वंशवाद" तेरे जन्म और मृत्यु की व्याख्या बहुत ही कठिन हैं ।
पानी में रहने वाली मछलिया आपने आप ही तैरना सीख जाती हैं । घर में बड़ो के द्वारा बातचीत में ही अपनी मातृ भाषा छोटा बच्चा स्वतः ही सुन सुन कर बोलने लगता हैं । घर कि दूकान हो तो घर के बच्चे सामान बेचना और हिसाब करना स्वतः ही सीख जाते जाते हैं ।
क्या इसको भी वंशवाद कह दूँ ?
नेता का बच्चा नेता बन रहा हैं, ये आज वंशवाद हैं, लेकिन पहलवान का बेटा अब पहलवान नहीं बनता , ठीक वैसे ही मास्टर जी का बेटा ज्ञानी भी नहीं होता । और दुकाने तो बंद होने लगी हैं हिसाब किताब किसका करे, पंडित जी का बेटा पंडिताई भी नहीं करता, यादव लोग अब पेशा छोड़ चुके, हरिजन अब ढोल नही पीटता, फिर भी सच ये हैं, कि
नेत्ता का बेटा मौज में हैं समाज भमित हैं इनके झासे में फसा हुआ हैं हिसाब कैसे मांगे, क्या नेता का बेटा अच्छा नेता बन पा रहा हैं ।
अब तो वंशवाद का दंश पुरे देश को ही खाये जा रहा हैं, प्रतीत होता हैं कि ये सबसे बढ़िया व्यवसाय हैं ।
हाय ईर्ष्या तू ना गई मेरे मन से...........
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