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही किया जाएगा ।
    • आमसभा के 3/5 सदस्यों द्वारा प्रस्ताव परित करने पर ही संस्था का विघटन किया जाएगा ।
    • विघटन के उपरांत जो चल एवं अचल सम्पत्ति बचेगी वह किसी सदस्य या गैर सदस्यों में नहीं बांटी जाएगी बल्कि आमसभा की सहमति से समान उद्देश्य वाली संस्था या सरकार को दे दी जाएगी ।
  • संस्था के नियमानुसार जो पदाधिकारी अपने अधीन दिए गए कार्य को एक से दूसरे बैठक के बीच पूर्ण नहीं करते हेई तो उन्हें संस्था से विमुक्त कर दिया जाएगा|
संस्था के उद्देश्य एवं लक्ष्य :-
जिन उद्देश्य के लिए संस्था की स्थापना की गई है वे निम्न प्रकार है :-
1-संस्था के सदस्यों द्वारा आम आदमी में बंधुत्व,सहयोग, भाईचारा और राष्ट्र प्रेम की भावना को बढ़ावा।
2-समाज को संगठित करना तथा समाज के विकास व सुख शांति कायम करने के लिए हर संभव प्रयास करना।
3-समाज में अच्छी शिक्षा का प्रसार करना तथा समाज के लोगों के जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास करना
4-समाज में बढ़ते अपराध को रोकना । सरकारी नियमानुसार ।
5-भारतीय संविधान में प्रदत्त सामाजिक न्याय,शिक्षा और आर्थिक उत्थान के लिए प्रयास करना ।
6-महिलाओं और बच्चों के विकास के लिए कार्य करना तथा गरीब परिवार की कन्याओं की शादियां करवाना और उनकी आर्थिक सहायता करना। कन्या भ्रूण हत्या को जड़ से ख़तम करना संस्था का मुख्य उद्धेश्य रहेगा । 
7-समाज में बढ़ती कुरीतियों को समाप्त करना और बचत के प्रति लोगों को जागरुक करना।
7-(अ)-समाज में बढ़ते भष्ट्राचार एवं उपभोक्ता सरंक्षण के प्रति जागरुकता एवं भष्ट्राचार निवारण में सहायता करना ।सरकारी नियमानुसार ।
8-भविष्य में समाज के आर्थिक विकास के लिए एक कोष की स्थापना करना जिसमें कि प्रत्येक सदस्य से हर माह संस्था के सदस्यों को जरुरत पड़ने पर ऋण उपलब्ध करवाना तथा ब्याज राशि को संस्था के उद्देश्यों में लगाना और समाज का जीवन स्तर उंचा उठाने का प्रयास करना।
9-समाज की भलाई हेतु सांस्कृतिक शैक्षिणिक कार्यक्रमों का आयोजन करना।
10-समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों जैसे छोटी उमर में शादी,दहेज व्यवस्था के खिलाफ कार्यक्रम को लागू करने में सरकार की सहायता करना तथा अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक संगोष्ठी करना।
11-समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों जैसे कन्या भ्रूण हत्या ,दहेज प्रथा,बाल विवाह ,रुढ़िवादिता जातीय भेदभाव ,बालश्रम,नशा,आपसी रंजिश इत्यादी को रोकना एवं इसके अलावा अन्य गैर कानूनी कार्य अपराध में लिप्त होने को रोकने के संबंध में आवश्यक प्रभावशाली व कानूनी प्रयास करना।
12-संस्था के माध्यम से समाज के सभी वर्गों में धार्मिक ,सामाजिक और राष्ट्रप्रेम की भावना को बढ़ावा देना तथा समाज में राष्ट्र के विकास के लिए कार्य करना ।
13-समाज में विकास के लिए टंकण(टाईपिंग),कला क्राफ्ट,पेंटिंग,शारिरिक शिक्षा और योग आदि की शिक्षा हेतु उचित प्रयास करना व् प्रशिक्षण केंद्र खोलना 
