लेखनी की शक्ति
देश और समाज को जोड़ती है।
लोकतन्त्र के चार
स्तंभों से न्यायपालिका और पत्रकारिता ही दो ऐसे मजबूत स्तंभ है जो हमारे समाज को
और लोकतन्त्र को और ज्यादा मजबूत बना रहें हैं। उन्होने पत्रकारों को देश धर्म का
सच्चा संवाहक बताते हुए कहा कि हिमालय का ज्ञान विश्व में फैलाने के लिए मीडिया को
और ज्यादा सजग होने की जरूरत है। उन्होने कहा कि भारत को विश्व का माडल बनाने के
लिए पत्रकारों को गुणवत्ता, समर्पण और
ईमानदारी के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना होगा।
पत्रकारों को
प्रलोभन से बचना चाहिए। उन्होने कहा कि पत्रकारिता में आ रही गिरावट चिन्ता का
विषय पर इस सबके बावजूद भी पत्रकारिता ने हमारे लोकतन्त्र को मजबूत बनाने में अहम
योगदान दिया है। उन्होने कहा कि भले ही आज हिन्दी पत्रकारिता की भाषा में
चिन्ताजनक परिवर्तन आ रहा है मगर इसके बावजूद भी हिन्दी पत्रकारिता हमारे समाज को
एकजुट रखने में महती भूमिका निभा रही है और पत्रकारों को पूरी प्रतिबद्धता के साथ
अपनी जिम्मेदारियो का निर्वहन करते रहना चाहिए।
जब हम अच्छा काम
करते हैं तो मीङिया हमारी सराहना करता है और जब हम कोई गलती करते हैं तो मीडिया
उसकी आलोचना कर हमें अपने कर्तव्यों को जिम्मेदारी से निभाने के लिए सजग करता है।
हिन्दी
पत्रकारिता के इतिहास का वर्णन करते हुए कहा कि करीब 300 साल के पत्रकारिता के इतिहास में मडिया ने समाज में जो
भूमिका निभाई है वह अतुलनीय है। उन्होने कहा कि हम भले ही कितनी बातें हिन्दी
पत्रकारिता के बारें में करें, उसके गिरते स्तर
पर चिंता और चिंतन करें, पत्रकारिता और
पत्रकारों के समक्ष चुनौतियों और विसंगतियों की चर्चा करें मगर इसके बाद भी
पत्रकारिता ने समाज को और लोकतन्त्र को मजबूत ही किया है और वह अपनी यह भूमिका को
बखूबी निभा रहा है। संजय आर्य ने कहा कि पत्रकारिता के मूल्यों में गिरावट जरूर आ
रही है और हम सब को इस पर भी गंभीर चिंता और चिंतन करना चाहिए। इसे हम सब मिलकर
दूर कर सकते हैं। औद्योंगिक, सामाजिक विकास के
साथ ही जन सामान्य की समस्याओं को उजागर करने में पत्रकारिता की एक अहम भूमिका है।
उन्होने कहा कि पत्रकारों को समाज को जागरूक करने में पत्रकारिता का उपयोग हमें और
अधिक प्रामाणिकता और प्रतिबद्धता के साथ करने की जरूरत है।
एक पत्रकार का काम होता है देश और समाज में होने वाली अच्छी या
बुरी हर तरह की खबरों को लोगों के सामने लाना, लेकिन कई बार सच को सामने लाने की कीमत
पत्रकार को अपनी जान गंवाकर चुकानी पड़ती है। पिछले कुछ दिनों से देश में
पत्रकारों के खिलाफ अपराध बढ़ते जा रहे हैं।
हमारे एकदम नजदीक की प्रजा की विकराल समस्या देखें.
क्या ये गरीबी, बैरोजगारी, बीमारी, असुरक्षा की भावना, दहेज, कुशिक्षा, आवागमन की असुविधा, व्यवसाय
का अभाव, सांस्कृतिक महात्वाकांक्षा, उद्यमहीनता, दिशाहीनता या और क्या है?
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का अभाव, आवागमन की असुविधा, सांस्कृतिक महात्वाकांक्षा, गुणवत्ता आकलन :
दुनिया ज्ञान का
अथाह सागर है, जिसमें एक
व्यक्ति विशेष का ज्ञान एक बूंद के समान है.
विद्यार्थियों से
अपनी योग्यता और क्षमता की बदौलत शिक्षक का पद सबसे ज्याद सम्मान प्राप्त करता है.
इसलिए शिक्षको को बेहतर समाज के निर्माण में सक्रिय भागीदारी निभानी चाहिए l
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