यह पत्र आईएएस टॉपर नीलोत्पल मृणाल ने अपने फेसबुक पेज पर डाला है, जिसमें आईएएस टॉपर टीना डाबी को इंगित करते हुए देश में फैले जातिवाद के संजाल पर तगड़ा प्रहार किया गया है। आप भी पढ़ें प्यारी बहन टीना, सबसे पहले तो तुम्हारी प्रतिभा और मेहनत को नमन और इस स्वर्णिम सफलता की ढेरोँ बधाई। आज सुबह का अखबार पढ़ा, कुछ फेसबुक पोस्ट और न्यूज चैनल देखे तो लगा तुम्हें एक पत्र लिख दूं क्या? तुमको शायद ये पता भी है कि नहीँ पिछले रात भर मेँ तुम्हारे जीवन मेँ एकबारगी कितने परिवर्तन आए हैँ। तुम्हारी दुनिया अचानक बदल गई है। केवल इसलिए नहीँ कि तुम UPSC की ऑल इंडिया टॉपर हो बल्कि कुछ और बदलाव आए हैँ, जिसका तुम्हेँ अहसास भी ना होगा।तुमको पता है? कल तक तुम एक प्रतिभाशाली और हमेशा अच्छे अंक लाने वाली मेधावी छात्रा के रूप मेँ जानी जाती थी, पर आज कुछ लोगों ने तुम्हारी पहचान मेँ एक शब्द और जोड़ दिया है। आज तुम एक दलित मेधावी छात्रा के रूप मेँ जानी जा रही हो। लोग तुमसे तुम्हारे इस शीर्ष पर पहुंचने के रास्ते की मेहनत और लगन का फलसफा नहीँ जाति पूछ रहे हैँ। कल रात तक कोई तुम्हेँ राजपूत, जाट तो कोई ईसाई बता रहा था, सुबह तक दलित पर जाकर मिशन पूरा हुआ है। लोगोँ ने तुम्हारी जात खोज ली है, उन लोगोँ ने जो किताब लेकर भी प्रश्न के उत्तर ना खोज पाएंगे। अभी तक घर से दिल्ली के श्रीराम कॉलेज तक के सफर मेँ तुम्हेँ शायद ही इस बात का भान हुआ हो कि तुम एक टैलेंटेड छात्रा के अलावा दलित छात्रा भी हो। शायद ही कमला नगर के मार्केट मेँ गोलगप्पा खाते हुए तुमसे तुम्हारे किसी मित्र ने अपनी कटोरी अलग करते हुए कहा होगा कि तुम दलित हो। शायद ही कभी किसी दोस्त के बर्थ-डे पार्टी मेँ तुम्हेँ नेलपॉलिस से टिक किया हुआ अलग गिलास दिया गया हो कोल्डड्रिंक्स पीने के लिए और तुम्हारे गाल पर किसी दोस्त ने इसलिए केक ना मला हो... क्योँकि तुम दलित हो। तुम जब पढ़ने बैठती थी तो क्या सावित्री फूले और अम्बेडकर की तस्वीर सामने लगाकर इस प्रण के साथ पढ़ती थी कि मुझे अम्बेडकर और फूले के सपनोँ के लिए पढ़ना है, मुझे 5 हजार साल की जलालत का बदला लेना है, मैँ एक दलित हूं। मुझे टॉप करके जवाब देना है इतिहास को। नहीँ टीना, तुम तो अपने और अपने माँ बाप के सपने के लिए पढ़ रही थी, ठीक वैसे जैसे चौथा स्थान लाने वाली अंतिका शुक्ला जो कि मनु और याज्ञवलक्य के लिए नहीँ बल्कि अपने और अपने परिवार के सपनोँ के लिए पढ़ रही थी।टीना तुम एक पढ़े लिखे आर्थिक मुश्किलोँ से मुक्त, बेटा बेटी मेँ भेद से परे उच्च स्तरीय प्रगतिशील सोच वाले माँ बाप की काबिल संतान हो और यही तुम्हारी सफलता का आधार है। तुम्हेँ एक ऐसा परिवेश मिला पढ़ने लिखने और जीवन जीने का जहां कहीँ भी शायद ही कभी दबना पड़ा हो। कौन रोकता भला तुम्हेँ। तुम्हारी आ रही तस्वीरोँ मेँ निश्छल मुस्कान बता रही है कि तुम एक दलित नहीँ एक स्वतंत्र सशक्त नारी की पहचान हो। टीना आज तुम हिँदुस्तान की हर उस किशोरी की प्रेरणा हो जो आसमान मेँ उड़ना चाहती है। ये किशोरियां हर वर्ग, हर जाति, हर सम्प्रदाय से हैँ... उनके लिए तुम विलक्षण प्रतिभा वाली प्रेरक टीना हो, कोई दलित, ललित या सलित नहीँ। ये कुछ लोग तुम्हेँ सीमित कर देना चाहते हैँ। ये तुम्हारी विस्तृत भव्य सफलता को सिकोड़ देना चाहते हैँ। ये चाहते हैँ कि सवर्ण की लड़कियां जाकर अंतिका शुक्ला से प्रेरणा लेँ और तुम केवल दलित की स्टार बन कर रहो, जबकि तुम ऑल इंडिया सुपरस्टार हो। ये चाहते हैँ तुम इनके एजेँडे का मोहरा बनो। तुम जहाँ जाओ... तुम्हेँ प्रतिभा से पहले तुम्हारी जात से पहचाना जाए। फिर जात पात की लड़ाई होगी और तुम बनोगी हथियार, वो भी तब तक ही जब तक कोई दूसरा न आ जाए। तुम्हेँ ये नारी शक्ति का नहीँ, अपनी रंग और भंग की मुहिम का प्रतीक बना भर देना चाहते हैँ। टीना प्लीज इतना ऊँचा जाकर दलित ना बनना। जब आज तक ना बनी तो अब तो तुम्हारे कदमोँ मेँ जहां है। अब बनोगी तो अच्छी नही कहाओगी। टीना, इस देश मेँ हर जाति संप्रदाय की जमात मेँ लड़कियां घर की चौखट के उसी पार खड़े हो सपने देखते-देखते कब बर्तन धोते, कपड़ा धोते घिस जाती हैँ पता भी नहीँ चलता। बड़ी मुश्किल से तुम जैसी प्रतिभाओँ के सफलता की आकर्षण शक्ति उन्हेँ चौखट टपने का सहारा देती हैं। आज तुम्हारी सफलता से न जाने कितने जाट,दुबे, पांडे, तिवारी, मिश्रा, सिंह, राय, ठाकुर और श्रीवास्तव या यादव पिताओँ ने भी चुहानी मेँ जा भात पका रही बेटी की तरफ एक उम्मीद से देखा होगा। एक कोपल जरूर फूटा होगा इस भरोसे का कि क्या एक बार बेटी को पढ़ा के देखें क्या? खुद मुझे आज ये खयाल आया है, मेरी भी एक बेटी है, अभी उसके लिए सोच रहा हूं... जो काम मैँ ना कर सका, वो मेरी बिटिया कर दिखाए।
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