14- समाज को नशा मुक्त बनाने का प्रयास करना ।समय समय रक्तदान शिविरों का आयोजन करना ।बहुजन सुखाय की नीति की अपनाकर समाज को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करना ।
14(अ)-आंतकवाद के विरुद्ध जागरुकता पैदा करना ।
15-पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करना तथा ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरुकता पैदा करना ।
16-सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुंचाना तथा सरकारी भागीदारी योजना के अन्तर्गत सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त करना ।
17-समाज से बेरोजगारी एवं गरीबी के उन्मूलन हेतु लघु उद्योगों एवं हस्तकलाओं की स्थापना करना एवं संचालन करना ।
18-आम जनता के उपयोग के लिए कम्युनिटी हॉल ,बारातघर ,वृद्धाश्रम ,महिलाश्रम ,हैल्थकेयर सेंटर, अनाथालय,बालवाड़ी ,आंगनवाड़ी, आदि का निर्माण करना तथा विभिन्न सार्वजनिक सामाजिक विकास के कार्यक्रम चलाना व संचालन करना।
19-भारतीय संस्कृति ,सांस्कृति धरोहरों ,आदि के संरक्षण एवं पुर्नउत्थान में योगदान देना।
20-बजट के अनुसार धार्मिक एवं तीर्थ स्थलों की यात्रा एवं भण्डारे ,जागरण और सत्संग इत्यादी का व्यवस्था करना ।
21- गरीब असहाय व्यक्ति की मदद के लिए सदैव तैयार रहना ।
22-निर्धन और असहाय लोगों के लिए निशुल्क एंबुलैंस की व्यवस्था करना।
23-गरीब एवं जरुरतमंदों को कानूनी मदद निशुल्क उपलब्ध कराना ।
24-लोगों को केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजानाओं से अवगत कराना और जागरुक करना ।
25-संस्था के सदस्यों और आम जनता के हितों व अधिकारों की रक्षा के लिए संबधित विभागों से पत्र व्यवहार करना व आवश्यकता पड़ने पर न्यायालयों में जाना तथा संबधित अधिकारियों से मुलाकात करना ।
26-प्राकृतिक आपदाओं जैसे -बाढ़ ,सूखा,भूकंप,या तूफान आदि के समय पीड़ितों को चिकित्सा ,भोजन,आवास ,यातायात,व अन्य सामग्री उपलब्ध कराना और हर संभव सहायता प्रदान करना ।
27-ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल(प्याऊ)आदि का निर्माण करना व व्यवस्था और रख रखाव का प्रबंध करना,उद्यान आदि का निर्माण एवं व्यवस्था तथा इन सबसे संबधित संस्थाओं का सहयोग लेना-देना ।
28-शिक्षा ,सांस्कृतिक व अन्य सामाजिक गतिविधियों के विकास के लिए विभिन्न कार्य योजना व कार्यक्रम चलाना -जैसे प्रौढ़ शिक्षा ,निबंध प्रतियोगिता,प्रदर्शनी,जलसे सेमिनार,सांस्कृतिक कार्यक्रम,प्रेस कांफ्रेंस आदि ।
29-सरकार द्वारा विशेष स्वास्थ्य सेवाओं का प्रचार प्रसार करना,क्षयरोग ,कैंसर,एड्स,जैसी घातक बीमारियों के प्रति लोगों को जागरुक करना एवं लोगों को बीमारियों के बारे में सरकारी योजनाओं को बताना एवं चिकित्सा सुविधा हेतु सही मार्गदर्शन करना ।
30-विकलागों के सेवार्थ विभिन्न योजनाएं बनाना एवं संचालन करना ।
31-संस्था की समस्त आय आयकर के अधिनियम की धारा 11(5)1964 के तहत जमा की जाएगी ।
