Tuesday, May 17, 2016

रैगर दर्पण पत्रिका परिवार में आप सब का स्वागत और अभिनन्दन करता है ।

महाभारत युद्ध में अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पले पुत्र को अश्वस्थामा ने ब्रह्म अस्त्र चलाकर मारने की कोशिश की तब भगवान ने उसे संसार में भोगने के लिए अमरता का वरदान दिया। वास्तव में उसे श्रापित होने के लिए अमर कर रखा है। उसी तरह जो व्यक्ति गर्भ में बेटी को मारने की ेकोशिश करते है उसे भगवान कभी क्षम्य नहीं करता है। जिस तरह हमारे कानून में कुछ धाराएं ऐसी है जो अपराध को माफ करने योग्य नहीं है। इसी तरह इस जघन्य अपराध के लिए उस पाप की सजा भोगना ही पड़ेगी। यह विचार जवाहर नगर में भीम बजरंग संस्था द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा के दौरान भागवताचार्य श्री अनिरूद्धाचार्य जी ने व्यक्त किए। आपने कहा कि अंधों का सहारा बनने के लिए अंधा बनने की बजाय उसको सही दिशा दिखाएँ, न कि गांधारी की तरह अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर अपने ही कुल का विनाश करें । गांधारी ने अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर अपने पुत्र के अपराध को नहीं देखा । अगर वह द्रोपदी के चीर हरण के समय ही आंखों से पट्टी उतार देती तो महाभारत का युद्ध घटित नहीं होता, न ही उसके सौ पुत्र मारे जाते।
मानव जीवन परमात्मा के द्वारा दिया गया अनुपम, श्रेष्ठ एवं सुंदर उपहार है।  स्वस्थ रहकर, मानवता के धर्म का पालन करते हुए, मानव समाज एवं प्राणी मात्र के हित और विकास के कार्यों को करके इसे कृतार्थ कर सकता है। 
रैगर दर्पण पत्रिका परिवार में आप सब का स्वागत और अभिनन्दन करता है ।
हमारा उद्देश्य,  रैगर समाज के बीच आपसी भाईचारा तथा एकता और एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए गाँव शहरो में रहने वाले रैगर समाज के लोगो को एक साथ एक मंच पर लाकर एक साथ आगे बढ़ने का है । हम रैगर समाज को एक शसक्त व तनाव मुक्त समाज बनाने के उद्देश्य से सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, बौद्धिक तथा आर्थिक विकास के मुद्दों को लेकर आगे बढ़ने कि कोशिश कर रहे है । रैगर समाज के लोगो के बीच प्रचार-प्रसार तथा सामाजिक जागरूकता के साथ समाज को प्रगतिशील दृष्टिकोण प्रदान करने का काम भी हम कर रहे है ।
रैगर समाज के लोगो के अंदर शक्ति तो खूब है, लेकिन वह व्यक्ति रोजमर्रा कि जिंदगी को लेकर समाज के प्रति अपना कर्तव्य भूल सा गया है,  हमारा ऐसे लोगो को उनकी जिम्मेदारियों तथा कर्तव्यों को याद दिलाने कि कोशिश व प्रयास जारी है । वैसे तो समाज के प्रति नैतिक जिम्मेदारियों के निर्वहन का दायित्व तो प्रत्येक व्यक्ति का है, सभी को अपनी क्षमता के अनुरूप नैतिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए । आज ऐसे व्यस्त्तम समय में हमने अपने आप को रोजमर्रा कि जिंदगी को परे रखकर, समाज के लोगो के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलने का प्रयास करना चाहिए, तब हम उस मंजिल तक पहुच पाएंगे । आशा है कि समाज को एक शसक्त व तनाव मुक्त समाज बनाने की दिशा में आप सभी सहयोगी होंगे, अतः आप लोग सँगठित होकर एक ससक्त रैगर समाज के निर्माण में हमारा सहयोग करे...

-:: जहाँ चाह,  वही राह ::-

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