32-संस्था द्वारा अर्जित आय सामाजिक ,धार्मिक और प्राणीमात्र के विकास में लगाई जाएगी,संस्था के माध्यम से समस्त कार्य करना जो संस्था के उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सहायक हो और संस्था द्वारा करने के लिए आवश्यक हो।संस्था की चल अछल संपत्ति से प्राप्त समस्त आय व कमाई ज्ञापन पत्र में उल्लेखित संस्था के उद्देश्य वे लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु पूर्णत प्रयोग की जाएगी और लगायी जाएगी ।
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१. शिक्षा का प्रचार व प्रसार करना 
२. सामाजिक व सांस्कृतिक जागरूकता लाना 
३. स्वच्छता एवं स्वास्थ्य हेतु जागरूकता प्रशिक्षण एवं कार्यक्रमों का क्रियान्वन करना 
४. प्राकृतिक संसाधनो का विकास एवं पर्यावरण व सुधार करना 
५. सुचना एवं तकनिकी शिक्षा से ग्रामीणो एवं पिछड़े वर्ग के लोगो को अवगत कराना
६. सड़क सुचना , यातायात सम्बन्धी जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करना 
७. आधुनिक युग में विज्ञानं में हो रही प्रगति को दृस्टिगत रखते हुए उत्तम तकनिकी ज्ञान का प्रशिक्षण देना l जैसे कंप्यूटर टेलीविज़न रेडियो टेपरिकॉर्डर आदि का मरम्मत आदि का प्रशिक्षण देना 
८. महिलाओ तथा बालिकाओ को स्वावलम्बी बनाने की दृस्टि से उन्हें सिलाई बुनाई कढ़ाई छपाई तथा चित्रकला मेहंदी कला पाककला आदि कई प्रकार के उपयोगी ज्ञान का निशुल्क प्रशिक्षण दिलाना 
९. परिवार कल्याण की जानकारी तथा उसके प्रति समाज में जागृति फैलाना 
१०. असहाय गरीब पिछड़ा हरिजन अनुसूचित जनजाति आदिवासी महिलाओ को संरक्षण प्रदान करना
११. आदिवासी और पिछड़े वर्ग के तथा जन साधारण के शैक्षणिक मानसिक शारीरिक बौद्धिक नैतिक चारित्रिक और आध्यात्मिक साहित्य और सांस्कृतिक उन्नति हेतु विद्यालय वाचनालय पुस्तकालय मनोवैज्ञानिक अध्य्यन की व्यवस्था और मनोवैज्ञानिक केंद्र का संचालन करना स्वास्थ्य का परीक्षण करवाना एवं स्वास्थय शिविरो का आयोजन करना नीति और चरित्र की शिक्षा देना 
१२. युवाओ में नेतृत्व के गुणों का विकास करना l आध्यात्म ज्ञान तथा साहित्य और सांस्कृतिक जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास करना 
१३. सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन में मदद करना दहेज़ तथा स्त्री पुरुस समानता सम्बंधीं नशीली दवाइयों का प्रयोग बाल विवाह आदि 
१४. शासन के विभिन्न विभागों द्वारा चलाई जा रही योजनाओ का संचालन करने हुए समाज कल्याण में भागीदारी करना 
१५. छात्र छात्राओ को आधुनिक शिक्षा उच्च शिक्षा व्यावसायिक शिक्षा तकनिकी शिक्षा एवं स्वरोजगार सम्बन्धी शिक्षण प्रशिक्षण उपलब्ध कराकर स्वावलम्बी बनाना तथा स्कूल कॉलेज का स्थापना व संचालन करना
१६ प्रौढ़ शिक्षा व साक्षरता को बढ़ावा देना l शिक्षा के विकास हेतु सतत प्रयास करना 
१७. निर्धन कन्याओ के विवाह हेतु सामूहिक विवाह कार्यक्रमों का आयोजन करना तथा शासन द्वारा प्रसारित योजनाओ के क्रियान्वन व सञ्चालन में सहभागिता प्रदान करना

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